परिवहन- यात्रियों व सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने व ले जाने की प्रकिया परिवहन कहलाती है
परिवहन और संचार दो ऐसे क्षेत्र हैं जो एक देश की जीवन रेखाओं को संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये साधन लोगों को एक दूसरे के साथ संवाद करने, साथ में रहने, और व्यापारिक गतिविधियों में भाग लेने की सुविधा प्रदान करते हैं।
वस्तुओं तथा सेवाओं के आपूर्ति स्थानों से माँग स्थानों तक ले जाने हेतु परिवहन की आवश्यकता होती है।
जो व्यक्ति उत्पाद को परिवहन द्वारा उपभोक्ताओं तक पहुँचाते हैं उन्हें व्यापारी कहा जाता है।
जो व्यक्ति उत्पाद को परिवहन द्वारा उपभोक्ताओं तक पहुँचाते हैं उन्हें व्यापारी कहा जाता है।
पहले व्यापार तथा परिवहन सुविधा एक सीमित क्षेत्र तक ही किया जाता था। विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के विकास के साथ व्यापार व परिवहन के प्रभाव क्षेत्र में विस्तृत वृद्धि हुई है। सक्षम व तीव्र गति वाले परिवहन से आज संसार एक बड़े गाँव में परिवर्तित हो गया है। परिवहन का यह विकास संचार साधनों के विकास की सहायता से ही संभव हो सका है। इसीलिए परिवहन,संचार व व्यापार एक दूसरे के पूरक हैं।
मानव विभिन्न वस्तुओं और पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए भिन्न विधियों (विधाओं) का प्रयोग करता है। परिवहन की निम्लिखित विधाएं है
1. स्थल परिवहन 2. जल परिवहन 3. वायु परिवहन
स्थल परिवहनमानव विभिन्न वस्तुओं और पदार्थों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए भिन्न विधियों (विधाओं) का प्रयोग करता है। परिवहन की निम्लिखित विधाएं है
1. स्थल परिवहन 2. जल परिवहन 3. वायु परिवहन
भारत विश्व का दूसरा सर्वाधिक सड़क जाल वाला देश है भारत में सड़क परिवहन, रेल परिवहन से अधिक सुविधाजनक है। रेल परिवहन की अपेक्षा सड़क परिवहन की बढ़ती महत्ता निम्न कारणों से है
रेलवे लाइन की अपेक्षा सड़कों की निर्माण लागत बहुत कम है।
अपेक्षाकृत उबड़-खाबड़ व विच्छिन्न भू-भागों पर सड़कें बनाई जा सकती हैं।
अधिक ढाल प्रवणता तथा पहाड़ी क्षेत्रों में भी सड़कें निर्मित की जा सकती हैं।
अपेक्षाकृत कम व्यक्तियों, कम दूरी व कम वस्तुओं के परिवहन में सड़क मितव्ययी है।
यह घर-घर सेवाएँ उपलब्ध करवाता है तथा सामान चढ़ाने व उतारने की लागत भी अपेक्षाकृत कम है।
सड़क परिवहन, अन्य परिवहन साधनों के उपयोग में एक कड़ी के रूप में कार्य करता है, जैसे सड़कें, रेलवे स्टेशन, वायु व समुद्री पत्तनों को जोड़ती हैं।
भारत में सड़कों की सक्षमता के आधार पर इन्हें निम्न छः वर्गों में वर्गीकृत किया गया है।
स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग - भारत सरकार ने दिल्ली-कोलकत्ता, चेन्नई-मुंबई व दिल्ली को जोड़ने वाली 6 लेन वाली महा राजमार्गों की सड़क परियोजना प्रारंभ की है। इस परियोजना के तहत दो गलियारे प्रस्तावित हैं प्रथम उत्तर-दक्षिण गलियारा जो श्रीनगर को कन्याकुमारी से जोड़ता है तथा द्वितीय जो पूर्व-पश्चिम गलियारा जो सिलचर (असम) तथा पोरबंदर (गुजरात) को जोड़ता है। इस महा राजमार्ग का प्रमुख उद्देश्य भारत के मेगासिटी के मध्य की दूरी व परिवहन समय को न्यूनतम करना है। यह राजमार्ग परियोजना - भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में है
