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संशोधित सुनिश्चित कैरियर प्रगति (MACP ) योजना

वित्त विभागराजस्थान सरकार की अधिसूचना  क्रमांक एफ. 15(1)एफडी/नियम/2017 पं.जयपुर, दिनांकः  06 0ct. 2023 द्वारा देय संशोधित सुनिश्चित कैरियर प्रगति (MACP )  योजना

भारत के संविधान, के अनुच्छेद 309 के परंतुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुएराजस्थान के राज्यपाल राजस्थान सिविल सेवा (संशोधित वेतन) नियम, 2017 में और संशोधन करने के लिए निम्नलिखित नियम बनाते हैं, अर्थात्: -

1.   संक्षिप्त शीर्षक और प्रारंभ. - (1) इन नियमों को राजस्थान सिविल सेवा (संशोधित वेतन) (पांचवां संशोधन) नियम, 2023 कहा जा सकता है

(2) इन्हें 01.04.2023 से लागू माना जाएगा।

2.   नियम 14 का संशोधन- मौजूदा नियम 14 को निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा,

अर्थात् –

"14. संशोधित सुनिश्चित कैरियर प्रगति (MACP )  योजना – योजना तीन वित्तीय उन्नयनों के साथ संशोधित सुनिश्चित कैरियर प्रगति (MACP )निम्नानुसार उपलब्ध होगी:-

(1) यह योजना चतुर्थ श्रेणी, मंत्रालयिक, अधीनस्थ, राज्य सेवाओं एवं एकल पदों पर कार्यरत सभी सरकारी कर्मचारियों (L-20 से ऊपर पे लेवल वाले पदों और राजस्थान चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा और राजस्थान चिकित्सा शिक्षा सेवा के राज्य सेवा अधिकारी जो Dynamic Assured Carrer Progressiion Scheme (DACP) के तहत पदोन्नति के लिए पात्र हैं। को छोड़कर) इन नियमों के तहत अलग-अलग पद रखने वाले और वेतन पाने वाले लोगों के लिए उपलब्ध होगी,

(2) (i) संशोधित सुनिश्चित कैरियर प्रगति योजना (MACP ) योजना के लिए, सेवा की गणना सेवा नियमों के प्रावधानों के अनुसार सरकारी सेवा में नियमित नियुक्ति की तारीख से की जाएगी। MACP के तहत पहला, दूसरा और तीसरा वित्तीय उन्नयन क्रमशः 9, 18 और 27 वर्ष की नियमित सेवा पूरी होने पर स्वीकार्य होगा।

(ii) एक कर्मचारी जिसे एक सेवा/संवर्ग से दूसरी सेवा/संवर्ग में पदोन्नत किया जाता है, उसकी MACP के लिए सेवा की गणना सरकारी सेवा में प्रारंभिक नियमित नियुक्ति की तारीख से की जाएगी और वह नियमों के तहत प्राप्त चयन ग्रेड, ACP, पदोन्नति या MACP  सहित कुल तीन वित्तीय उन्नयन का हकदार होगा।

(iii) जो सरकारी कर्मचारी पहले ही चयन ग्रेड सहित ACP के तहत तीन वित्तीय उन्नयन का लाभ ले चुके हैं, वे MACP  के लिए पात्र नहीं होंगे।

वे सरकारी कर्मचारी जो एक ACP/एक पदोन्नति का लाभ ले चुके हैं, वे नियमित सेवा के क्रमशः 18 और 27 वर्ष पूरे करने पर दूसरे और तीसरे MACP  के लिए पात्र होंगे। इसी प्रकार, जिन सरकारी कर्मचारियों ने दो ACP/दो पदोन्नति/एक पदोन्नति और एक ACP का लाभ उठाया है, वे नियमित सेवा के 27 वर्ष पूरे होने पर तीसरे MACP  के लिए पात्र होंगे।

हालाँकि, जो सरकारी कर्मचारी पहले ही चयन ग्रेड सहित ACP के तहत वित्तीय उन्नयन के एक या दो या तीन लाभ प्राप्त कर चुके हैं, वे पहले या दूसरे या तीसरे MACP  पे लेवल के पे लेवल में इन नियमों के तहत वेतन के पुन: निर्धारण के लिए पात्र होंगे, इनका  पुन: वेतन निर्धारण निम्नलिखित तरीके से होगा

1 अप्रैल, 2023 को भुगतान के पुनर्निर्धारण की विधि - एक सरकारी कर्मचारी जो इन नियमों के तहत 01.04.2023 को जिसपे लेवल में वेतन प्राप्त कर रहा है;यदि पहले या दूसरे या तीसरे ACP का वर्तमान पे लेवल , इन नियमों के तहत स्वीकार्य पहले, दूसरे या तीसरे MACP  के पे लेवल से कम है, तो उसका वेतन क्रमशः पहले या दूसरे या तीसरे MACP  के स्वीकार्य पे लेवल में उस लागू पे लेवल के बराबर सेल पर,यदि लागू पे लेवल में ऐसा कोई सेल उपलब्ध नहीं है, तो पे पेमैट्रिक्स में उस लागू पे लेवल के तत्काल अगले सेल परजैसा भी मामला हो, फिर से तय किया जाएगा पे लेवल

यदि वर्तमान पे लेवल में वेतन,MACP  के स्वीकार्य पे लेवल के पहले सेल  न्यूनतम से कम है, तो उसे पे मैट्रिक्स में संशोधित MACP  पे लेवल के पहले सेल पर तय किया जाएगा।  

उदाहरण

1

वर्तमान पे लेवल: L-13

 

वर्तमान पे लेवल

MACP स्वीकार्य पे लेवल

2

L-13 में मूल वेतन- 58000

3

MACP  स्वीकार्य पे लेवल :L-14

लेवल

L-13

L-14

4

MACP पे लेवल एल-14: 59500 में पुनः वेतन निर्धारित किया गया

 

 

सेल

53100

56100

54700

57800

56300

59500 

58000

61300

59700

63100

61500

65000

63300

67000


(3) (i) चतुर्थ श्रेणी/मंत्रालयिक/अधीनस्थ सेवा के कर्मचारियों के लिए इन नियमों के तहत प्रथम MACP उसी सेवा/संवर्ग में अगले पदोन्नति पद के पे लेवल पर देय होगी
बशर्ते कि यदि उसी सेवा/संवर्ग में कोई अगला पदोन्नति पद न हो या कर्मचारी के पास पदोन्नति के लिएमें निर्धारित शैक्षणिक योग्यता न हो,एकल पद हो तो प्रथम MACP उसके पद या ACP के पे लेवल के अनुरूप उप-नियम (5) में निर्दिष्ट पे लेवल में दिया जायेगा ।
(ii)चतुर्थ श्रेणी/मंत्रालयिक/अधीनस्थ सेवा के कर्मचारियों के लिएइन नियमों के तहत द्वितीय MACP उसी सेवा/संवर्ग में दूसरे पदोन्नति पद के पे लेवल पर देय होगी।
बशर्ते कि दूसरी पदोन्नति के मामले में, उसी सेवा/संवर्ग में उपलब्ध पद का वेतनमान पे-लेवल -14 से अधिक हो या उसी सेवा/संवर्ग में कोई दूसरा पदोन्नति पद न हो या कर्मचारी के पास पदोन्नति के लिए निर्धारित शैक्षणिक योग्यता न हो या एकल पद हो तो दूसरी MACP उसके पद या ACP के पे लेवल के अनुरूप उप-नियम (5) में निर्दिष्ट पे लेवल में दिया जायेगा
(iii) चतुर्थ श्रेणी/मंत्रालयिक/अधीनस्थ सेवा के कर्मचारियों के लिए इन नियमों के तहत तीसरी MACP उसी सेवा/संवर्ग में तीसरे पदोन्नति पद के पे लेवल पर देय होगी।
बशर्ते कि दूसरी पदोन्नति के मामले में, उसी सेवा/संवर्ग में उपलब्ध पद का वेतनमान पे-लेवल -14 से अधिक हो या उसी सेवा/संवर्ग में कोई दूसरा पदोन्नति पद न हो या कर्मचारी के पास पदोन्नति के लिए निर्धारित शैक्षणिक योग्यता न हो या पृथक पदों के संबंध में, तीसरी MACP उसके पद या ACP के पे लेवल के अनुरूप उप-नियम (5) में निर्दिष्ट पे लेवल में दिया जायेगा।
(iv) राज्य सेवा में सीधे भर्ती होने वाले कर्मचारियों के लिए इन नियमों के तहत पहली, दूसरी और तीसरी MACP , क्रमशः 9, 18 और 27 साल की सेवा पूरी होने के बाद उसी सेवा/कैडर में उपलब्ध पहले, दूसरे या तीसरे पदोन्नति पद के पे लेवल परस्वीकार्य होगी
बशर्ते कि पदोन्नति पद का पे लेवल धारित पद से तीन पे लेवल से अधिक हो, तो MACP पदोन्नति पद के पे लेवल के बजाय मौजूदा पद से अगले तीसरे पे लेवल में प्रदान किया जाएगा।
बशर्ते कि MACP का अनुदान पे लेवल एल-20 तक ही सीमित रहेगा।
(v) जिस कर्मचारी को एक सेवा/संवर्ग से दूसरी सेवा/संवर्ग में पदोन्नत किया जाता है, तो वह उस सेवा/संवर्ग से संबंधित पदोन्नति पद की 18 वर्ष या 27 वर्ष की सेवा के बाद, यदि देय हो, आगे MACP के लिए पात्र होगा।
बशर्ते कि पदोन्नति पद का पे लेवल धारित पद से तीन पे लेवल से अधिक हो, तो MACP , पदोन्नति पद के पे लेवल के बजाय मौजूदा पद से अगले तीसरे पे लेवल में प्रदान किया जाएगा।

(4)      संशोधित सुनिश्चित कैरियर प्रगति (MACP) योजना के तहत वित्तीय उन्नयन के अनुदान के लिए, नौ, अठारह या सत्ताईस साल की सेवा की अवधि, जैसा भी मामला हो, प्रासंगिक भर्ती नियमों में निहित प्रावधानों के अनुसार नियमित नियुक्ति की तारीख से गिना जाएगा ।जिस अवधि के दौरान एक सरकारी कर्मचारी में डिकल प्रमाण पत्र के साथ या उसके बिना असाधारण छुट्टी पर रहा/रहता है, उसे भी (परिवीक्षा प्रशिक्षु की विस्तारित अवधि को छोड़कर) MACP की सेवा की अवधि की गणना के लिए गिना जाएगा।

(5)       यदि एक ही सेवा/संवर्ग में प्रथम, द्वितीय या तृतीय पदोन्नति के लिए कोई पद नहीं है या कर्मचारी के पास पदोन्नति के लिए निर्धारित शैक्षणिक योग्यता नहीं है या पृथक पद होने पर , MACP नीचे निर्दिष्टअनुसार स्वीकृत की  जाएगी।

क्र.सं.

पे लेवल

MACP  में पे लेवल

1

L-l

L-2

2 .

L-2

L-3

3

L-3

L-4

4

L-4

L-5

5

L-5

L-8

6

L-6

L-8

7

L-7

L-8

8

L-8

L-10

9

L-9

L-10

10

L-10

(i)L-12- -उन मामलों में जहां अगला प्रमोशन पद राज्य सेवा में हो।

(ii)L-11 -अन्य मामलों में।

11

L-11

L-12

12

L-12

L-14

13

L-13

L-15

14

L-14

L-15

15

L-15

L-16

16

L-16

L-17

17

L-17

L-18

18

L-18

L-19

19

L-19

L-20





(6)  एक सरकारी कर्मचारी जो MACP योजना के तहत वित्तीय उन्नयन के लिए पात्र है, उसके पास मौजूदा ACP योजना के पे लेवल या MACP  योजना के तहत पे लेवल का चयन करने का विकल्प है, जो भी पदोन्नति या अगले वित्तीय उन्नयन तक उसके लिए फायदेमंद हो। सरकारी सेवक इस नियम के प्रकाशन की तारीख से तीन महीने के भीतर लिखित रूप में विकल्प प्रस्तुत करेगा एक बार दिया गया  विकल्प अंतिम होगा

(7)    सरकारी कर्मचारी द्वारा धारित पद पर नियुक्ति करने में सक्षम प्राधिकारी MACP  देने में सक्षम होगा।

(8)  संशोधित वेतन संरचना में एक लेवल  से दूसरे लेवल  पर MACP  योजना के तहत वित्तीय उन्नयन के मामले में वेतन का निर्धारण निम्नलिखित तरीके से किया जाएगा, अर्थात्: -एक वेतन वृद्धि वर्तमान पे लेवल  में दी जाएगी जिससे (वर्तमान पे लेवल ) कर्मचारी को MACP  प्रदान किया जाता है। इस प्रकार प्राप्त आंकड़े को MACP  के पे लेवल  में अगले सेल में रखा जाएगा।

उदाहरण (i)

1. संशोधित वेतन संरचना में पे लेवल  L-5

 

वर्तमान पे लेवल

MACP  पे लेवल

2. L-5 में मूल वेतन: 27100

लेवल

L-5

L-8

3. MACP  में स्वीकृत पे लेवल  L-8

सेल

26300

26300

4. पे लेवल  -5 में एक वेतन वृद्धि के बाद वेतन : 27900

27100

27100

5. MACP  पे लेवल   यानी L-8 में वेतन : 28700

27900

27900

28700

28700

29600

29600

30500

30500

31400

31400

उदाहरण (ii)


1. संशोधित वेतन संरचना में पे लेवल  L-11

 

वर्तमान पे लेवल

MACP  पे लेवल

2. L-11 मेंमूल वेतन: 50800

लेवल

L-11

L-12

3. MACP  में स्वीकृत पे लेवल L-12

सेल

49300

48400

4. पे लेवल -11 में एक वेतन वृद्धि के बाद वेतन :52300

50800

49900

5. MACP  पे लेवल  यानी L-12 में वेतन : 52900

52300

51400

53900

52900

55500

54500

57200

56100

58900

57800

 

(9)  यदि पदोन्नति, ACP/MACP  के तहत दिए गए समान पे लेवल पर दी गई है, तो नियमित पदोन्नति के समय वेतन का कोई और निर्धारण नहीं किया जाएगा।

हालाँकि, यदि पदोन्नति उच्च पे लेवल वाले पद पर है तो पे मैट्रिक्स में पदोन्नति के पे लेवल में वेतन समान सेल पर तय किया जाएगा और यदि कोई समान सेल नहीं है तो तत्काल अगले सेल पर।

(10) संशोधित सुनिश्चित कैरियर प्रगति (MACP ) के अनुदान के लिए विस्तृत दिशानिर्देश इन नियमों से जुड़ी अनुसूची-VI में निहित होंगे।"

3.    नियम 15 में संशोधन- मौजूदा नियम 15 को हटा दिया जाएगा.

