GSSS BINCHAWA

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Rule : 103C Child Care Leave [ CCL]


राजस्थान सेवा (चौथा संशोधन) नियम 2018
Rule : 103C Child Care Leave [ CCL]
  • नियम 103C(1) - एक महिला सरकारी कर्मचारी या एक एकल पुरुष सरकारी कर्मचारी (अविवाहित या विधुर या तलाकशुदा) को उनके प्रथम दो जीवित बच्चों (18 वर्ष से कम आयु या न्यूनतम 40% विकलांगता की स्थिति में 22 वर्ष) के पालन पोषण, परीक्षा या बिमारी की स्थिति मे देखभाल करने के लिए सम्पूर्ण सेवाकाल में अधिकतम 2 वर्ष अर्थात 730 दिन का Child Care Leave सक्षम अधिकारी द्वारा स्वीकृत किया जा सकता है
  • नियम103C(2)- Child Care Leave की स्वीकृति निम्नलिखित शर्तों के अध्याधीन होगी-
    (i) एक महिला कर्मचारी या एक एकल पुरुष सरकारी कर्मचारी प्रथम 365 दिनों के लिए छुट्टी के तुरंत पहले आहरित वेतन के 100 % प्रतिशत के बराबर अवकाश वेतन तथा अगले 365 दिनों के लिए छुट्टी के तुरंत पहले आहरित वेतन के 80% के बराबर अवकाश वेतन की हक़दार होगा
    (ii) Child Care Leave को किसी भी अन्य अवकाश के साथ लिया जा सकता है
    (iii) सामान्यतः Child Care Leave के लिए आवेदन, राज्य सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट फॉर्म में, मंजूरी के लिए समय पर छुट्टी मंजूर करने वाले प्राधिकारी को जमा करना होगा।
    (iv) Child Care Leave का दावा अधिकार के रूप में नहीं किया जा सकता है। किसी भी स्थिति में कोई भी महिला सरकारी कर्मचारी या एक एकल पुरुष सरकारी कर्मचारी छुट्टी स्वीकृत करने वाले प्राधिकारी के पूर्वानुमोदन के बिना Child Care Leave को आगे नहीं बढ़ा सकता है।
    (v) किसी महिला सरकारी कर्मचारी या एक एकल पुरुष सरकारी कर्मचारी को, जो ड्यूटी से अनधिकृत रूप से अनुपस्थित रहता है और उसके बाद Child Care Leave लिए आवेदन करता है तो किसी भी परिस्थिति में Child Care Leave स्वीकृत नहीं की जाएगी।
    (vi) किसी महिला सरकारी कर्मचारी या एक एकल पुरुष सरकारी कर्मचारी द्वारा पहले से ली गई या ली जा रही छुट्टी को किसी भी परिस्थिति में Child Care Leave में परिवर्तित नहीं किया जाएगा।
    (vii) Child Care Leave को किसी अन्य प्रकार के लीव अकाउंट से डेबिट नहीं किया जाएगा। Child Care Leave का अवकाश लेखा राज्य सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट प्रपत्र में रखा जाएगा और इसे सेवा पुस्तिका में चिपकाया जाएगा।
    (viii) अवकाश स्वीकृत करने वाला प्राधिकारी आवेदित अवकाश को सरकारी कार्य के उचित एवं सुचारू संचालन अथवा विभागीय लक्ष्यों की प्राप्ति के आधार पर अस्वीकार कर सकता है।
    (ix) Child Care Leave एक कैलेण्डर वर्ष में तीन बार (spell/अवधि) से अधिक स्वीकृत नहीं की जाएगी। एक spell जो एक कैलेण्डर वर्ष में शुरू होकर दूसरे कैलेण्डर वर्ष में पूर्ण होता है तो उस spell को अवकाश शुरू होने वाले कलैंडर वर्ष में गिना जाएगा। एक बार में पांच दिनों से कम की अवधि के लिए Child Care Leave की अनुमति नहीं दी जाएगी।