राष्ट्रीय राजमार्ग - राष्ट्रीय राजमार्ग देश के दूरस्थ भागों को जोड़ते हैं। ये प्राथमिक सड़क तंत्र हैं।
राज्य राजमार्ग - राज्यों की राजधानियों को जिला मुख्यालयों से जोड़ने वाली सड़कें राज्य राजमार्ग कहलाती हैं।
जिला मार्ग - ये सड़कें जिले के विभिन्न प्रशासनिक केंद्रों को जिला मुख्यालय से जोड़ती हैं।
अन्य सड़कें -इस वर्ग के अंतर्गत वे सड़कें आती हैं जो ग्रामीण क्षेत्रों तथा गाँवों को शहरों से जोड़ती हैं।
‘प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क परियोजना’ के तहत इन सड़कों के विकास को विशेष प्रोत्साहन मिला है। इस
परियोजना में देश के प्रत्येक गाँव को प्रमुख शहरों से पक्की सड़कों द्वारा जोड़ना प्रस्तावित है।
सीमांत सड़कें - भारत सरकार प्राधिकरण के अधीन सीमा सड़क संगठन है जो देश के सीमांत क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण व उनकी देख-रेख करता है। यह संगठन 1960 में बनाया गया जिसका कार्य उत्तर तथा उतरी-पूर्वी क्षेत्रों में सामरिक महत्त्व की सड़कों का विकास करना था।
अटल टनल - विश्व की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग- अटल टनल (9.02 किलोमीटर) सीमा सड़क संगठन द्वारा बनाई गयी है। यह सुरंग पूरे साल मनाली को लाहौल-स्पीति घाटी से जोड़ती है।
रेल परिवहन
भारत में रेल परिवहन, वस्तुओं तथा यात्रियों के परिवहन का प्रमुख साधन है। रेल परिवहन अनेक कार्यों में सहायक है जैसे - व्यापार, भ्रमण, तीर्थ यात्रएँ व लंबी दूरी तक सामान का परिवहन आदि। भारतीय रेलवे देश की अर्थव्यवस्था, उद्योगों व कृषि के तीव्र गति से विकास के लिए उत्तरदायी है।
भारतीय रेल परिवहन देश का सर्वाधिक बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का प्राधिकरण है। देश की पहली रेलगाड़ी 1853 में मुंबई और थाणे के मध्य चलाई गई जो 34 किमी. की दूरी तय करती थी। भारतीय रेल परिवहन को 17 रेल प्रखंडों में पुनःसंकलित किया गया है।
देश में रेल परिवहन के वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों में भू-आकृतिक, आर्थिक व प्रशासकीय कारक प्रमुख हैं।
भारत में रेल परिवहन, वस्तुओं तथा यात्रियों के परिवहन का प्रमुख साधन है। रेल परिवहन अनेक कार्यों में सहायक है जैसे - व्यापार, भ्रमण, तीर्थ यात्रएँ व लंबी दूरी तक सामान का परिवहन आदि। भारतीय रेलवे देश की अर्थव्यवस्था, उद्योगों व कृषि के तीव्र गति से विकास के लिए उत्तरदायी है।
भारतीय रेल परिवहन देश का सर्वाधिक बड़ा सार्वजनिक क्षेत्र का प्राधिकरण है। देश की पहली रेलगाड़ी 1853 में मुंबई और थाणे के मध्य चलाई गई जो 34 किमी. की दूरी तय करती थी। भारतीय रेल परिवहन को 17 रेल प्रखंडों में पुनःसंकलित किया गया है।
देश में रेल परिवहन के वितरण को प्रभावित करने वाले कारकों में भू-आकृतिक, आर्थिक व प्रशासकीय कारक प्रमुख हैं।
उत्तरी मैदान अपनी विस्तृत समतल भूमि, सघन जनसंख्या घनत्व, संपन्न कृषि व प्रचुर संसाधनों के कारण रेल परिवहन के विकास व वृद्धि में सहायक रहा है, यद्यपि असंख्य नदियों के विस्तृत जल मार्गों पर पुलों के निर्माण में कुछ बाधाएँ आई हैं।
प्रायद्वीप भारत में, रेलमार्ग उबड़-खाबड़ पहाड़ी क्षेत्रों, छोटी पहाड़ियों और सुरंगों आदि से होकर गुजरते हैं। हिमालय पर्वतीय क्षेत्र भी दुर्लभ उच्चावच, विरल जनसंख्या तथा आर्थिक अवसरों की कमी के कारण रेलवे लाइन के निर्माण में प्रतिकुल परिस्थितियाँ उत्पन्न करता है।