4.   अनुसूची-VI में संशोधन - नियम 14 से जुड़ी मौजूदा अनुसूची VI को निम्नलिखित द्वारा प्रतिस्थापित किया जाएगा, अर्थात्: -

अनुसूची VI

(नियम क्रमांक 14)

राज्य सरकार के कर्मचारियों को संशोधित सुनिश्चित कैरियर प्रगति योजना (MACP ) के अनुदान के लिए दिशानिर्देश

इन नियमों के नियम 14 के तहत, सरकारी कर्मचारी 'तीन वित्तीय उन्नयन' के लिए पात्र हैं। संशोधित सुनिश्चित कैरियर प्रगति (MACP ) के अनुदान के लिए विस्तृत दिशानिर्देश निम्नानुसार होंगे: -

(1)      (i) MACP  अनुदान के प्रयोजन के लिए नियमित सेवा नीचे दिए गए नियम 5 (xiii) में परिभाषित अनुसार होगी; -

"5 (xiii) "नियमित सेवा" का अर्थ है और इसमें उस पद के लिए प्रासंगिक भर्ती नियमों में निहित प्रावधानों के अनुसार नियमित चयन के बाद एक सरकारी कर्मचारी द्वारा की गई सेवा शामिल है। तदर्थ आधार पर या अत्यावश्यक अस्थायी आधार पर प्रदान की गई सेवा की अवधि को नियमित सेवा के रूप में नहीं गिना जाएगा। दूसरे शब्दों में, सेवा की वह अवधि जो वरिष्ठता के लिए गणनीय है, केवल नियमित सेवा के रूप में गिनी जाएगी।"

(ii) MACP  योजना के तहत लाभ देने के लिए नियमित सेवा की गणना सीधी भर्ती पर नियमित आधार पर सीधे प्रवेश लेवल में किसी पद पर शामिल होने की तारीख से की जाएगी।

(iii) नियमित नियुक्ति से पहले तदर्थ अनुबंध के आधार पर प्रदान की गई सेवा को गणना में नहीं लिया जाएगा। हालाँकि, किसी नए विभाग में नियमित नियुक्ति से पहले समान लेवल के पद पर किसी अन्य सरकारी विभाग में बिना किसी रुकावट के की गई निरंतर नियमित सेवा को भी केवल MACP  के प्रयोजन के लिए अर्हता प्राप्त नियमित सेवा में गिना जाएगा (और नियमित पदोन्नति के लिए नहीं) ). हालाँकि, ऐसे मामलों में MACP  के तहत लाभ पर नए पद पर परिवीक्षा अवधि के संतोषजनक समापन तक विचार नहीं किया जाएगा। उदाहरण के लिए, यदि नियमित रूप से भर्ती किए गए पटवारी(L-5) को उसी लेवल पर एलडीसी के किसी अन्य पद पर नियुक्त किया जाता है, तो उसके द्वारा पटवारी के रूप में प्रदान की गई सेवा की अवधि को परिवीक्षा अवधि के संतोषजनक समापन के बाद एलडीसी के रूप में MACP  प्रदान करने के उद्देश्य से गिना जाएगा।

(iv) 'नियमित सेवा' में प्रतिनियुक्ति/विदेश सेवा, अध्ययन अवकाश और अन्य सभी प्रकार के अवकाश (असाधारण अवकाश को छोड़कर जिसके लिए परिवीक्षा प्रशिक्षु अवधि सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी से बढ़ा दी गई है) पर बिताई गई सभी अवधियां शामिल होंगी।

(2)      (i) वित्तीय उन्नयन गैर-कार्यात्मक आधार संतोषजनक सेवा रिकॉर्ड के अधीन होगा, जिसके आधार पर संबंधित कर्मचारी उच्च पद पर पदोन्नति के लिए पात्र है।इसके लिए संबंधित कर्मचारी की पिछले लगातार 9 वर्षों की सेवा का सर्विस रिकॉर्ड देखा जाना है। ऐसे मामलों में जहां पिछले लगातार 9 वर्षों का सेवा रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है, निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाएगी: -

(a) यदि किसी सरकारी कर्मचारी की 9 साल की वार्षिक प्रदर्शन मूल्यांकन रिपोर्ट (एपीएआर) MACP  के अनुदान के लिए उपलब्ध नहीं है, तो उस स्थिति में कर्मचारियों के पिछले वर्षों के 2 APAR को ध्यान में रखा जाएगा।

(b) 9 वर्षों के बाद भी APAR उपलब्ध नहीं है, शेष APAR को MACP  के अनुदान के लिए अगले वर्षों के लिए माना जा सकता है।

(c) कोई भी विभागीय या आपराधिक कार्यवाही लंबित नहीं होनी चाहिए।

(d)पिछले वर्षों में वार्षिक वेतन वृद्धि नियमित रूप से दी जाती थी।

(e) नियंत्रण अधिकारी संतोषजनक सेवा का प्रमाण पत्र जारी करेगा।

(ii) ऐसे कर्मचारी के मामले में, जिसे उसके असंतोषजनक रिकॉर्ड के कारण MACP  प्रदान नहीं किया जा सका, उसे  इस संबंध में निर्धारित अन्य शर्तों की पूर्ति के लिए संतोषजनक सेवा रिकॉर्ड के आधार पर उच्च पद पर पदोन्नति के लिए पात्र होने की तिथि से ACP प्रदान किया जाएगा।

(iii)नियुक्ति प्राधिकारी को MACP  देने से पहले कर्मचारी से 01.06.2002 को या उसके बाद केवल दो बच्चे होने के संदर्भ में एक शपथ पत्र भी प्राप्त करना होगा। जिस कर्मचारी के 01.06.2002 को या उसके बाद दो से अधिक बच्चे हैं, उसे उस तारीख से तीन साल तक MACP /अगला MACP  नहीं दिया जाएगा, जिस दिन उसका MACP  देय होगा और इसका अगले/बाद के अनुदान पर कोई परिणामी प्रभाव नहीं होगा। MACP  दो से अधिक बच्चों वाले कर्मचारी को तब तक अयोग्य नहीं माना जाएगा, जब तक कि 01.06.2002 को उसके बच्चों की संख्या में वृद्धि न हो जाए।

बशर्ते कि जहां किसी कर्मचारी के पहले प्रसव से केवल एक बच्चा हो, लेकिन एक ही बाद के प्रसव से एक से अधिक बच्चे पैदा हों, तो बच्चों की कुल संख्या की गणना करते समय इस प्रकार पैदा हुए बच्चों को एक इकाई माना जाएगा।

बशर्ते कि किसी कर्मचारी के बच्चों की कुल संख्या की गणना करते समय, पहले प्रसव से पैदा हुए विकलांगता वाले बच्चे की गणना नहीं की जाएगी।

बशर्ते कि कोई भी सरकारी कर्मचारी जिसने पुनर्विवाह किया है, जो किसी भी कानून के खिलाफ नहीं है और ऐसे पुनर्विवाह से पहले वह इस खंड के तहत संशोधित सुनिश्चित कैरियर प्रगति के अनुदान के लिए अयोग्य नहीं है, वह संशोधित सुनिश्चित कैरियर प्रगति का हकदार होगा। यदि कोई बच्चा ऐसे पुनर्विवाह से एकल प्रसव से पैदा हुआ हो।

(3)      अनुशासनात्मक कार्यवाही के मामले में, MACP s के तहत लाभ का अनुदान सामान्य पदोन्नति को नियंत्रित करने वाले नियमों के अधीन होगा। इसलिए, ऐसे मामलों को राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियम, 1958 के प्रावधानों और उसके तहत जारी निर्देशों के तहत विनियमित किया जाएगा।

(4)      MACP  अनुदान पर जुर्माने का प्रभाव निम्नानुसार दिया जाएगा: -

दंड के प्रकार

MACP  परप्रभाव

निंदा

निंदा के प्रत्येक आदेश के दंड के लिए MACP  को एक वर्ष के लिए स्थगित कर दिया जाएगा।

वार्षिक वेतन वृद्धि रोकना

संचयी प्रभाव के बिना वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने के दंड के प्रत्येक आदेश के लिए MACP  को एक वर्ष के लिए स्थगित कर दिया जाएगा।

संचयी प्रभाव से वार्षिक वेतन वृद्धि (ओं) की संख्या रोकना

MACP  को उतने वर्षों के लिए स्थगित कर दिया जाएगा जितने वर्षों के लिए वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने का जुर्माना लगाया गया है। प्रत्येक आदेश का MACP  अनुदान पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा।

पदोन्नति रोकने का दंड

जिस अवधि के लिए पदोन्नति से वंचित किया गया है, उस अवधि के लिए MACP  को स्थगित कर दिया जाएगा। यदि पदोन्नति से वंचित करने के आदेश में अवधि का उल्लेख नहीं किया गया है तो ऐसी स्थिति में MACP  को 7 वर्ष की अवधि के लिए स्थगित कर दिया जाएगा।

लापरवाही या किसी कानून, नियम या आदेश के उल्लंघन के कारण सरकार को हुई किसी भी आर्थिक हानि की पूरी या आंशिक भरपाई वेतन से की गई

जुर्माने के प्रत्येक आदेश के लिए MACP  को एक वर्ष के लिए स्थगित कर दिया जाएगा।

किसी निचली सेवा, ग्रेड या पद पर, या निचले समयमान पर या समयमान पर निचले लेवल पर कटौती

MACP  को 7 साल की अवधि के लिए स्थगित कर दिया जाएगा।

 

नियमों के तहत देय राशि से कम राशि की पेंशन के मामले में

MACP  को उस अवधि के लिए स्थगित कर दिया जाएगा जिसके लिए पेंशन/पेंशन का हिस्सा बरकरार रखा गया है। 100% पेंशन रोके जाने की स्थिति में MACP  की अनुमति नहीं दी जाएगी।प्रत्येक आदेश का MACP  अनुदान पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा।

 

(5)      MACP  केवल वित्तीय लाभ के लिए प्रासंगिक लेवल पर व्यक्तिगत आधार पर नियुक्ति पर विचार करता है और संबंधित कर्मचारियों की वास्तविक/कार्यात्मक पदोन्नति नहीं होगी।

(6)      यदि 9 साल की संतोषजनक APAR की अनुपलब्धता या APAR में प्रतिकूल टिप्पणियों या राजस्थान सिविल सेवा (सीसीए) नियम, 1958 के नियम 17 के तहत दंड के कारण MACP  के तहत वित्तीय उन्नयन स्थगित कर दिया गया है और अनुमति नहीं दी गई है, आगामी वित्तीय उन्नयन अनुदान पर परिणामी प्रभाव नहीं पड़ेगा।

बशर्ते कि राजस्थान सिविल सेवा (सीसीए) नियम, 1958 के नियम 16 के तहत दंड के कारण MACP  को स्थगित कर दिया जाता है, इसका परिणामी प्रभाव बाद के वित्तीय उन्नयन पर पड़ेगा, जो पिछले वित्तीय उन्नयन के अनुदान में देरी की सीमा तक भी स्थगित हो जाएगा।

(7)      योजना के तहत वित्तीय उन्नयन प्रदान करने पर पदनाम, वर्गीकरण या उच्च स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होगा।

(8)      MACP  के तहत वित्तीय उन्नयन कर्मचारी के लिए पूरी तरह से व्यक्तिगत होगा और उसकी वरिष्ठता स्थिति से कोई प्रासंगिकता नहीं होगी। इस प्रकार, वरिष्ठ कर्मचारियों के लिए इस आधार पर कोई अतिरिक्त वित्तीय उन्नयन नहीं होगा कि लेवल  में कनिष्ठ कर्मचारी को MACP  के तहत उच्च लेवल मिला है।