पश्चिमी राजस्थान, गुजरात के दलदली भाग, मध्यप्रदेश के वन-क्षेत्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा व झारखंड में रेल लाइन निर्माण करना कठिन है।
सह्याद्रि तथा उससे सन्निध क्षेत्र को भी घाट या दर्रों के द्वारा ही पार कर पाना संभव है। कुछ वर्ष पहले भारत के महत्त्वपूर्ण आर्थिक क्षेत्र में पश्चिमी तट के साथ कोंकण रेलवे के विकास ने यात्री व वस्तुओं के आवागमन को सुविधाजनक बनाया है।
रेल परिवहन की समस्याए
रेल परिवहन की समस्याए
भूस्खलन तथा किसी-किसी भाग में रेलवे ट्रैक का धँसना
बहुत से यात्री बिना टिकट यात्र करते हैं।
रेल संपत्ति की हानि तथा चोरी जैसी समस्याएँ भी पूर्णतया समाप्त नहीं हुई हैं।
जंजीर खींच कर यात्री कहीं भी अनावश्यक रूप से गाड़ीरोकते हैं, जिससे रेलवे को भारी हानि उठानी पड़ती है।
पाइपलाइन
पाइपलाइन एक नया परिवहन का साधन है। पाइपलाइन का उपयोग कच्चा तेल, पेट्रोल उत्पाद तथा तेल से प्राप्त प्राकृतिक गैस गैस शोधनशालाओं, उर्वरक कारखानों व बड़े ताप विद्युत गृहों तक पहुँचाने में किया जाता है। ठोस पदार्थों को तरल अवस्था में परिवर्तित कर पाइपलाइनों द्वारा ले जाया जाता है। सुदूर आंतरिक भागों में स्थित शोधनशालाएँ जैसे बरौनी, मथुरा, पानीपत तथा गैस पर आधारित उर्वरक कारखानों की स्थापना पाइपलाइनों के जाल के कारण ही संभव हो पाई है। पाइपलाइन बिछाने की प्रारंभिक लागत अधिक है लेकिन इसको चलाने की लागत न्यूनतम है। वाहनांतरण देरी तथा हानियाँ इसमें लगभग नहीं के बराबर है।
देश में पाइपलाइन परिवहन के तीन प्रमुख जाल हैं
असम के तेल क्षेत्रों से गुवाहाटी, बरौनी व इलाहाबाद के रास्ते कानपुर (उत्तर प्रदेश) तक। इसकी एक शाखा बरौनी से राजबंध होकर हल्दिया तक है दूसरी राजबंध से मौरी ग्राम तक तथा गुवाहाटी से सिलिगुड़ी तक है।
गुजरात में सलाया से वीरमगाँव, मथुरा, दिल्ली व सोनीपत के रास्ते पंजाब में जालंधर तक। इसकी अन्य शाखा वडोदरा के निकट कोयली को चक्शु व अन्यस्थानों से जोड़ती है।
1,700 किलोमीटर लंबी हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर (एच.वी.जे.) क्रोस कंट्री गैस पाइपलाइन, मुंबई हाई और बेसीन गैस क्षेत्रों को पश्चिमी और उत्तरी भारत के विभिन्न उर्वरक, बिजली और औद्योगिक परिसरों से जोड़ती है।
जल परिवहन
जल परिवहन, परिवहन का सबसे सस्ता साधन है। यह भारी व स्थूलकाय वस्तुएँ ढोने में अनुकूल है। यह परिवहन साधनों में ऊर्जा सक्षम तथा पर्यावरण अनुकूल हैं। भारत में अंतः स्थलीय नौसंचालन जलमार्ग 14500 किमी. लंबा है। इसमें केवल 5685 किमी. मार्ग ही मशीनीकृत नौकाओं द्वारा तय किया जाता है।
राष्ट्रीय जलमार्ग
हल्दिया तथा इलाहाबाद के मध्य गंगा जलमार्ग जो 1620 किमी. लंबा है - नौगम्य जलमार्ग संख्या-1
सदिया व धुबरी के मध्य 891 किमी. लंबा ब्रह्मपुत्र नदी जल मार्ग - नौगम्य जलमार्ग संख्या-2
केरल में पश्चिम-तटीय नहर (कोट्टापुरम से कोल्लमतक, उद्योगमंडल तथा चंपक्कारा नहरें - 205 किमी.) - नौगम्य जलमार्ग संख्या-3
काकीनाडा और पुदुच्चेरी नहर स्ट्रेच के साथ-साथ गोदावरी और कृष्णा नदी का विशेष विस्तार (1078 किमी.)- राष्ट्रीयजलमार्ग-4.
मातई नदी, महानदी के डेल्टा चैनल, ब्राह्मणी नदी और पूर्वी तटीय नहर के साथ- ब्रह्माणी नदी का विशेष विस्तार- (588 किमी.)-राष्ट्रीय जलमार्ग-5.
प्रमुख समुद्री पत्तन
भारत की 7,516.6 किमी. लंबी समुद्री तट रेखा के साथ 12 प्रमुख तथा 200 मध्यम व छोटे पत्तन हैं। ये प्रमुख पत्तन देश का 95 प्रतिशत विदेशी व्यापार संचालित करते हैं।
बहुत से यात्री बिना टिकट यात्र करते हैं।
रेल संपत्ति की हानि तथा चोरी जैसी समस्याएँ भी पूर्णतया समाप्त नहीं हुई हैं।
जंजीर खींच कर यात्री कहीं भी अनावश्यक रूप से गाड़ीरोकते हैं, जिससे रेलवे को भारी हानि उठानी पड़ती है।
पाइपलाइन
पाइपलाइन एक नया परिवहन का साधन है। पाइपलाइन का उपयोग कच्चा तेल, पेट्रोल उत्पाद तथा तेल से प्राप्त प्राकृतिक गैस गैस शोधनशालाओं, उर्वरक कारखानों व बड़े ताप विद्युत गृहों तक पहुँचाने में किया जाता है। ठोस पदार्थों को तरल अवस्था में परिवर्तित कर पाइपलाइनों द्वारा ले जाया जाता है। सुदूर आंतरिक भागों में स्थित शोधनशालाएँ जैसे बरौनी, मथुरा, पानीपत तथा गैस पर आधारित उर्वरक कारखानों की स्थापना पाइपलाइनों के जाल के कारण ही संभव हो पाई है। पाइपलाइन बिछाने की प्रारंभिक लागत अधिक है लेकिन इसको चलाने की लागत न्यूनतम है। वाहनांतरण देरी तथा हानियाँ इसमें लगभग नहीं के बराबर है।
देश में पाइपलाइन परिवहन के तीन प्रमुख जाल हैं
असम के तेल क्षेत्रों से गुवाहाटी, बरौनी व इलाहाबाद के रास्ते कानपुर (उत्तर प्रदेश) तक। इसकी एक शाखा बरौनी से राजबंध होकर हल्दिया तक है दूसरी राजबंध से मौरी ग्राम तक तथा गुवाहाटी से सिलिगुड़ी तक है।
गुजरात में सलाया से वीरमगाँव, मथुरा, दिल्ली व सोनीपत के रास्ते पंजाब में जालंधर तक। इसकी अन्य शाखा वडोदरा के निकट कोयली को चक्शु व अन्यस्थानों से जोड़ती है।
1,700 किलोमीटर लंबी हजीरा-विजयपुर-जगदीशपुर (एच.वी.जे.) क्रोस कंट्री गैस पाइपलाइन, मुंबई हाई और बेसीन गैस क्षेत्रों को पश्चिमी और उत्तरी भारत के विभिन्न उर्वरक, बिजली और औद्योगिक परिसरों से जोड़ती है।
जल परिवहन
जल परिवहन, परिवहन का सबसे सस्ता साधन है। यह भारी व स्थूलकाय वस्तुएँ ढोने में अनुकूल है। यह परिवहन साधनों में ऊर्जा सक्षम तथा पर्यावरण अनुकूल हैं। भारत में अंतः स्थलीय नौसंचालन जलमार्ग 14500 किमी. लंबा है। इसमें केवल 5685 किमी. मार्ग ही मशीनीकृत नौकाओं द्वारा तय किया जाता है।
राष्ट्रीय जलमार्ग
हल्दिया तथा इलाहाबाद के मध्य गंगा जलमार्ग जो 1620 किमी. लंबा है - नौगम्य जलमार्ग संख्या-1
सदिया व धुबरी के मध्य 891 किमी. लंबा ब्रह्मपुत्र नदी जल मार्ग - नौगम्य जलमार्ग संख्या-2
केरल में पश्चिम-तटीय नहर (कोट्टापुरम से कोल्लमतक, उद्योगमंडल तथा चंपक्कारा नहरें - 205 किमी.) - नौगम्य जलमार्ग संख्या-3
काकीनाडा और पुदुच्चेरी नहर स्ट्रेच के साथ-साथ गोदावरी और कृष्णा नदी का विशेष विस्तार (1078 किमी.)- राष्ट्रीयजलमार्ग-4.
मातई नदी, महानदी के डेल्टा चैनल, ब्राह्मणी नदी और पूर्वी तटीय नहर के साथ- ब्रह्माणी नदी का विशेष विस्तार- (588 किमी.)-राष्ट्रीय जलमार्ग-5.