(9)      MACP  योजना के तहत अनुमत लेवल में आहरित वेतन को सेवानिवृत्त कर्मचारी के संबंध में टर्मिनल लाभों के निर्धारण के लिए आधार के रूप में लिया जाएगा।

(10)  यदि किसी कर्मचारी को उसके विभाग में अधिशेष घोषित किया जाता है और नए विभाग में उसी लेवल या निचले लेवल पर नियुक्त किया जाता है, तो उसके द्वारा पिछले विभाग में की गई नियमित सेवा को उसके नए विभाग में नियमित सेवा के लिए गिना जाएगा, जिसका उद्देश्य MACP s के तहत वित्तीय उन्नयन करना है।

(11)  यदि एक नियमित पदोन्नति की पेशकश की गई है लेकिन कर्मचारी द्वारा वित्तीय उन्नयन का हकदार बनने से पहले इनकार कर दिया गया था, तो कोई वित्तीय उन्नयन की अनुमति नहीं दी जाएगी क्योंकि ऐसे कर्मचारी को अवसरों की कमी के कारण रोक दिया गया है। हालांकि, यदि ठहराव के कारण वित्तीय उन्नयन की अनुमति दी गई है और कर्मचारी ने बाद में पदोन्नति से इनकार कर दिया है, तो यह वित्तीय उन्नयन वापस लेने का आधार नहीं होगा।

तथापि, वह और अधिक वित्तीय उन्नयन के लिए तब तक विचार करने के लिए पात्र नहीं होगा जब तक कि वह फिर से पदोन्नति के लिए विचार करने के लिए सहमत नहीं हो जाता है और अगले वित्तीय उन्नयन को भी इनकार के कारण स्थगन की अवधि तक स्थगित कर दिया जाएगा।

(12)  उदाहरण:

(i)   यदि L-5 के किसी सरकारी कर्मचारी (जूनियर सहायक/ क्लर्क ग्रेड-ii) को 8 वर्ष की सेवा पूरी होने पर L-8 में प्रथम नियमित पदोन्नति मिलती है और फिर बिना किसी पदोन्नति के 10 वर्ष की अतिरिक्त सेवा पूरी की जाती है तो वह 18 वर्ष (8+10 वर्ष) पूरा होने के बाद MACP  के तहत दूसरे वित्तीय उन्नयन के लिए पात्र होगा।

(ii) यदि उसे उसके बाद कोई पदोन्नति नहीं मिलती है तो उसे अगले 9 वर्षों की सेवा पूरी होने पर तीसरा वित्तीय उन्नयन प्राप्त होगा। 27 वर्षों के बाद (8+10+9 वर्ष)

(13)  MACP  के अनुदान के बाद अगली वार्षिक वृद्धि तिथि अपरिवर्तित रहेगी।

(14)  'लेवल ' शब्द में 'ग्रेड पे एंड स्केल ऑफ पे' भी शामिल होगा।

5.       यदि कोई और स्पष्टीकरण आवश्यक हो तो उसे वित्त विभाग के नियम प्रभाग को संबोधित किया जाना चाहिए।

 

 

 

 

 

 

 

Munna Lal Kala

Lecturer(Geography)

GSSS Burod

हिंदी रूपांतरण केवल सुविधा के लिए किया गया है  किसी विवाद की स्थिति में अंतिम निर्णय वित्त विभाग की अधिसूचना क्रमांक एफ. 15(1) एफडी/नियम/2017 पं.जयपुर, दिनांकः 06 0ct. 2023 के अनुसार ही मान्य होगा

 

 

 

 

राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम 2017 के नियम 14,  Modified Assured Career Progression Scheme (MACP) योजना

के संबंध में  FAQ वित्त (नियम) विभाग की समसंखक अधि सूचना दिनांक 06.10.2023 के द्वारा राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम 2017 के नियम 14 में  Modified Assured Career Progression Scheme (MACP) योजना दिनांक 01.04.2023 से लागूकी गई है। उक्त  योजना के सबंध  में  नियमों की व्याख्या के कर्म में  FAQ निम्नानुसार है:-

1.         क्या 01.04.2023 से पहले सेवानिवृत कार्मिकों को MACP का लाभ देय होगा ?

MACP के प्रावधान  दिनांक 01.04.2023 से पभावी किये गये है। अतः इससे पूर्व सेवानिवृत कार्मिकों को MACP का लाभ देय नहीं है।

2.         क्या  दिनांक 01.04.2023 से पहले स्वीकृत  ACP की तिथि से काल्पनिक  रूप से MACP में  वेतन का निर्धारण किया जायेगा एवं दिनांक 01.04.2023 से उसका नकद लाभ देय होगा ?

MACP योजना दिनांक 01.04.2023 से लागू की गई है। अतः इससे पूर्व की अवधि में  काल्पनिक  रूप से वेतन का निर्धारण नहीं किया जायेगा। MACP के तहत दिनांक 01.04.2023 को नियमानुसार देय पे-लेवल में  वेतन का पुनर्निर्धारण नियम 14(2) (iii) के प्रावधानों के अनुसार दिनांक 01.04.2023 को किया जायेगा।

3.    क्या  आगामी पदोनात्ति  अथवा ACP तक ACP योजना मेंबने रहने अथवा MACP योजना का लाभ लेने के लिये विकल्प दिया जाना अनिवार्य र्है?

अधि सूचना दिनांक 06.10.2023 से 05.01.2024 तक अर्थार्त तीन माह के अन्दर  कार्यलायाध्यक्ष  को लिखित रूप में MACP या ACP का विकल्प देना होगा। तीन महीने की निर्धारत  अवधि के अन्दर विकल्प प्रस्तुत  नहीं करनेपर MACP का विकल्प दिया हआ माना जायेगा।

4.    01.04.2023 को MACP योजना के तहत MACP की स्वीकृति देने या पे-लेवल के पुनर्निर्धारण के लिए सक्षम अधिकारी कौन है?

नियम 14(7) के अनुसार नियुक्ति प्राधिकारी सक्षम है। नियुक्ति प्राधिकारी  के द्वारा  MACP पे-लेवल की स्वीकृति दिये जाने के पश्चात्  वेतन निर्धारण सम्बंधित कार्यालयाध्यक्ष द्वारा किया जायेगा।

5.    दिनांक 01.04.2023 को किन कार्मिकों का MACP के पे-लेवल में वेतन का पुनःनिर्धारण किया जायेगा?

ऐसे कार्मिक जिन्हें  नियम 14 के उप-नियम (3) के प्रावधानों के अध्यधीन  देय पे-लेवल से नीचे का पे-लेवल स्वीकृत  है। उनका MACP के तहत देय पे-लेवल स्वीकृत  किया जायेगा तथा नियम 14 (2) (iii) के प्रावधान के अनुसार MACP के दिनांक 01.04.2023 को देय पे-लेवल में समान स्तर  पर वेतन निर्धारित किया जायेगा और यदि पे-लेवल में समान स्तर  नहीं है तो तत्काल आगामी स्तर पर वेतन निर्धारित  किया जायेगा।

6.    यदि किसी कार्मिक की पदोनात्ति  एवं आगामी MACP दोनों 01.04.2023 को देय होती है तो वेतन निर्धारण किस प्रकार  किया जायेगा अर्थार्त पहलेपदोनात्ति पद के पे-लेवल में वेतन निर्धारण होगा या MACP के पे-लेवल में वेतन निर्धारण होगा?

यदि किसी  कार्मिक की पदोनात्ति  एवं आगामी MACP दोनों दिनांक 01.04.2023 को देय होती है तो प्रथमतः कार्मिक का पदोनात्ति  पद के पे-लेवल में वेतन निर्धारित  किया जायेगा तत्पश्चात आगामी देय MACP के पे-लेवल में वेतन निर्धारित  किया जायेगा।

7.    Same Service/Cadre से क्या  आशय है?

Same Service/Cadre का आशय कार्मिक की जिस सेवा/संवर्ग  में नियमित नियुक्ति हई है। उस सम्बंधित सेवा के सेवा नियमों में उल्लेखित पदोनात्ति  के पदों से है। अधीनस्थ सेवा में नियुक्त  कर्मचारी  की अधीनस्थ सेवा के पदोनात्ति  पद से है। राज्यसेवा के पद पर नियुक्त  कर्मचारी की राज्यसेवा के पदोनात्ति  पद से है। अधीनस्थ  सेवा के पद से राज्य सेवा में पदोनात्ति  के पद  Same Service के नहीं है।

उदाहरण - किसी  कार्मिक की नियुक्ति कनिष्ठ लेखाकार के पद पर हई है यह पद राजस्थान अधीनस्थ  लेखा सेवा का पद है इस सेवा के पदोनात्ति  पद कमशः सहायक लेखाधिकारी ग्रेड-।। व सहायक लेखाधिकारी ग्रेड -। है। इस सेवा के कार्मिकों  का आगामी पदोनात्ति पद लेखाधिकारी है। लेखाधिकारी का पद राजस्थान लेखासेवा का पद है। अतः कनिष्ठ लेखाकार, सहायक लेखाधिकारी ग्रेड-।। व सहायक लेखाधिकारी ग्रेड-। पद पर कार्यरत  कार्मिक को MACP योजना के तहत वेतन उनयन का लाभ स्वीकृत  करने हेतु लेखाधिकारी का पद राज्य सेवा का पद होने के कारण Same Service का पद नहीं  है।

8.    ACP के स्थान  पर MACP के पे-लेवल में वेतन निर्धारण किस नियम के तहत किया जायेगा?

दिनांक 01.04.2023 को देय MACP के पे-लेवल में नियम 14(2) (iii) के प्रावधान के अनुसार पे-लेवल के सैल में वेतन निर्धारित  किया जायेगा।

9.    दिनांक 01.01.2013 को कनिष्ठ  अभियन्ता के पद पर नियमित रूप से नियुक्त  एवं जिसकी कोई पदोनात्ति  नहीं हुई है और दिनांक 01.01.2022 को 9 वर्ष की नियमित सेवा पूर्ण कर  दिनांक 01.04.2023 से पहले प्रथम ACP के रूप में पे-लेवल एल-11 में वेतन प्राप्त कर रहा है। उक्त  कार्मिक का दिनांक 01.04.2023 को प्रथम MACP में कौनसा पे-लेवल देय होगा ?

कनिष्ठ  अभियन्ता का पद अधीनस्थ सेवा का पद है इस पद से सहायक अभियन्ता के पद पर पदोनात्ति  होती है जो कि राज्य सेवा का पद है। इसलिए पदोनात्ति  पद Same Service में नहीं होने के कारण उक्त कनिष्ठ अभियन्ता को दिनांक 01.04.2023 को प्रथम MACP पर पे-लेवल एल-12 (नियम 14 (5) के अनुसार) देय होगा। ऐसे कनिष्ठ  अभियन्ता का दिनांक 01.04.2023 को पे-लेवल एल-12 में वेतन निर्धारण नियम 14 (2) (iii) के प्रावधान के अनुसार होगा।

10.  कनिष्ठ  अभियन्ता जो नियमि त रूप से दिनांक 01.01.2004 को नियुक्त  हआ एवं जिसकी कोई पदोनात्ति नहीं हई है और 18 वर्ष  की नियमित सेवा दिनांक 01.04.2023 से सेवा पूर्व पूर्ण कर द्वीतीय ACP के रूप में पे-लेवल एल-12 में वेतन प्राप्त कर रहा है। उक्त कार्मिक को दिनांक 01.04.2023 को द्वीतीय  MACP में कौनसा पे-लेवल देय होगा ?

उक्त कनिष्ठ  अभियन्ता को दिनांक 01.04.2023 को द्वितीय MACP में पे-लेवल एल-14 (नियम 14 (5) के अनुसार) देय होगा। ऐसे कनिष्ठ अभियन्ता का दिनांक 01.04.2023 को पे-लेवल एल-14 में वेतन निर्धारण नियम 14 (2) (iii) के प्रावधान के अनुसार होगा।

11.  कनिष्ठ  अभियन्ता जो नियमित रूप से दिनांक 01.01.1995 को नियुक्त  हआ एवं जिसकी कोई पदोनात्ति  नहीं हुई है और 27 वर्ष  की नियमित सेवा दिनांक 01.04.2023 से पूर्व पूर्ण कर तृतीय ACP (एक चयनित वेतनमान एवं दो ACP प्राप्त कर) में पे-लेवल एल-15 में वेतन प्राप्त कर रहा है। उक्त  कार्मिक को दिनांक 01.04.2023 को तृतीय MACP में कौनसा पे-लेवल देय होगा ?

उक्त कनिष्ठ  अभियन्ता को दिनांक 01.04.2023 को तृतीय MACP में पे-लेवल एल-15 (नियम 14 (5) के अनुसार) यथावत देय होगा।

12. कनिष्ठ अभियन्ता जो नियमित रूप से दिनांक 01.06.2005 को नियुक्त हुआ एवं जिसकी प्रथम पदोन्नति दिनांक 01.04.2018 को सहायक अभियन्ता के पद हुई तथा 18 वर्ष की नियमित सेवा दिनांक 01.06.2023 को पूर्ण होगी उक्त कार्मिक को द्वितीय एमएसीपी में कौनसा पे-लेवल  देय होगा ?

सहायक अभियन्ता पद पर पदोन्नत उक्त कार्मिक को प्रथम नियुक्ति (कनिष्ठ अभियन्ता) के पद से 18 वर्ष की नियमित सेवा दिनांक 01.06.2023 को पूर्ण करने पर द्वितीय एमएसीपी में राज्य सेवा के पदोन्नति पद (अधिशाषी अभियन्ता) का पे-लेवल एल-16 (नियम 14 (3) (v) के प्रावधानानुसार) देय होगा।

13. कनिष्ठ अभियन्ता जो नियमित रूप से दिनांक 01.01.2002 को नियुक्त हुआ एवं जिसकी प्रथम पदोन्नति दिनांक 01.04.2012 को सहायक अभियन्ता के पद हुई तथा 20 वर्ष की नियमित सेवा दिनांक 01.01.2022 को पूर्ण करने पर द्वितीय - एसीपी के रूप में पे-लेवल एल-15 प्राप्त कर रहा है। ऐसे कार्मिक को दिनांक 01.04.2023 को द्वितीय एमएसीपी में कौनसा पे-लेवल देय होगा?

उक्त सहायक अभियन्ता को दिनांक 01.04.2023 को द्वितीय एमएसीपी पर एल-16 देय होगा एवं दिनांक 01.04.2023 को एल-16 में वेतन निर्धारण नियम 14 ( 2 ) (iii) के प्रावधान के अनुसार किया जायेगा ।

14. कनिष्ठ अभियन्ता जो नियमित रूप से दिनांक 01.01.1995 को नियुक्त हुआ एवं जिसकी प्रथम पदोन्नति दिनांक 01.04.2005 को सहायक अभियन्ता के पद हुई तथा 20 वर्ष की नियमित सेवा दिनांक 01.01.2015 को पूर्ण करने पर द्वितीय एसीपी के रूप में पे लेवल एल-15 में वेतन प्राप्त कर रहा है। उक्त कार्मिक को दिनांक 01.04.2023 को द्वितीय एमएसीपी में कौनसा पे-लेवल देय होगा तथा तृतीय एमएसीपी किस तिथि को एवं किस पे-लेवल में देय होगी ?

उक्त सहायक अभियन्ता का प्रथमतः दिनांक 01.04.2023 को पे - लेवल एल-16 में द्वितीय एमएसीपी के पे-लेवल में नियम 14 (2) (iii) के प्रावधान के अनुसार वेतन निर्धारण होगा। तत्पश्चात दिनांक 01.04.2023 को 27 वर्ष से अधिक की नियमित सेवा पूर्ण कर लेने के कारण दिनांक 01.04.2023 को 27 वर्षीय तृतीय एमएसीपी में पे-लेवल एल-19 देय होगा तथा नियम 14 (8) के प्रावधान के अनुसार वेतन निर्धारण किया जायेगा ।

15. कनिष्ठ अभियन्ता जो नियमित रूप से दिनांक 01.01.1992 को नियुक्त हुआ एवं दिनांक 01.04.2015 से द्वितीय पदोन्नति प्राप्त कर अधिशाषी अभियन्ता के पद पर कार्यरत हैं एवं 30 वर्ष की नियमित सेवा पूर्ण होने पर दिनांक 01.01.2022 से तृतीय एसीपी के रूप में पे-लेवल एल-17 में वेतन प्राप्त कर रहा है उक्त कार्मिक को दिनांक 01.04.2023 को तृतीय एमएसीपी में कौनसा पे-लेवल देय होगा ?

उक्त अधिशाषी अभियन्ता को दिनांक 01.04.2023 को तृतीय एमएसीपी में पे-लेवल एल - 19 देय होगा एवं दिनांक 01.04.2023 को नियम 14 (2) (iii) के प्रावधान के अनुसार पे-लेवल एल-19 में वेतन निर्धारण किया जायेगा

16. कनिष्ठ लेखाकार जो नियमित रूप से दिनांक 01.01.1995 को नियुक्त हुआ एवं दिनांक 01.04.2021 से पदोन्नति प्राप्त कर सहायक लेखाधिकारी ।। अथवा सहायक लेखाधिकारी के पद पर कार्यरत हैं एवं 27 वर्ष की नियमित सेवा दिनांक 01.01.2023 को पूर्ण होने पर तृतीय एसीपी में पे लेवल एल-13 में वेतन प्राप्त कर रहा है। उक्त कार्मिक का दिनांक 01.04.2023 को तृतीय एमएसीपी में कौनसे पे - लेवल में वेतन निर्धारित किया जायेगा ?

कनिष्ठ लेखाकार पद से पदोन्नत उक्त सहायक लेखाधिकारी-1 अथवा सहायक लेखाधिकारी-II को 27 वर्ष की नियमित सेवा पूर्ण करने पर स्वीकृत एसीपी पे - लेवल एल-13 के स्थान पर दिनांक 01.04.2023 को तृतीय एमएसीपी में नियम 14 ( 3 ) (iii) एवं 14 ( 5 ) के प्रावधान के अनुसार पे लेवल एल-14 देय होगा। दिनांक 01.04.2023 को एल-14 में नियम 14 (2) (iii) के प्रावधान के अनुसार वेतन निर्धारण किया जायेगा ।

17. एक सूचना सहायक (पुराना पदनाम डेटा एंट्री ऑपरेटर) नियमित रूप से 01.01.1992 को नियुक्त हुआ एवं दो पदोन्नतियां प्राप्त कर प्रोग्रामर के पद पर कार्यरत है एवं दिनांक 01.04.2023 से पूर्व 30 साल की नियमित सेवा पूर्ण करने के कारण तृतीय एसीपी के रूप में पे लेवल एल-13 में वेतन प्राप्त कर रहा है उक्त कार्मिक का दिनांक 01.04.2023 को तृतीय एमएसीपी में कौनसे पे लेवल में वेतन निर्धारित किया जायेगा ?

सूचना सहायक से उक्त प्रोग्रामर को दिनांक 01.04.2023 को तृतीय एमएसीपी में पे लेवल एल - 15 ( नियम 14 ( 3 ) (v) के प्रावधानानुसार ) देय होगा एवं दिनांक 01.04.2023 को पे लेवल एल-15 में नियम 14 ( 2 ) (iii) के प्रावधान के अनुसार वेतन निर्धारित किया जायेगा।

18. एक सूचना सहायक (पुराना पदनाम डेटा एंट्री ऑपरेटर) नियमित रूप से 01.01.1995 को नियुक्त हुआ एवं दो पदोन्नतियां प्राप्त कर प्रोग्रामर के पद पर दिनांक 01.04.2020 से कार्यरत है एवं दिनांक 01.01.2022 को 27 साल की सेवा पूर्ण कर चुका है उक्त कार्मिक को दिनांक 01.04.2023 को तृतीय एमएसीपी में कौनसा पे लेवल देय होगा?

उक्त कार्मिक की द्वितीय पदोन्नति प्रोग्रामर के पद पर दिनांक 01.04.2023 से पूर्व ही पे लेवल एल-12 में हो चुकी है। अतः उक्त कार्मिक को तृतीय एमएसीपी की पात्रता हेतु आवश्यक 27 वर्ष से अधिक की नियमित सेवा दिनांक 01.04.2023 से पूर्व ही पूर्ण कर लेने के कारण दिनांक 01.04.2023 को तृतीय एमएसीपी में नियम 14 (3) (v) के प्रावधानानुसार पे - लेवल एल-15 देय होगा एवं नियम 14 (8) के प्रावधान के अनुसार वेतन निर्धारित किया जायेगा ।

19. एक कार्मिक प्रोग्रामर के पद पर सीधी भर्ती से नियमित रूप से दिनांक 01.01.2013 को नियुक्त है जिसे दिनांक 01.01.2023 को 10 वर्षीय प्रथम एसीपी पे - लेवल एल-13 में स्वीकृत है। उक्त प्रोग्रामर को दिनांक | 01.04.2023 को प्रथम एमएसीपी में कौनसा पे-लेवल देय होगा ?

      उक्त प्रोग्रामर को दिनांक 01.01.2023 को प्रथम एसीपी में स्वीकृत पे-लेवल एल-13 के स्थान पर नियम 14 (3) (iv) के प्रावधानानुसार दिनांक 01.04.2023 को एमएसीपी में पे लेवल एल-15 देय होगा एवं दिनांक 01.04.2023 को पे लेवल एल-15 में नियम 14 (2) (iii) के प्रावधान के अनुसार वेतन पुर्ननिर्धारित किया जायेगा।

20. एक प्रोग्रामर पद पर सीधी भर्ती से नियमित रूप से दिनांक 01.01.1994 को नियुक्त कार्मिक जो दो पदोन्नति प्राप्त कर संयुक्त निदेशक के पद पर पे लेवल एल-18 में कार्यरत है तथा तृतीय एसीपी हेतु वांछित 30 वर्ष की सेवा पूर्ण नही होने के कारण एसीपी योजना के अन्तर्गत तृतीय एसीपी स्वीकृत नहीं हुई है उक्त कार्मिक को दिनांक 01.04.2023 से पूर्व 27 वर्ष की नियमित सेवा पूर्ण करने के आधार पर तृतीय एमएसीपी में कौनसा पे लेवल देय होगा?

उक्त संयुक्त निदेशक पद पर कार्यरत कार्मिक को दिनांक 01.04.2023 को नियम 14 (3) (iv) के अनुसार तृतीय एमएसीपी पे लेवल एल-20 में देय होगी तथा तृतीय एमएसीपी में नियम 14 (8) के प्रावधान अनुसार पुनः वेतन निर्धारण किया जायेगा।

21. अधीनस्थ कार्यालय में स्टेनोग्राफर के पद पर नियमित रूप से दिनांक 01.04.1995 को नियुक्त होकर दो पदोन्नति प्राप्त कर एपीएस (पुराना पदनाम सीनियर पीए) के पद पर कार्यरत है और दिनांक 01.04.2023 से पूर्व 27 वर्ष की नियमित सेवा पूर्ण कर तृतीय एसीपी पे लेवल एल-13 प्राप्त कर रहा है उक्त कार्मिक को तृतीय एमएसीपी के तहत दिनांक 01.04.2023 को किस पे लेवल में वेतन निर्धारित किया जायेगा?

उक्त कार्मिक को नियम 14 (3) (iii) के प्रावधानानुसार दिनांक 01.04.2023 को तृतीय एमएसीपी में पे लेवल एल-14 देय होगा एवं नियम 14 (2) (iii) के प्रावधान के अनुसार पे-लेवल एल-14 में वेतन निर्धारित किया जायेगा

22. अधीनस्थ कार्यालय में स्टेनोग्राफर के पद पर दिनांक 01.01.2000 को नियमित रूप से नियुक्त होकर दो पदोन्नति प्राप्त कर एपीएस (पुराना पदनाम सीनियर पीए) के पद पर कार्यरत है एवं एल-12 में वेतन प्राप्त कर रहा है और 27 वर्ष की नियमित सेवा दिनांक 01.04.2023 के पश्चात पूर्ण होगी, उक्त कार्मिक को तृतीय एमएसीपी में वेतन निर्धारण किस पे लेवल में निर्धारित किया जायेगा ?

उक्त कार्मिक को नियम 14 (3) (iii) के प्रावधानानुसार 27 वर्ष की सेवा पूर्ण करने की दिनांक को तृतीय एमएसीपी में पे लेवल एल-14 देय होगा एवं नियम 14 (8) के अनुसार पे लेवल एल-14 में वेतन निर्धारित किया जायेगा।

23. एक कार्मिक जो शिक्षक ग्रेड-III के पद पर नियमित रूप से 01.01.2004 को नियुक्त हुआ एवं कोई पदोन्नति नहीं हुई है तथा 18 साल की नियमित सेवा दिनांक 01.04.2023 से पूर्व पूर्ण कर द्वितीय एसीपी में पे लेवल एल-12 प्राप्त कर रहा है। उक्त कार्मिक को दिनांक 01.04.2023 को द्वितीय एमएसीपी पर कौनसा पे लेवल देय होगा एवं किस पे लेवल में वेतन निर्धारण होगा?

उक्त कार्मिक को दिनांक 01.01.2022 को द्वितीय एसीपी में पे-लेवल एल-12 स्वीकृत है। दिनांक 01.04.2023 को द्वितीय एमएसीपी में उक्त पे - लेवल एल - 12 यथावत रहेगा। अतः दिनांक 01.04.2023 को पे लेवल में कोई परिवर्तन नहीं होने के कारण वेतन निर्धारण यथावत रहेगा।

24. एक कार्मिक जो शिक्षक ग्रेड-III के पद पर नियमित रूप से 01.01.1995 को नियुक्त हुआ ।

(i) कोई पदोन्नति नहीं हुई है। 27 वर्ष की नियमित सेवा पूर्ण करने पर तृतीय एसीपी प्राप्त कर रहा है।

(ii) प्रथम पदोन्नति प्राप्त कर वरिष्ठ अध्यापक के पद पर कार्यरत है तथा 27 साल की सेवा दिनांक 01.04.2023 से पूर्व पूर्ण कर एक पदोन्नति एवं एक चयनित वेतनमान एवं एक एसीपी प्राप्त कर एल-13 प्राप्त कर रहा है।

उक्त कार्मिक को दिनांक 01.04.2023 को तृतीय एमएसीपी में किस पे-लेवल में वेतन निर्धारण किया जायेगा?