प्रमुख समुद्री पत्तन
भारत की 7,516.6 किमी. लंबी समुद्री तट रेखा के साथ 12 प्रमुख तथा 200 मध्यम व छोटे पत्तन हैं। ये प्रमुख पत्तन देश का 95 प्रतिशत विदेशी व्यापार संचालित करते हैं।
प्रमुख समुद्री पत्तन / Major sea ports
मुंबई पत्तन (महाराष्ट्र) - मुंबई वृहत्तम पत्तन है मुंबई पत्तन के अधिक परिवहन को ध्यान में रखकर इसके सामने जवाहरलाल नेहरू पत्तन विकसित किया गया
कांडला (दीनदयाल पत्तन):
स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात् कच्छ में कांडला पहले पत्तन के रूप में विकसित किया गया। ऐसा देश विभाजन से कराची पत्तन जो पाकिस्तान में शामिल हो गया था उसकी कमी को पूरा करने तथा मुंबई पत्तन से होने वाले व्यापारिक दबाव को कम करने के लिए किया गया था। कांडला जिसे दीनदयाल पत्तन के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ज्वारीय पत्तन है। यह जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान व गुजरात के औद्योगिकतथा खाद्यान्नों के आयात-निर्यात को संचालित करता है।
मार्मगोवा पत्तन (गोवा) - मार्मगोवा पत्तन लौह-अयस्क के निर्यात के संदर्भ में महत्त्वपूर्ण पत्तन है। यहाँ से देश के कुल निर्यात का आधा लौह-अयस्क निर्यात किया जाता है।
न्यू-मैंगलोर पत्तन (कर्नाटक) - कर्नाटक में स्थित न्यू-मैंगलोर पत्तन कुद्रेमुख खानों से निकले लौह-अयस्क का निर्यात करता है।
कोची पत्तन (केरल) - यह एक लैगून के मुहाने पर स्थित एक प्राकृतिक पोताश्रय है।
तुतीकोरन पत्तन (तमिलनाडु) : यह एक प्राकृतिक पोताश्रय है यह पत्तन हमारे पड़ोसी देशों जैसे -श्रीलंका, मालदीव आदि तथा भारत के तटीय क्षेत्रों की भिन्न वस्तुओं के व्यापार को संचालित करता है।
चेन्नई पत्तन (तमिलनाडु) - सबसे पुराना प्राकृतिक पत्तन है। व्यापार की मात्रा तथा लदे सामान के संदर्भ में इसका मुंबई के बाद दूसरा स्थान है।
विशाखापट्टनम पत्तन(आंध्र प्रदेश) : यह स्थल से घिरा, गहरा व सुरक्षित पत्तन है। प्रारम्भ में यह पत्तन लौह-अयस्क निर्यातक के रूप में विकसित किया गया था।
पारादीप पत्तन (ओडिशा ) : ओडिशा में स्थित पारादीप पत्तन विशेषतः लौह-अयस्क का निर्यात करता है।
कोलकाता पत्तन (पश्चिम बंगाल) : यह एक अंतः स्थलीय नदीय पत्तन है। ज्वारीय पत्तन होने के कारण तथा हुगली के तलछट जमाव से इसे नियमित रूप से साफ करना पड़ता है।
हाल्दिया (पश्चिम बंगाल)- कोलकाता पत्तन पर बढ़ते व्यापार को कम करने हेतु हल्दिया सहायक पत्तन के रूप में विकसित किया गया है।
वायु परिवहन
वायु परिवहन तीव्रतम, आरामदायक व प्रतिष्ठित परिवहन का साधन है। इसके द्वारा अति दुर्गम स्थानों जैसे ऊँचे पर्वत, मरुस्थलों, घने जंगलों व लंबे समुद्री रास्तों को सुगमता से पार किया जा सकता है।
पवन हंस हेलीकाप्टर लिमिटेड, तेल व प्राकृतिक गैस आयोग को इसकी अपतटीय संक्रियाओं में तथा अगम्य व दुर्लभ भू-भागों जैसे उत्तरी-पूर्वी राज्यों तथा जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखण्ड के आंतरिक क्षेत्रों में हेलीकाप्टर सेवाएँ उपलब्ध करवाता है।
उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) विश्व स्तर पर अपनी तरह की पहली योजना है, जिसे क्षेत्रीय विमानन बाजार में तेजी लाने के लिए डिजाइन किया गया है। आम नागरिक के लिए उड़ान को किफायती बनाकर क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए नागर विमानन मंत्रलय, द्वारा क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (RCS) - उड़ान की कल्पनाकी गई थी। योजना का मुख्य विचार सक्षम नीतियों और प्रोत्साहनों के माध्यम से एयरलाइनों को क्षेत्रीय और दूरस्थ मार्गों पर उड़ानें संचालित करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