उक्त कार्मिक को 27 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर स्वीकृत एसीपी के स्थान पर नियम 14 (3) (iii) एवं 14 (5) के प्रावधानानुसार दिनांक 01.04.2023 को तृतीय एमएसीपी में पे-लेवल एल-14 देय होगा एवं नियम 14 (2) (iii) के अनुसार पे लेवल एल-14 में वेतन निर्धारित किया जायेगा।

25. एक कार्मिक जो वरिष्ठ अध्यापक के पद पर नियमित रूप से 01.01.2004 को नियुक्त हुआ एवं कोई पदोन्नति नहीं हुई है तथा 18 साल की सेवा दिनांक 01.04.2023 से पूर्व पूर्ण कर द्वितीय एसीपी में पे लेवल एल-13 प्राप्त कर रहा है, उक्त कार्मिक का दिनांक 01.04.2023 को द्वितीय एमएसीपी में किस पे लेवल में वेतन निर्धारण किया जायेगा?

उक्त कार्मिक को दिनांक 01.04.2023 को नियम 14 (3) (iii) एवं 14 (5) के प्रावधानानुसार द्वितीय एमएसीपी में पे लेवल एल-14 देय होगा एवं नियम 14 ( 2 ) (iii) के प्रावधान के अनुसार पे लेवल एल-14 में वेतन निर्धारित किया जायेगा।

26. एक कार्मिक जो सीधी भर्ती से प्राध्यापक / व्याख्याता के पद पर नियमित रूप से 01.01.2012 को नियुक्त हुआ एवं कोई पदोन्नति नहीं हुई है तथा 10 साल की सेवा दिनांक 01.04.2023 से पूर्व पूर्ण कर प्रथम एसीपी पर पे लेवल एल-13 प्राप्त कर रहा है, उक्त कार्मिक को दिनांक 01.04.2023 को प्रथम एमएसीपी में किस पे - लेवल में वेतन निर्धारण किया जायेगा ?

उक्त कार्मिक को दिनांक 01.04.2023 को नियम 14 (3) (iv) के प्रावधानानुसार प्रथम एमएसीपी में पे - लेवल एल - 14 देय होगा एवं नियम 14 (2) (iii) के प्रावधान के अनुसार  पे लेवल एल-14 में पुनः वेतन निर्धारित किया जायेगा

27. एक कार्मिक कनिष्ठ प्रारूपकार के पद पर नियमित रूप से नियुक्त हुआ एवं एक पदोन्नति प्राप्त कर वरिष्ठ प्रारूपकार के पद पर कार्यरत रहते हुये 27 साल की सेवा दिनांक 01.04.2023 से पूर्व पूर्ण कर तृतीय एसीपी में पे-लेवल एल-12 में प्राप्त कर रहा है, उक्त कार्मिक का दिनांक 01.04.2023 को तृतीय एमएसीपी में किस पे लेवल में वेतन निर्धारण होगा?

उक्त कार्मिक को नियम 14 (3) (iii) एवं 14 ( 5 ) के प्रावधानानुसार दिनांक 01.04.2023 को तृतीय एमएसीपी में पे-लेवल एल-12 देय है। अतः पूर्व में पे-लेवल एल-12 में निर्धारित वेतन यथावत रहेगा।


अर्द्ध-वेतन एवं रूपांतरित अवकाश की देयता

  RSR 93 - अर्द्ध-वेतन एवं रूपांतरित अवकाश की देयता  
नियम 93(1)(a) के अनुसार स्थाई राज्य कर्मचारी प्रत्येक पूर्ण वर्ष की सेवा पर 20 दिन का अर्द्ध-वेतन अवकाश (HPL) पाने का हकदार होगा।
नियम 93(1)(b) के अनुसार उपरोक्त अर्द्ध-वेतन अवकाश (HPL) चिकित्सा प्रमाण-पत्र तथा निजी कारणों के आधार पर स्वीकृत किया जा सकता है।
120 दिन तक का अर्द्धवेतन अवकाश (HPL) DDO द्वारा स्वीकृत किया जा सकता है।
इस अवकाश में अर्द्ध वेतन देय होगा तथा जितने दिन का अवकाश लिया गया है अवकाश लेखा में उतने दिन कम होंगे ।
नियम 93(2)(i) के अनुसार एक स्थायी राज्य कर्मचारी को प्राधिकृत चिकित्सक के प्रमाण पत्र के आधार पर अर्द्ध वेतन अवकाशों (HPL) की आधी संख्या तक रूपान्तरित अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।
रूपान्तरित अवकाश (Commuted Leave) निम्नलिखित शर्तो के अनुसार स्वीकृत होगाः
1. कर्मचारी को रुपांतरित अवकाश स्वीकृत करने पर उसके अवकाश लेखों से दुगुनी संख्या में अर्द्ध-वेतन अवकाश (HPL) घटा(debit) दिए जाएंगे।
2. अवकाश स्वीकृतिकर्ता अधिकारी को इस बात से संतुष्ट होना चाहिए कि अवकाश समाप्ति पर उस कर्मचारी के सेवा पर पुनः उपस्थित होने की पूर्ण संभावना है।

नियम 93(2) (ii) के अनुसार यदि ऐसा अवकाश(HPL) किसी अनुमोदित पाठ्यक्रम के लिये चाहा गया हो तथा अवकाश स्वीकृत करने वाला प्राधिकारी ऐसे पाठ्यक्रम/अध्ययन को सार्वजनिक हित में प्रमाणित कर दें। तो एक कर्मचारी को सम्पूर्ण सेवा काल में 180 दिन तक के अर्द्ध वेतन अवकाश (HPL) प्राधिकृत चिकित्सक के प्रमाण पत्र के बिना रूपान्तरित अवकाश के रूप में स्वीकृत किया जा सकता है 
HPLऔर Commuted Leave को अर्जित करने से पूर्व उपभोग की अनुमति नहीं है तथा ना ही इन्हें अग्रिम जोड़ा जाकर उपभोग की अनुमति दी जाएगी।
 120 दिन तक का रूपांतरित अवकाश DDO द्वारा स्वीकृत किया जा सकता है।
रूपांतरित अवकाश का कार्मिक को full pay के हिसाब से वेतन का भुगतान प्राप्त होता है।
नियम 93(3) के अनुसार सेवानिवृत्ति से पूर्व के अवकाश के अलावा एक स्थायी सरकारी कर्मचारी को निम्नलिखित शर्तों पर अदेय अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है-
(a) अवकाश स्वीकृत करने वाला प्राधिकारी इस बात से सन्तुष्ट हो कि ऐसा कर्मचारी अदेय अवकाशों से की समाप्ति के बाद सेवा पर वापिस‌ उपस्थित हो जायेगा
(b) अदेय अवकाशों की संख्या उस अनुमोदित संख्या से अधिक नहीं होगी जो एक कर्मचारी ऐसे अवकाशों से वापिस आकर उतनी ही संख्या में अर्द्ध वेतन अवकाश (HPL) अर्जित कर सकें।
(c) कर्मचारी के संपूर्ण सेवा काल में अधिकतम 360 दिन (HPL) का अदेय अवकाश दिया जा सकेगा। 
जिसमे से 180 दिन का अदेय अवकाश चिकित्सा प्रमाणपत्र के आधार पर एवं शेष 180 दिन अन्य आधार पर स्वीकृत किया जा सकता है जो निदेशालय से स्वीकृत किया जायेगा।*
अदेय अवकाश एक बार मे 90 दिनों तक ही Ddo द्वारा स्वीकृत किया जा सकता है 
(d) अदेय अवकाश कर्मचारी के अर्द्ध वेतन अवकाशों के खाते में उधार(नामे) लिखा जायेगा तथा उसका समायोजन कर्मचारी द्वारा भविष्य में अर्जित अर्द्ध वेतन अवकाशों से किया जायेगा।
इस अवकाश में कार्मिक को अर्द्ध वेतन की दर से वेतन का भुगतान किया जाता है
नियम 93(4) के अनुसार एक कर्मचारी जिसे संबंधित सेवा नियमों के अंतर्गत अथवा सेवा नियम नहीं होने पर सक्षम राजकीय आदेश के अंतर्गत अस्थाई रूप से नियुक्त किया गया है तथा जो उस पद की शैक्षणिक योग्यता एवं अनुभव की पात्रता पूर्ण करता है, उसे 3 वर्ष की सेवा पूर्ण करने के पश्चात रुपांतरित अवकाश तथा अदेय अवकाश स्वीकृत किए जा सकेंग।
नियम 93(5) के अनुसार, यदि किसी सरकारी कर्मचारी को रूपान्तरित अवकाश या अदेय अवकाश स्वीकृत किया जावे और वह सेवा में रहते हुऐ मृत्यु हो जाये या वह राजस्थान सिविल सेवाएं (पेंशन) नियम, 1996 के नियम 35 के तहत असमर्थता के आधार पर सेवानिवृत्त कर दिया जावे या नियम 53 के अनुसार अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त कर दिया जाये तो उससे अवकाश वेतन की वसूली नहीं की जायेगी अन्य सभी मामलों में जैसे सेवा से त्याग-पत्र देने, स्वेच्छा से सेवानिवृत्ति प्राप्त करने, सेवा से निष्कासित करने या बर्खास्त करने आदि के मामला अवकाश वेतन की वसली की जायेगी

राजस्थान स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम, 2023

राजस्थान सरकार
कार्मिक (क- ग्रुप-2) विभाग
सं.एफ.5 (1) डीओपी/ए-II/2022                                                    जयपुर, दिनांक: 26.04.2023
अधिसूचना
भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राजस्थान के राज्यपाल, अनुकम्पात्मक आधारों पर स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की भर्ती को विनियमित करने के लिए, इसके द्वारा निम्नलिखित नियम बनाते हैं, अर्थात्:-
राजस्थान स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम, 2023
1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ.- ( 1 ) इन नियमों का नाम राजस्थान स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम, 2023 है।
(2) ये राजपत्र में इनके प्रकाशन की तारीख से प्रवृत्त होंगे।
2. परिभाषाएं.- जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, इन नियमों में, - (क) “ नियुक्ति प्राधिकारी” से संबंधित सेवा नियमों में यथा परिभाषित नियुक्ति प्राधिकारी अभिप्रेत है;
(ख) “स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी” से अखिल भारतीय सेवाओं के
राजस्थान राज्य के संवर्ग के किसी सदस्य सहित ऐसा व्यक्ति, जिसे राज्य के कार्यकलापों के संबंध में नियोजित किया गया था, और जो ड्यूटी पर रहते हुए किसी दुर्घटना के कारण स्थायी पूर्ण दिव्यांगता से ग्रस्त हो गया हो और जो नियमित आधार पर नियुक्ति के पश्चात् कोई स्थायी या अस्थायी पद धारित कर रहा था, अभिप्रेत है इसमें कोई परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी सम्मिलित है; (ग) “आश्रित" से अभिप्रेत है, -
(i) पति या पत्नी;
(ii) पुत्र, जिसमें स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी द्वारा उसकी स्थायी पूर्ण दिव्यांगता से पूर्व वैध रूप से दत्तक ग्रहण किया गया पुत्र सम्मिलित है;
(iii) पुत्री, जिसमें स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी द्वारा उसकी स्थायी पूर्ण दिव्यांगता से पूर्व वैध रूप से दत्तक ग्रहण की गयी पुत्री सम्मिलित है; (iv) अविवाहित स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी के मामले में, माता या पिता या अविवाहित भाई या अविवाहित बहन जो स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी पर उसकी दिव्यांगता के समय पूर्ण रूप से आश्रित था / थी;
(घ) “सरकार" से राजस्थान सरकार अभिप्रेत है;
(ङ) “विभाग/कार्यालय का अध्यक्ष” से उस विभाग / कार्यालय का अध्यक्ष अभिप्रेत है जिसमें पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी अपनी दिव्यांगता के समय कार्यरत था
(च) “स्थायी पूर्ण दिव्यांगता” ऐसे सरकारी कर्मचारी के संबंध में है जो ड्यूटी पर रहते हुए पूर्ण रूप से और प्रत्यक्षत: किसी दुर्घटना के कारण, नीचे दी गयी सारणी में विनिर्दिष्ट स्वरूप में स्थायी पूर्ण दिव्यांगता से ग्रस्त हो गया है:-
1. दोनों हाथों की हानि या उच्चतर स्थान से अंग-विच्छेद होना
2.एक हाथ और एक पैर की हानि
3. पूरा पैर या जांघ का दोहरा अंग-विच्छेद, या एक तरफ का पैर या जांघ पर से अंग-विच्छेद और दूसरे पैर की हानि
4. ऐसी सीमा तक दृष्टि खो देना कि दावेदार ऐसे किसी कार्य को करने में असमर्थ हो जाये जिसके लिए आंखों की रोशनी आवश्यक हो
5 चेहरे की अति गंभीर विकृति
6. पूर्ण बधिरता
7. मानसिक दुर्बलता जो उसे सेवा के लिए स्थायी रूप से अक्षम बनाये
8. कर्मकारों की व्यावसायिक अर्थात् सीवरेज, स्वच्छता, खनन और विद्युत में दुर्घटना
टिप्पण: 'स्थायी पूर्ण दिव्यांगता' का निर्धारण स्थायी शारीरिक क्षीणता का मूल्यांकन करने के लिए चिकित्सकों के लिए मैनुअल (डीजीएचएस डब्ल्यूएचओ एएचएमएस नई दिल्ली 1981) के अनुसार किया जायेगा और विभागाध्यक्ष अस्थि रोग, विभागाध्यक्ष भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास और राजस्थान के किसी राजकीय चिकित्सा महाविद्यालय के विभागाध्यक्ष न्याय विज्ञान और संबंधित दिव्यांगता के किसी विशेषज्ञ से मिलकर गठित किसी चिकित्सा बोर्ड द्वारा प्रमाणित किया जायेगा; और
(छ) “राज्य” से राजस्थान राज्य अभिप्रेत है।
3. निर्वचन . - जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, राजस्थान साधारण खण्ड अधिनियम, 1955 ( 1955 का अधिनियम सं. 8) इन नियमों के निर्वचन के लिए उसी प्रकार लागू होगा जिस प्रकार वह किसी राजस्थान अधिनियम के निर्वचन के लिए लागू होता है।
4. विस्तार ये नियम, ऐसे स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी के आश्रित की अनुकंपात्मक आधारों पर नियुक्ति को शासित करेंगे जो नियम 2 के खंड (च) के अनुसार स्थायी पूर्ण दिव्यांगता से ग्रस्त हो गया है और जो राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996 के नियम 35 के अधीन निर्योग्यता पेंशन पर सेवानिवृत्ति लेता है और उसके आश्रित का किसी विशिष्ट पद का कोई अधिकार नहीं होगा।
5. कतिपय शर्तों के अध्यधीन रहते हुए नियुक्ति .- (1) जब कोई सरकारी कर्मचारी जो ड्यूटी पर रहते हुए किसी दुर्घटना के कारण स्थायी पूर्ण दिव्यांगता से ग्रस्त हो गया हो और नियम 2 के खंड (च) के नीचे दिये टिप्पण के अनुसार चिकित्सा बोर्ड द्वारा सरकारी सेवा के लिए स्थायी रूप से अनुपयुक्त घोषित कर दिया गया हो तथा राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996 के नियम 35 के अधीन निर्योग्यता पेंशन पर सेवानिवृत्ति लेता है तब सरकारी सेवा में नियुक्ति के लिए उसके आश्रितों में से किसी एक पर विचार किया जा सकेगा। इन नियमों के अधीन नियुक्ति दी जायेगी यदि,-
(i) स्थायी पूर्ण दिव्यांगता से ग्रस्त होने की तारीख को स्थायी पूर्ण दिव्यांग कर्मचारी ने 55 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं की हो;
(ii) स्थायी पूर्ण दिव्यांग कर्मचारी ने उसके स्थायी पूर्ण दिव्यांगता से ग्रस्त होने के एक वर्ष के भीतर-भीतर राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996 के नियम 35 के अधीन निर्योग्यता पेंशन पर सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन किया हो ।
(2) इन नियमों के अधीन नियोजन उस मामले में अनुज्ञेय नहीं होगा जहां ऐसे स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी का / की पति या पत्नी या पुत्रों, पुत्रियों, दत्तक पुत्र / दत्तक पुत्री में से कम से कम एक सरकारी कर्मचारी की ऐसी दिव्यांगता होने के समय या आश्रित की नियुक्ति के समय केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार, केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार के पूर्णत: या अंशत: स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन कानूनी बोर्ड, संगठन या निगम में, नियमित आधार पर पहले से ही नियोजित हो;
परन्तु कोई विवाहित पुत्री जो स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी पर आश्रित नहीं है और केंद्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार, केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार के पूर्णत: या अंशत: स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन कानूनी बोर्ड, संगठन या निगम में, नियमित आधार पर पहले से ही नियोजित हो तो वह स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी के किसी अन्य आश्रित की अनुकंपात्मक नियुक्ति के लिए अवरोध नहीं होगी। तथापि, जब स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी के केवल पुत्रियां हों, जो विवाहित हों, और उनमें से एक नियमित आधार पर केंद्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार, केंद्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार के पूर्णत: या अंशत: स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन कानूनी बोर्ड, संगठन या निगम में, नियमित आधार पर पहले से ही नियोजित हो तब अन्य विवाहित पुत्रियां नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होंगी।
परन्तु यह और कि, अविवाहित सरकारी कर्मचारी की स्थायी पूर्ण दिव्यांगता के मामले में नियोजन वहां अनुज्ञेय नहीं होगा जहां ऐसे स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी की माता, पिता, भाई या अविवाहित बहन, ऐसे सरकारी कर्मचारी की दिव्यांगता होने के समय या आश्रित की नियुक्ति के समय केंद्रीय सरकार या राज्य सरकार, केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य सरकार के पूर्णत: या अंशत: स्वामित्वाधीन या नियंत्रणाधीन कानूनी बोर्ड, संगठन या निगम में, नियमित आधार पर पहले से ही नियोजित हो ।
परंतु यह भी कि इस उप-नियम के उपबंध वहां लागू नहीं होंगे जहां ऐसे स्थायी पूर्ण दिव्यांग कर्मचारी की पत्नी स्वयं के लिए नियोजन चाहती हो।
(3) इन नियमों के अधीन नियुक्ति इस शर्त पर कि, अनुकंपात्मक आधार पर नियुक्त व्यक्ति स्थायी पूर्ण दिव्यांग कर्मचारी सहित कुटुम्ब के ऐसे सदस्यों का, जो स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी पर आश्रित थे, उचित तौर पर भरण-पोषण करेगा तथा यह लिखित परिवचन देने पर दी जायेगी कि वह कुटुम्ब के सदस्यों का, और स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी का उचित रूप से भरण-पोषण करेगा / करेगी। यदि तत्पश्चात्, किसी भी समय पर यह साबित हो जाता है कि स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी, जो निर्योग्यता पेंशन पर सेवानिवृत्त हो गया है को सम्मिलित करते हुए कुटुम्ब के ऐसे आश्रित सदस्यों की उपेक्षा की जा रही है या उसके द्वारा उचित रूप से उन का भरण पोषण नहीं किया जा रहा है तो अनुकंपात्मक आधार पर नियुक्त व्यक्ति को नियुक्ति प्राधिकारी, क्यों न उसकी सेवाओं को समाप्त कर दिया जाये, स्पष्टीकरण मांगते हुए कारण बताओ नोटिस जारी कर, एक अवसर प्रदान करते हुए, नियुक्ति समाप्त कर सकेगा।
6. पदों का चयन.- (1) पे मैट्रिक्स के लेवल एल-9 तक के किसी पद पर, और जो अधीनस्थ सेवा, लिपिकवर्गीय सेवा सीधी भर्ती द्वारा भरे जाने के लिए तात्पर्यित हों, या यथास्थिति, चतुर्थ श्रेणी सेवा में आश्रित की नियुक्ति के लिए शैक्षिक अर्हता और अन्य सेवा शर्तों की पूर्ति करने पर स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी के रैंक और प्रास्थिति पर ध्यान दिए बिना, विचार किया जा सकेगा।
(2) इन नियमों के अधीन किसी पद पर एक बार नियुक्ति हो जाये तो इन नियमों के अधीन आशयित फायदा भुक्त किया गया समझा जायेगा और किसी भी परिस्थिति में मामला किसी अन्य पद पर नियुक्ति के लिए पुन: नहीं खोला जायेगा ।
7. अर्हताएं (1) आश्रित के पास उसकी नियुक्ति के समय संबंधित सेवा नियमों के अधीन पद के लिए विहित अर्हताएं होनी चाहिए।
(2) चतुर्थ श्रेणी सेवा में नियुक्ति के लिए विचार किए जाने के समय, पद के लिए शैक्षिक अर्हता की अपेक्षा से अभिमुक्ति दी जायेगी ।
(3) किसी आश्रित की नियुक्ति से पूर्व नियुक्ति प्राधिकारी स्वयं का समाधान करेगा कि उसके चरित्र और शारीरिक उपयुक्तता और संबंधित सेवा नियमों में विहित अन्य साधारण शर्तों की पूर्ति को देखते हुए, वह सरकारी सेवा में नियुक्ति के लिए अन्यथा पात्र है।
8. आयु.- आश्रित नियुक्ति के समय संबंधित सेवा नियमों के अधीन पद के लिए विहित आयु सीमा के भीतर होना चाहिए:
परन्तु,-
(i) स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी की पत्नी के लिए ऊपरी आयु सीमा 55 वर्ष होगी।
(ii) आयु संगणित करने के लिए निर्णायक तारीख नियुक्ति के लिए आवेदन प्राप्ति की तारीख होगी। किसी उपयुक्त पद की व्यवस्था करने में व्यतीत किया गया समय, उस कालावधि के दौरान उसके अधिकायु होने के मामले में, आश्रित को निरर्हित नहीं करेगा।
9. प्रक्रियात्मक अपेक्षा आदि- चयन के लिए प्रक्रियात्मक अपेक्षा जैसे, -
(i) नियुक्ति के समय कम्प्यूटर अर्हता पर जोर नहीं दिया जायेगा। तथापि, आश्रितों को परिवीक्षा की कालावधि के भीतर सुसंगत नियमों में यथाविहित कंप्यूटर अर्हताओं में से कोई अर्हता प्राप्त करनी होगी, इसमें विफल होने पर उसकी परिवीक्षा को बढ़ाया हुआ समझा जायेगा जब तक कि नियुक्ति प्राधिकारी, उसका कार्य पूर्णत: असंतोषजनक पाये जाने पर उसकी सेवाओं को समाप्त न कर दे;
(ii) प्रशिक्षण या विभागीय परीक्षा या कंप्यूटर टंकण पर नियुक्ति के समय जोर नहीं दिया जायेगा। तथापि आश्रितों से, स्थायीकरण के लिए हकदारी हेतु ऐसा प्रशिक्षण या विभागीय परीक्षा या अंग्रेजी अथवा हिंदी में से किसी एक भाषा में कंप्यूटर टंकण परीक्षा तीन वर्ष की कालावधि के भीतर, जब तक कि कार्मिक विभाग द्वारा कालावधि शिथिल ना की जाये, उत्तीर्ण करने की अपेक्षा की जायेगी, जिसमें विफल होने पर उसकी नियुक्ति समाप्त होने के दायित्वाधीन होगी। जब तक वह ऐसी अर्हता अर्जित नहीं कर लेता है तब तक उसे कोई वार्षिक ग्रेड वेतन वृद्धि अनुज्ञात नहीं की जायेगी। ऐसी अर्हता अर्जित करने पर उसे नियुक्ति की तारीख से वार्षिक ग्रेड वेतनवृद्धियां काल्पनिक रूप से अनुज्ञात की जायेंगी किंतु उसे कोई बकाया संदत्त नहीं किए जायेंगे:
परंतु इन नियमों के उपबंधों के अधीन नियुक्त स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी की पत्नी को कंप्यूटर अर्हता और कंप्यूटर पर टंकण परीक्षा उत्तीर्ण करने से छूट दी जायेगी:
परंतु यह और कि इन नियमों के उपबंधों के अधीन नियुक्त दिव्यांगता वाले
आश्रित को कंप्यूटर पर टंकण परीक्षा उत्तीर्ण करने से छूट दी जायेगी।
10. प्रक्रिया.- (1) किसी सरकारी कर्मचारी के स्थायी पूर्ण दिव्यांगता से ग्रस्त होने पर पति या पत्नी स्वयं के लिए या किसी अन्य आश्रित के लिए नियुक्ति हेतु आवेदन करेगा/करेगी।
(2) जहां स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी का कोई जीवित पति या पत्नी न हो, वहां स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी के किसी भी आश्रित द्वारा आवेदन किया जायेगा और अन्य आश्रितों को उसकी अभ्यर्थिता के लिए अपनी सहमति देनी होगी:
परंतु यह कि आश्रितों में से एक से अधिक द्वारा नियोजन चाहा जाये तो विभागाध्यक्ष संपूर्ण परिवार, विशिष्टतः अवयस्क सदस्यों के सम्पूर्ण हित और कल्याण को ध्यान में रखते हुए किसी एक का चयन करेगा।
(3) ऐसा आवेदन इन नियमों से संलग्न प्ररूप में सरकारी कर्मचारी की राजस्थान सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 1996 के नियम 35 के अधीन स्थायी पूर्ण दिव्यांगता के कारण निर्योग्यता पेंशन पर सेवानिवृत्ति की तारीख से 90 दिवस की कालावधि के भीतर-भीतर कार्यालयाध्यक्ष/विभागाध्यक्ष को किया जायेगा । आवेदक, आवेदन के भाग 1 के खण्ड-7 में उल्लिखित कुटुम्ब के समस्त सदस्यों की सभी स्रोतों से मासिक आय के समर्थन में एक शपथ-पत्र प्रस्तुत करेगा:
परन्तु किसी आपवादिकं मामले में, जहां राज्य सरकार के कार्मिक विभाग का यह समाधान हो जाता है कि इस उप-नियम के उपबंधों का प्रवर्तन, स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी के कुटुम्ब को वित्तीय कठिनाई कारित करेगा और किसी विशिष्ट मामले में इस उप-नियम के उपबंधों का शिथिलीकरण आवश्यक या समीचीन समझता है तो वह इस नियम के उपबंध, ऐसी सीमा तक और ऐसी शर्तों के अध्यधीन, जो किसी मामले के न्याय- संगत तथा साम्यापूर्ण रूप से निपटाने के लिए आवश्यक हो, शिथिल कर सकेगा। (4) राजस्थान राज्य संवर्ग की अखिल भारतीय सेवाओं, राजस्थान प्रशासनिक सेवा, राजस्थान लेखा सेवा, राजस्थान विधिक राज्य एवं अधीनस्थ सेवा और राजस्थान आर्थिक एवं सांख्यिकी सेवा आदि के मामलों में जहां अधिकारी सरकार के विभिन्न विभागों में पद- स्थापित किए जाते हैं वहां आवेदन उस विभागाध्यक्ष / कार्यालयाध्यक्ष जहां स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी, अपनी स्थायी पूर्ण दिव्यांगता के समय पदस्थापित था, के माध्यम से उस सेवा को नियंत्रित करने वाले प्रशासनिक विभाग को किये जायेंगे।
(5) विभागाध्यक्ष या, यथास्थिति, कार्यालयाध्यक्ष का यह दायित्व होगा कि वह आश्रितों को यथासंभव अपने विभाग में ही नियुक्ति दे।
(6) यदि कोई उपयुक्त पद रिक्त न हो किंतु निम्नतर वेतनमान में का कोई पद तुरंत उपलब्ध हो तो ऐसे निम्नतर पद का आवेदक को 'पहले आये पहले पाये' के आधार पर प्रस्ताव किया जा सकेगा और आवेदक के लिए यह विकल्प होगा कि वह या तो आवेदित पद के लिए प्रतीक्षा करे या उपलब्ध निम्नंतर पद स्वीकार करे। यदि आवेदक उपलब्ध निम्नतर पद स्वीकार करता है तो वह आवेदित उच्चतर पद के लिए अपना दावा खो देगा/ खो देगी और उसके दावे को प्रतीक्षा सूची में नहीं रखा जायेगा:
परंतु यदि उस विभाग में जिसमें स्थायी पूर्ण दिव्यांग सरकारी कर्मचारी कार्यरत है, कोई रिक्त पद उपलब्ध नहीं हो तो मामला तुरंत कार्मिक विभाग को निर्दिष्ट किया जायेगा जो तर्कपूर्ण कारणों द्वारा सम्यक् रूप से समर्थित होगा और कार्मिक विभाग किसी अन्य विभाग में नियुक्ति उपलब्ध करायेगा ।
(7) राज्य संवर्ग वाली सेवाओं जैसे कार्मिक विभाग द्वारा नियंत्रित अखिल भारतीय सेवाओं, राजस्थान प्रशासनिक सेवा, राजस्थान सचिवालय सेवा के सदस्यों की स्थायी पूर्ण दिव्यांगता की दशा में, आवेदन सचिव, कार्मिक विभाग को किया जायेगा और यह कार्मिक विभाग का दायित्व होगा कि वह किसी उपयुक्त पद की व्यवस्था करे ।
11. अध्यारोही प्रभाव - तत्समय प्रवृत्त किन्हीं नियमों, विनियमों या आदेश में अन्तर्विष्ट किसी प्रतिकूल बात के होते हुए भी, इन नियमों के उपबंध और इसके अधीन जारी किये गये किसी आदेश का अध्यारोही प्रभाव रहेगा।
12. नोडल विभाग - कार्मिक विभाग इन नियमों को प्रशासित करने के, प्रयोजनार्थ नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा और वह ऐसा कोई सामान्य या विशेष आदेश कर सकेगा जो वह इन नियमों के उचित क्रियान्वयन के लिए आवश्यक या समीचीन समझे ।
13. शंकाओं का निराकरण - यदि इन नियमों के लागू करने, निर्वचन और विस्तार संबंधी कोई शंका उत्पन्न हो तो उसे सरकार के कार्मिक विभाग को निर्दिष्ट किया जायेगा जिसका उस पर विनिश्चय अंतिम होगा।
14. कठिनाईयों के निराकरण की शक्ति- यदि इन नियमों के उपबंधों को प्रभावी करने में कोई कठिनाई उत्पन्न होती है तो राज्य सरकार ऐसे साधारण या विशेष आदेश जारी कर सकेगी जो वह ऐसी कठिनाई के निराकरण के लिए आवश्यक या समीचीन समझे ।