वायु परिवहन तीव्रतम, आरामदायक व प्रतिष्ठित परिवहन का साधन है। इसके द्वारा अति दुर्गम स्थानों जैसे ऊँचे पर्वत, मरुस्थलों, घने जंगलों व लंबे समुद्री रास्तों को सुगमता से पार किया जा सकता है।
पवन हंस हेलीकाप्टर लिमिटेड, तेल व प्राकृतिक गैस आयोग को इसकी अपतटीय संक्रियाओं में तथा अगम्य व दुर्लभ भू-भागों जैसे उत्तरी-पूर्वी राज्यों तथा जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखण्ड के आंतरिक क्षेत्रों में हेलीकाप्टर सेवाएँ उपलब्ध करवाता है।
उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) विश्व स्तर पर अपनी तरह की पहली योजना है, जिसे क्षेत्रीय विमानन बाजार में तेजी लाने के लिए डिजाइन किया गया है। आम नागरिक के लिए उड़ान को किफायती बनाकर क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए नागर विमानन मंत्रलय, द्वारा क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (RCS) - उड़ान की कल्पनाकी गई थी। योजना का मुख्य विचार सक्षम नीतियों और प्रोत्साहनों के माध्यम से एयरलाइनों को क्षेत्रीय और दूरस्थ मार्गों पर उड़ानें संचालित करने के लिए प्रोत्साहित करना है।
संचार सेवाएँ
संदेश प्राप्तकर्ता या संदेश भेजने वाले के गतिविहीन रहते हुए भी लंबी दूरी का संचार बहुत आसान है। निजी दूरसंचार तथा जनसंचार में दूरदर्शन, रेडियो, समाचार-पत्र समूह, प्रेस तथा सिनेमा, आदि देश के प्रमुख संचार साधन हैं।
डाक-संचार- भारत का डाक-संचार तंत्र विश्व का वृहत्तम है। यह पार्सल, निजी पत्र व्यवहार तथा तार आदि को संचालित करता है। कार्ड व लिफाफा बंद चिट्ठी, पहली श्रेणी की डाक समझी जाती है तथा विभिन्न स्थानों पर वायुयान द्वारा पहुँचाए जाते हैं। द्वितीय श्रेणी की डाक में रजिस्टर्ड पैकेट, किताबें, अखबार तथा मैगशीन शामिल हैं। ये धरातलीय डाक द्वारा पहुँचाए जाते हैं तथा इनके लिए स्थल व जल परिवहन का प्रयोग किया जाता है। बड़े शहरों व नगरों में डाक-संचार में शीघ्रता हेतु, हाल ही में छः डाक मार्ग बनाए गए हैं। इन्हें राजधानी मार्ग, मेट्रो चैनल, ग्रीन चैनल, व्यापार चैनल, भारी चैनल तथा दस्तावेज चैनल के नाम से जाना जाता है।
दूर संचार-तंत्र में भारत एशिया महाद्वीप में अग्रणी है। नगरीय क्षेत्रों के अतिरिक्त, भारत के दो तिहाई से अधिक गाँव एस टी डी दूरभाष सेवा से जुड़े हैं। सूचनाओं के प्रसार को आधार स्तर से उच्च स्तर तक समृद्ध करने हेतु भारत सरकार ने देश के प्रत्येक गाँव में चौबीस घंटे एस टी डी सुविधा के विशेष प्रबंध किये हैं। जन-संचार, मानव को मनोरंजन के साथ बहुत से राष्ट्रीय कार्यक्रमों व नीतियों के विषय में जागरूक करता है। इसमें रेडियो, दूरदर्शन, समाचार-पत्र, पत्रिकाएँ, किताबें तथा चलचित्र सम्मिलित हैं।
आकाशवाणी (आल इंडिया रेडियो) राष्ट्रीय, क्षेत्रीय तथा स्थानीय भाषा में देश के विभिन्न भागों में अनेक वर्गों के व्यक्तियों के लिए विविध कार्यक्रम प्रसारित करता है।
दूरदर्शन, देश का राष्ट्रीय समाचार व संदेश माध्यम है तथा विश्व के बृहत्तम संचार-तंत्र में एक है। यह विभिन्न आयु वर्ग के व्यक्तियों हेतु मनोरंजक, ज्ञानवर्धक, व खेल-जगत संबंधी कार्यक्रम प्रसारित करता है।
भारत में वर्ष भर अनेक समाचार-पत्र तथा सामयिक पत्रिकाएँ प्रकाशित की जाती हैं। ये पत्रिकाएँ सामयिक होने के नाते (जैसे मासिक, साप्ताहिक आदि) कई प्रकार की हैं। समाचार-पत्र लगभग 100 भाषाओं तथा बोलियों में प्रकाशित होते हैं। हमारे देश में सर्वाधिक समाचार-पत्र हिंदी भाषा में प्रकाशित होते हैं तथा इसके बाद अंग्रेजी व उर्दू के समाचार पत्र आते हैं।
भारत विश्व में सर्वाधिक चलचित्रों का उत्पादक भी है। यह कम अवधि वाली फिल्में, वीडियो पिक्चर फिल्म तथा छोटी वीडियो फिल्में बनाता है। भारतीय व विदेशी सभी फिल्मों को प्रमाणित करने का अधिकार केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड को है।