परिपत्र दिनांक: 02.09.2024
कार्मिक विभाग की अधिसूचना दिनांक 26.04.2023 के द्वारा राजस्थान स्थायी पूर्ण द्विव्यांग सरकारी कर्मचारी के आश्रितों की अनुकम्पा नियुक्ति नियम 2023 के अन्तर्गत राज्य सरकार के विभिन्न विभागों मे डयूटी पर कार्य करते हुए कार्मिक के पूर्णतः निःशक्त / आयोग्य (Disabled ) होने एवं उनके द्वारा स्वैच्छिक सेवा निवृति (निर्योग्यता पेंशन पर सेवा निवृति)  लिये जाने पर उनके एक आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान करने का प्रावधान है । इन नियमों के परिपेक्ष्य में नियुक्ति प्रदान करने हेतु निम्न बिन्दुओं पर विधि विभाग एवं वित्त विभाग से परामर्श कर निम्न निर्देश जारी किये जाते है:-
1. किसी भी सरकारी कर्मचारी की ड्यूटी में रहते हुए उक्त नियम 2023 के जारी होने की तिथि 26.04.2023 से पूर्व वर्षों में दुर्घटना हुई हो, परन्तु स्थाई रूप से दिव्यांगता होने का प्रमाण पत्र मेडिकल बोर्ड से उक्त नियम, 2023 के लागू होने (अर्थात 26.04. 2023) के पश्चात जारी हुआ है, तो ऐसे प्रकरणों में उनके आश्रित को नियुक्ति देने पर विचार किया जा सकता है। अतः किसी कर्मचारी की स्थाई पूर्ण द्विव्यांगता, मेडिकल बोर्ड के प्रमाण पत्र जारी होने की तिथि से मानी जानी है
2. राजस्थान सेवा नियम 1951 के नियम 8 में कर्तव्य (Duty) को परिभाषित किया गया है। उक्त नियम के अन्तर्गत सरकारी कर्मचारी की ड्यूटी में रहते हुए किसी दुर्घटना के कारण, स्थाई रूप से दिव्यांगता से ग्रस्त होना चाहिए। ऐसी स्थिति में एक सरकारी कर्मचारी ड्यूटी में तभी माना जायेगा जब वह अपने कार्यालय में उपस्थिति दे देता है और ड्यूटी से पृथक तब हो जाता है जब वह कार्यालय समय पूर्ण होने के पश्चात कार्यालय छोड देता है। इसके अलावा सरकारी ड्यूटी में वह कर्मचारी भी शामिल है जो कार्यालय अवकाश होने के बावजूद भी सक्षम अधिकारी के निर्देशों की पालना में कार्यालय में उपस्थित हो गया है।
3. स्थाई पूर्ण द्विव्यांग कर्मचारी का उसके स्थाई पूर्ण द्विव्यांगता से ग्रस्त होने के जारी मेडिकल प्रमाण पत्र के एक वर्ष के भीतर-भीतर राज. सिविल सेवा (पेशन) नियम, 1996 के नियम, 35 के अधीन निर्योग्यता पेंशन पर सेवा निवृति स्वीकृत होना आवश्यक है ।
4. राज. सिविल सेवा (पेशन) नियम, 1996 के नियम 35 के अधीन निर्योग्यता पेंशन पर सेवानिवृति के लिए आवेदन किया जाना पर्याप्त नही है अपितु सेवानिवृति स्वीकृत होना आवश्यक है। साथ ही सेवा निवृति स्वीकृत करने से पूर्व विभागाध्यक्ष / नियुक्ति प्राधिकारी को अपने स्तर पर यह सुनिश्चित किया जाना हैं कि क्या कर्मचारी द्विव्यांगता नियम 2023 के अन्तर्गत नियमानुसार स्थाई पूर्ण द्विव्यांगता की पात्रता रखता है अथवा नहीं । अन्यथा कर्मचारी द्वारा निर्योग्यता पेंशन पर सेवानिवृति लेने के बावजूद भी नियमानुसार उसके आश्रित को नियुक्ति देय नही होने पर कर्मचारी को आर्थिक नुकसान होने की स्थिति बन सकती है।
उपरोक्त के अलावा कुछ प्रकरण ऐसे भी हो सकते हैं जो नियमो के अर्न्तगत कवर नही हो पाते है, ऐसे प्रकरणो का परीक्षण उक्त नियम 2023 के नियम 14 के अर्न्तगत कार्मिक विभाग के स्तर पर गुणावगुण के आधार पर परीक्षण कर राय प्रदान की जा सकती है।
अनुकम्पा नियुक्ति प्राप्त विधवा महिला एवं निःशक्त कार्मिको को टंकण परीक्षा उत्तीर्ण करने से छूट दी गई है।