डिजिटल भारत एक ज्ञान आधरित परिवर्तन के लिए, भारतको तैयार करने के लिए एक विशाल कार्यक्रम है। डिजिटल भारत कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य IT (भारतीय प्रतिभा) + IT(सूचना प्रौद्योगिकी) =IT (कल का भारत) में होने वाले परिवर्तन को समझना है
व्यापार - वस्तुओं और सेवाओं के स्वैच्छिक आदान-प्रदान व्यापार कहलाता है।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार -विभिन्न राष्ट्रों के बीच राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान अंतरराष्ट्रीय व्यापार कहलाता है यह समुद्री, हवाई व स्थलीय मार्गों द्वारा हो सकता है। एक देश के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की प्रगति उसके आर्थिक वैभव का सूचक है। इसीलिए इसे राष्ट्र का आर्थिक बैरोमीटर भी कहा जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार -विभिन्न राष्ट्रों के बीच राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान अंतरराष्ट्रीय व्यापार कहलाता है यह समुद्री, हवाई व स्थलीय मार्गों द्वारा हो सकता है। एक देश के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की प्रगति उसके आर्थिक वैभव का सूचक है। इसीलिए इसे राष्ट्र का आर्थिक बैरोमीटर भी कहा जाता है।
सभी देश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार पर निर्भर हैं क्योंकि संसाधनों की उपलब्धता क्षेत्रीय है अर्थात् इनका वितरण असमान है।
आयात तथा निर्यात व्यापार के घटक हैं।
आयात व निर्यात का अंतर ही देश के व्यापार संतुलन को निर्धारित करता है।
यदि निर्यात मूल्य आयात मूल्य से अधिक हो तो उसे अनुकूल व्यापार संतुलन कहते हैं।
और यदि निर्यात की अपेक्षा अधिक आयात असंतुलित व्यापार कहलाता है।
भारत में निर्यात होने वाली प्रमुख वस्तुएँ रत्न व जवाहरात, रसायन एवं संबंधित उत्पाद तथा कृषि एवं संबंधित उत्पाद हैं।
भारत मे आयातित वस्तुओं में कच्चा पेट्रोलियम तथा उत्पाद, रत्न व जवाहरात, आधर धतुएँ, मशीनें, कृषि व अन्य उत्पाद शामिल हैं।
भारत अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक सॉफ्रटवेयर महाशक्ति के रूप में उभरा है तथा सूचना प्रौद्योगिकी के माध्यम से अत्यधिक विदेशी मुद्रा अर्जित कर रहा है।
पर्यटन -एक व्यापार के रूप में पिछले तीन दशकों में भारत में पर्यटन उद्योग में महत्त्वपूर्ण वृद्धि हुई है। पर्यटन राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करता है तथा स्थानीय हस्तकला व सांस्कृतिक उद्यमों को प्राश्रय देता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह हमें संस्कृति तथा विरासत की समझ विकसित करने में सहायक है। विदेशी पर्यटक भारत में विरासत पर्यटन, पारि-पर्यटन, रोमांचकारी पर्यटन, सांस्कृतिक पर्यटन, चिकित्सा पर्यटन तथा व्यापारिक पर्यटन के लिए आते हैं।
पर्यटन -एक व्यापार के रूप में पिछले तीन दशकों में भारत में पर्यटन उद्योग में महत्त्वपूर्ण वृद्धि हुई है। पर्यटन राष्ट्रीय एकता को प्रोत्साहित करता है तथा स्थानीय हस्तकला व सांस्कृतिक उद्यमों को प्राश्रय देता है। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर यह हमें संस्कृति तथा विरासत की समझ विकसित करने में सहायक है। विदेशी पर्यटक भारत में विरासत पर्यटन, पारि-पर्यटन, रोमांचकारी पर्यटन, सांस्कृतिक पर्यटन, चिकित्सा पर्यटन तथा व्यापारिक पर्यटन के लिए आते हैं।
- स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग किसके अधिकार क्षेत्र में है
भारत के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के अधिकार क्षेत्र में - स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग की सड़क कितने लेन वाली बनाई गई?
6 - कोलकाता बंदरगाह पर दबाव को कम करने के लिए कौन सा बंदरगाह विकसित किया गया था?
हल्दिया - किसी देश के आर्थिक वैभव का सूचक क्या होता है ?
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार की प्रगति - किसी राष्ट्र का आर्थिक बैरोमीटर किसे कहा कहा जाता है ?
अंतरराष्ट्रीय व्यापार को - परिवहन किसे कहते हैं ?
यात्रियों व सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान पर लाने व ले जाने की प्रकिया परिवहन कहलाती है - कौन-से दो दूरस्थ स्थित स्थान पूर्वी-पश्चिमी गलियारे से जुड़े हैं?
सिलचर तथा पोरबंदर - देश का सबसे पुराना कृत्रिम पत्तन कौन -सा है?
चेन्नई - भारत में अंत: स्थलीय नौ संचालन जल मार्ग कितना लम्बा है ?
14,500 किलोमीटर - भारत में कितने रेल मण्डल है ?
17 रेल मण्डल - भारत में रेल परिवहन [प्रथम रेल] की शुरुआत कब हुई ?
1853 में मुंबई से ठाणे [34 किलोमीटर] - भारत में परिवहन का सबसे तीव्रतम, आधुनिक व मंहगा साधन कौनसा है ?
वायु परिवहन - परिवहन का कौनसा साधन दुर्गम व दूरस्थ स्थानों पर पहुंच तथा प्राकृतिक आपदाओं से राहत हेतु उत्तम साधन है ?
वायु परिवहन - राष्ट्रीय जलमार्ग-2 किन दो स्थानों को जोड़ता है ?
धुबरी से सादिया तक 891 किलोमीटर [ब्रह्मपुत्र नदी में] - विश्व की सबसे लंबी राजमार्ग सुरंग कौनसी है ?
अटल टनल - राष्ट्रीय जल मार्ग -1 किस नदी पर किन दो स्थानों को जोड़ता है इसकी लम्बाई कितनी है ?
गंगा नदी में पर हल्दिया को इलाहाबाद से जोड़ता है इसकी 1620 किलोमीटर है - HBJ/HVJ का पूरा नाम लिखिए
हजीरा-विजयपुरा-जगदीशपुर - सीमा सङक संगठन की स्थापना किस उद्देश्य से की गई?
1960 में सीमावर्ती सङको के निर्माण व रखरखाव के उद्देश्य से BRO की स्थापना की गई - परिवहन का कौन-सा साधन वहनांतरण हानियों तथा देरी को घटाता है?
पाइपलाइन - कौन-सा पत्तन पूर्वी तट पर स्थित है जो अंतः स्थलीय तथा अधिकतम गहराई का पत्तन है तथा पूर्ण सुरक्षित है?
विशाखापट्नम - भारतीय व विदेशी फिल्मों का सत्यापन करने वाला प्राधिकरण कौन सा हैं ?
सेन्ट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन - भारत का वृहत्तम पत्तन का नाम लिखिए -
मुम्बई पत्तन - स्वर्णिम चतुर्भुज महा राजमार्ग भारत के किन् शहरों को जोड़ती है
दिल्ली-कोलकत्ता, चेन्नई-मुंबई व दिल्ली को - स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग का मुख्य उद्देश्य लिखें।
स्वर्णिम चतुर्भुज महाराजमार्ग का मुख्य उद्देश्य भारत के मेगासिटी के बीच समय और दूरी को कम करना है। - किन सड़कों को प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत विशेष प्रोत्साहन मिला?
ग्रामीण सड़कों को - हमारे देश की प्राथमिक सड़क प्रणाली कौन सी हैं?
राष्ट्रीय राजमार्ग - भारतीय डाक संचार तंत्र में प्रथम श्रेणी की डाक किसे समझा जाता है।
कार्ड व लिफाफा बंद चिट्ठी - भारतीय डाक संचार तंत्र में द्वितीय श्रेणी की डाक किसे समझा जाता है।
रजिस्टर्ड पैकेट, किताबें, अखबार तथा मैगजीन - भारत में विश्व का सड़क जाल में मामले में किस स्थान पर है?
दूसरा - कौन से राजमार्ग राज्य की राजधानी को विभिन्न जिला मुख्यालयों से जोड़ता हैं?
राज्य राजमार्ग - कौन सी सड़क जिला मुख्यालय को जिले के अन्य स्थानों से जोड़ता है?
जिला सड़कें - 2कौन सा पत्तन एक ज्वारीय बंदरगाह दीनदयाल बंदरगाह के रूप में भी जाना जाता है?
कांडला