राजस्थान सरकार 
वित्त विभाग (नियम प्रभाग)
एफ. 1 (5)वित्त विभाग/नियम/2020                                                  जयपुर दिनांक : 23 Oct. 2020
राजस्थान लेखा सेवा के समस्त अधिकारी।
विषय: राजस्थान सेवा नियम, 1951 के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों पर टिप्पणियों/टिप्पणियों के संबंध में ।
निर्देशानुसार, राजस्थान सेवा नियम, 1951 से संबंधित उत्तरों के साथ 25 और अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न क्रमांक 26 से 50 तैयार किए गए हैं और एक प्रारूप इसके साथ संलग्न है। अनुरोध है कि इन अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों को उत्तरों के साथ पढ़ें और टिप्पणियां/टिप्पणियां osdfrules@rajasthan.gov.in पर 05-11-2020 तक जमा कराएं, ताकि इन अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों को वित्त विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया जा सके।
26. क्या ऐसे परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु सरकारी कर्मचारी को वेतन वृद्धि देय है जो राज्य सरकार की नियमित सेवा में था और उसे पिछले पद के वेतन मैट्रिक्स में उसके स्तर पर वेतन दिया गया था?
एक परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु जो पहले से ही नियमित सरकारी सेवा में था, परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु की अवधि के दौरान मौजूदा वेतनमान में वेतन वृद्धि का हकदार है (यदि वह पुरानी सेवा के मौजूदा वेतनमान का विकल्प चुनता है)।
27. प्रोबेशनर प्रशिक्षण अवधि पूरी होने के बाद नए कर्मचारी को पहली वार्षिक वेतन वृद्धि कब दी जाएगी? 
आरसीएस (आरपी) नियम, 2017 के नियम 13(2) के अनुसार, सफलतापूर्वक परिवीक्षा अवधि पूरी करने पर प्रत्येक नए भर्ती को 1 जुलाई को पहली वार्षिक वेतन वृद्धि दी जाएगी, जो परिवीक्षा अवधि पूरी होने की तारीख के तुरंत बाद होगी। यदि कोई कर्मचारी 30 जून को प्रोबेशनर प्रशिक्षण अवधि पूरी करता है, तो उसे 1 जुलाई को वेतन मैट्रिक्स में स्तर (पहली सेल) के न्यूनतम पर तय किया जाएगा और एक वर्ष पूरा होने के बाद यानी अगली जुलाई में पहली वेतन वृद्धि दी जाएगी। 
28. नियमित सरकारी कर्मचारी द्वारा छुट्टी कैसे अर्जित की जाती है? 
छुट्टी केवल कर्तव्य द्वारा अर्जित की जाती है। इस नियम के प्रयोजन के लिए विदेशी सेवा में बिताई गई अवधि को कर्तव्य के रूप में गिना जाता है यदि ऐसी अवधि के लिए छुट्टी वेतन के लिए अंशदान का भुगतान किया जाता है। 
29. क्या छुट्टी का अधिकार के रूप में दावा किया जा सकता है? 
छुट्टी का अधिकार के रूप में दावा नहीं किया जा सकता है। छुट्टी देने के लिए अधिकृत प्राधिकारी को सार्वजनिक सेवा की आवश्यकताओं के अनुसार किसी भी समय छुट्टी देने से मना करने या रद्द करने का विवेकाधिकार सुरक्षित है; बशर्ते कि सेवानिवृत्ति की तैयारी के लिए आवेदन की गई और देय किसी भी छुट्टी को ऐसे प्राधिकारी द्वारा अस्वीकार नहीं किया जाएगा और इसे सरकार या ऐसे प्राधिकारी द्वारा लिखित रूप में अस्वीकार किया जाएगा, जिसे इस संबंध में शक्तियां सौंपी गई हैं। सरकारी कर्मचारी द्वारा देय और आवेदन की गई छुट्टी की प्रकृति को मंजूरी देने वाले प्राधिकारी के विकल्प पर नहीं बदला जा सकता है, और इसलिए जबकि इस नियम के तहत देय और आवेदन की गई छुट्टी को अस्वीकार करने या रद्द करने के लिए सक्षम प्राधिकारी के पास विकल्प है, ऐसे अवकाश की प्रकृति को बदलने के लिए उसके पास विकल्प नहीं है,
30. सरकारी कर्मचारी को छुट्टी मंजूर करने के लिए कौन सक्षम है?
RSR खंड-II की अनुसूची IX शक्तियों के प्रत्यायोजन का प्रावधान करती है :- अध्ययन अवकाश को छोड़कर कार्यालय प्रमुख अपने अधीन काम करने वाले अधिकारियों के लिए 4 महीने तक की छुट्टी मंजूर करने के लिए सक्षम है।
मातृत्व अवकाश के मामले में, कार्यालय प्रमुख 180 दिनों तक की मातृत्व अवकाश मंजूर करने के लिए सक्षम है। 
विभागाध्यक्ष अपने अधीन कार्यरत राजपत्रित अधिकारियों के अलावा अन्य स्टाफ सदस्यों को अवकाश स्वीकृत करने के लिए पूर्ण रूप से सक्षम है। राजपत्रित अधिकारियों के मामले में उन्हें पूर्ण अधिकार हैं, जिसके तहत वे मौलिक नियुक्ति कर सकते हैं तथा अन्य मामलों में केवल 4 महीने तक अवकाश स्वीकृत किया जा सकता है।
प्रशासनिक विभाग विभाग के कर्मचारियों को अध्ययन अवकाश स्वीकृत करने के लिए पूर्ण रूप से सक्षम है। 31. सरकारी कर्मचारी को अध्ययन अवकाश स्वीकृत करने के लिए कौन सक्षम है? 
RSR Voll-ll की अनुसूची IX शक्तियों के प्रत्यायोजन का प्रावधान करती है;- प्रशासनिक विभाग विभाग के कर्मचारियों को अध्ययन अवकाश स्वीकृत करने के लिए पूर्ण रूप से सक्षम है। विभागाध्यक्ष अराजपत्रित सरकारी कर्मचारी के संबंध में अध्ययन अवकाश स्वीकृत करने के लिए पूर्ण रूप से सक्षम है।
32. किसी सरकारी कर्मचारी को दी जाने वाली किसी भी प्रकार की छुट्टी की अधिकतम अवधि क्या है?
किसी भी सरकारी कर्मचारी को लगातार 5 वर्ष की अवधि के लिए किसी भी प्रकार की छुट्टी नहीं दी जाएगी। {RSR का नियम 23(1)
33. छुट्टी के लिए आवेदन किसके समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए?
छुट्टी या छुट्टी के विस्तार के लिए आवेदन, ऐसी छुट्टी या विस्तार प्रदान करने के लिए सक्षम प्राधिकारी को किया जाना चाहिए।
34. यदि कोई सरकारी कर्मचारी छुट्टी की मंजूरी के बिना ड्यूटी से अनुपस्थित रहता है तो इसका क्या प्रभाव होगा?
कोई सरकारी कर्मचारी जो छुट्टी के बिना या आवेदन किए गए अवकाश को सक्षम प्राधिकारी द्वारा स्वीकृत किए जाने से पहले ड्यूटी से अनुपस्थित रहता है, उसे जानबूझकर ड्यूटी से अनुपस्थित माना जाएगा और ऐसी अनुपस्थिति सेवा में बाधा मानी जाएगी जिसमें पिछली सेवा का नुकसान शामिल होगा, जब तक कि संतोषजनक कारण प्रस्तुत किए जाने पर, अनुपस्थिति को छुट्टी के अनुदान द्वारा नियमित नहीं किया जाता है या छुट्टी स्वीकृत करने के लिए सक्षम प्राधिकारी द्वारा असाधारण छुट्टी में परिवर्तित नहीं किया जाता है। (आरएसआर का नियम 86(1))
35. यदि कोई सरकारी कर्मचारी बिना छुट्टी स्वीकृत किए ड्यूटी से अनुपस्थित रहता है तो मुख्य दंड क्या है ?
आरएसआर के नियम 86 के उप-नियम (1) और (2) में निहित प्रावधानों के बावजूद अनुशासनात्मक प्राधिकारी राजस्थान सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण और अपील) नियमों के तहत ऐसे सरकारी कर्मचारी के खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू कर सकता है जो जानबूझकर एक महीने से अधिक अवधि के लिए ड्यूटी से अनुपस्थित रहता है और यदि उसके खिलाफ ड्यूटी से जानबूझकर अनुपस्थित रहने का आरोप साबित होता है, तो उसे सेवा से हटाया जा सकता है।
36. ड्यूटी से जानबूझकर अनुपस्थित रहने को मान्यता न दिए जाने पर क्या कार्रवाई की जाती है?
ड्यूटी से जानबूझकर अनुपस्थित रहने पर, भले ही छुट्टी स्वीकृत न की गई हो, ग्रहणाधिकार समाप्त नहीं होता है। छुट्टी स्वीकृत न की गई अनुपस्थिति की अवधि को सभी उद्देश्यों, जैसे वेतन वृद्धि, छुट्टी और पेंशन के लिए 'अधूरी' अवधि माना जाएगा। बिना छुट्टी के ऐसी अनुपस्थिति, जहां यह अकेले हो तथा किसी प्राधिकृत छुट्टी के क्रम में न हो, पेंशन के प्रयोजन के लिए सेवा में व्यवधान मानी जाएगी तथा सम्पूर्ण पिछली सेवा जब्त हो जाएगी।
37. क्या मेडिकल सर्टिफिकेट पर छुट्टी लेने वाला सरकारी कर्मचारी बिना फिटनेस का मेडिकल सर्टिफिकेट पेश किए ड्यूटी पर वापस आ सकता है? मेडिकल सर्टिफिकेट पर छुट्टी लेने वाला सरकारी कर्मचारी तब तक ड्यूटी पर वापस नहीं आ सकता जब तक कि वह आरएसआर के नियम 83 के तहत निर्धारित फॉर्म में फिटनेस का मेडिकल सर्टिफिकेट पेश न कर दे। 
38. क्या सरकारी कर्मचारी नियत तिथि से पहले छुट्टी से वापस आ सकता है? 
छुट्टी पर गया सरकारी कर्मचारी उसे दी गई छुट्टी की अवधि समाप्त होने से पहले ड्यूटी पर वापस नहीं आ सकता, जब तक कि उसे छुट्टी देने वाले प्राधिकारी द्वारा ऐसा करने की अनुमति न दी जाए। 
39. क्या एक छुट्टी को अन्य प्रकार की छुट्टी के साथ जोड़ा जा सकता है? 
किसी भी प्रकार की छुट्टी किसी अन्य प्रकार की छुट्टी के संयोजन में या उसके क्रम में दी जा सकती है। आकस्मिक छुट्टी को नियमित छुट्टी के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है, लेकिन प्रतिबंधित छुट्टियों (आरएच) को नियमित छुट्टी या आकस्मिक छुट्टी के साथ जोड़ा या जोड़ा जा सकता है। 
40. एक सरकारी कर्मचारी एक वर्ष में कितनी PL छुट्टी अर्जित करता है और संचय की अधिकतम सीमा क्या है? 
एक सरकारी कर्मचारी, चाहे वह अस्थायी हो या स्थायी, एक कैलेंडर वर्ष में 30 दिनों का PL अवकाश पाने का हकदार होगा।
सामान्यतया एक सरकारी कर्मचारी अधिकतम 300 दिनों की अवधि तक अवकाश संचित करने का हकदार होगा।
41. एक सरकारी कर्मचारी के पी.एल. खाते में विशेषाधिकार अवकाश कैसे जमा किया जाएगा?
प्रत्येक सरकारी कर्मचारी के अवकाश खाते में, उप-नियम (1) के खंड (ख) में दिए गए अनुसार, प्रत्येक कैलेंडर वर्ष के जनवरी और जुलाई के पहले दिन, 15 दिनों की दो किस्तों में या आर.ए.सी. के मामले में 21 दिनों की दो किस्तों में, चाहे वह सम या विषम वर्ष हो, विशेषाधिकार अवकाश अग्रिम रूप से जमा किया जाएगा।
42. एक सरकारी कर्मचारी, जो कैलेंडर वर्ष के दौरान परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु अवधि पूरी करता है, विशेषाधिकार अवकाश कैसे अर्जित करेगा?
एक सरकारी कर्मचारी, आर.ए.सी. के मामले में .2-1/2 दिन या 3-1/2 दिन की दर से विशेषाधिकार अवकाश अर्जित करेगा। भारतीय रिजर्व बटालियन में प्रतिनियुक्ति पर तैनात कार्मिक को, आधे वर्ष में अपनी सेवा के प्रत्येक पूरे हुए महीने के लिए, जिसमें वह परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु अवधि पूरी करता है, 43. सेवानिवृत्ति के समय विशेषाधिकार अवकाश खाते में अंश को किस प्रकार माना जाएगा? यदि सेवानिवृत्ति के समय अप्रयुक्त विशेषाधिकार अवकाश में दिन का कोई अंश है, तो आधे से कम दिन के अंश को अनदेखा कर दिया जाना चाहिए और आधे या उससे अधिक अंश को एक दिन के रूप में गिना जाना चाहिए। 44. यदि कोई सरकारी कर्मचारी छुट्टी पर रहता है, तो क्या विशेषाधिकार अवकाश काटा जाएगा? 
यदि कोई सरकारी कर्मचारी असाधारण अवकाश के अलावा किसी अन्य प्रकार के अवकाश पर रहता है, तो अवकाश शेष में कोई कटौती नहीं की जाएगी। यदि कोई सरकारी कर्मचारी आधे वर्ष में असाधारण अवकाश पर रहता है, तो उस आधे वर्ष के दौरान असाधारण अवकाश की अवधि के दसवें हिस्से की दर से कटौती की जाएगी, जो आर.ए.सी. कार्मिक के मामले में अधिकतम 15 दिन या 21 दिन होगी। 
45. शिक्षण कर्मचारियों के पी.एल. खाते में विशेषाधिकार अवकाश कैसे जमा किया जाएगा? 
स्कूलों, पॉलिटेक्निक, कला और विज्ञान, कॉलेजों में शिक्षण स्टाफ एक कैलेंडर वर्ष में 15 दिनों के विशेषाधिकार अवकाश के हकदार होंगे। प्रत्येक सरकारी कर्मचारी के अवकाश खाते में प्रत्येक कैलेंडर वर्ष की समाप्ति के तुरंत बाद 15 दिनों का विशेषाधिकार अवकाश जमा किया जाएगा।
46. एक परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु द्वारा कितना आकस्मिक अवकाश लिया जा सकता है?
परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु एक कैलेंडर वर्ष में 15 दिनों के आकस्मिक अवकाश के लिए पात्र होगा और एक कैलेंडर वर्ष से कम की अवधि के लिए यह पूरे किए गए महीनों के आधार पर आनुपातिक रूप से स्वीकार्य होगा।
47. एक परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु द्वारा परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु अवधि के दौरान कौन-कौन से अवकाश लिए जा सकते हैं?
नियम 122 ए के अनुसार
(i) परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु को परिवीक्षा अवधि के दौरान कोई अवकाश नहीं मिलेगा।
इसलिए परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु को परिवीक्षा अवधि के दौरान विशेषाधिकार अवकाश और अर्ध वेतन अवकाश नहीं मिलेगा। ■
(ii) महिला परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु को राजस्थान सेवा नियम, 1951 के नियम 103 और 104 के अनुसार मातृत्व अवकाश प्रदान किया जाएगा
(iii) पुरुष परिवीक्षाधीन-प्रशिक्षु को राजस्थान सेवा नियम, 1951 के नियम 103 ए के अनुसार पितृत्व अवकाश प्रदान किया जाएगा
48. क्या परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु परिवीक्षा अवधि के दौरान असाधारण अवकाश का लाभ उठा सकते हैं?
परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु को ज्ञापन संख्या 1(2) FD/नियम/2006 Pt.I दिनांक 06-01-2020 के FD(नियम) के अनुसार जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार असाधारण अवकाश प्रदान किया जाएगा!
49. क्या परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु परिवीक्षा अवधि के दौरान बाल देखभाल अवकाश का लाभ उठा सकते हैं?
परिवीक्षा अवधि के दौरान परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु को बाल देखभाल अवकाश सामान्यतः प्रदान नहीं किया जाएगा। तथापि, विशेष परिस्थितियों में यदि अवकाश परिवीक्षा अवधि के दौरान स्वीकृत किया जाता है तो परिवीक्षा अवधि को अवकाश स्वीकृत की गई अवधि के समतुल्य अवधि के लिए बढ़ाया जाएगा।
बाल देखभाल अवकाश की अवधि के दौरान, एक महिला सरकारी कर्मचारी और एक एकल पुरुष सरकारी कर्मचारी अवकाश पर जाने से ठीक पहले प्राप्त वेतन (निर्धारित पारिश्रमिक/पूर्व पद का नियमित वेतन) के बराबर अवकाश वेतन का हकदार होगा।
50. क्या एक परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु, जो पहले से ही राज्य सरकार की नियमित सेवा में है, परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु के 2 वर्ष की अवधि के दौरान अपने पिछले पद की देय छुट्टी का लाभ लेने का हकदार है?
हां, इसका निर्णय नियंत्रण प्राधिकारी द्वारा किया जाना है।