    (x) आमतौर पर परिवीक्षाधीन प्रशिक्षु को परिवीक्षा अवधि के दौरान Child Care Leave स्वीकृत नहीं किया जाएगा। तथापि, विशेष परिस्थितियों में यदि परिवीक्षा अवधि के दौरान Child Care Leave स्वीकृत किया जाता है तो परिवीक्षा काल उतने ही दिन आगे बढेगा जितने दिन की Child Care Leave स्वीकृत किया जाता है
    (xi) Child Care Leave उपार्जित अवकाश की तरह ही माना जाएगा और तदनुसार ही स्वीकृत किया जाएगा। अतः एक महिला कार्मिक या एक एकल पुरुष सरकारी कर्मचारी को अपने बच्चे के पालन/ परीक्षा/ बिमारी के समय अधिकतम 120 दिन की Child Care Leave कार्यालयाध्यक्ष द्वारा स्वीकृत की जायेगी विशेष परिस्थितियों (टीबी, कैंसर, कोढ़ वह मानसिक रोग की चिकित्सा हेतु) 120 से अधिक Child Care Leave विभागाध्यक्ष स्वीकृत कर सकेंगे । Child Care Leave के साथ अन्य अवकाशों के संयोजन के कारण अवकाश अवधि 120 दिन से अधिक हो जाती है तो ऐसे अवकाश विभागाध्यक्ष द्वारा स्वीकृत किए जायेंगे
    (xii) Child Care Leave के पहले व बाद में आने वाले रविवार व अन्य अवकाश को इस अवकाश में नहीं गिना जायेगा परंतु Child Care Leave के मध्य में आने वाले रविवार, राजपत्रित व अन्य अवकाश उपार्जित अवकाश की तरह ही Child Care Leave में गिने जायेंगे
    (xiii) सक्षम प्राधिकारी/चिकित्सा बोर्ड द्वारा जारी विकलांगता के दस्तावेज के आधार पर Child Care Leave स्वीकृत करने से पहले सरकारी कर्मचारी से विकलांग बच्चे की निर्भरता का प्रमाण पत्र प्राप्त किया जाएगा।
    (xiv) विदेश में रहने वाले अवयस्क बच्चे की परीक्षा या बीमारी के संबंध में Child Care Leave ​​संबंधित शैक्षणिक संस्थान या किसी अधिकृत चिकित्सक, जैसा भी मामला हो, द्वारा इस संबंध में जारी प्रमाण पत्र के आधार पर स्वीकृत किया जाएगा। विदेश में रहने वाले अवयस्क बच्चे के संबंध में Child Care Leave प्राप्त करने वाले सरकारी कर्मचारी को भारत से बाहर छुट्टी पर जाने के लिए सभी निर्देशों का पालन करना होगा और इस तरह की छुट्टी की अस्सी प्रतिशत अवधि उस देश में व्यतीत करना होगी जिस देश में बच्चा रहता है।
    (xv) भारत या विदेश में छात्रावास में रहने वाले नाबालिग बच्चे की परीक्षा के संबंध में Child Care Leave स्वीकृत होने से पहले सरकारी कर्मचारी को यह स्पष्ट करना होगा कि ऐसे नाबालिग बच्चे की देखभाल उसके द्वारा कैसे की जाएगी।"
महत्वपूर्ण बिंदु
  • असाधारण परिस्थितियों को छोड़कर एक कलेण्डर वर्ष के दौरान चाइल्ड केयर लीव के दो spell के बीच तीन महीने का न्यूनतम अंतर होगा (जोधपुर हाई कोर्ट आदेश दिनांक 07.01.2019)
  • उच्चाधिकारियों को स्वीकृति हेतु भेजे जाने वाले आवेदन पत्रों के साथ नियन्त्रण अधिकारी द्वारा इस आशय की घोषणा करते हुए कि उक्त अवकाश स्वीकृति से कार्यालयी / विद्यालयी कार्यों के सुचारू संपादन एवं विभागीय / राज्य के लक्ष्यों की पूर्ति में किसी प्रकार का व्यवधान पैदा नहीं होगा, अग्रेषण अधिकारी को स्पष्ट अभिशंषा के साथ अग्रेषित किया जाये ।
  • आहरण वितरण अधिकारी की सक्षमता अवधी से अधिक अवधि के अवकाश प्रकरण ही सक्षम उच्च अधिकारीयों को स्वीकृति हेतु प्रस्तुत किया जावे ।
  • उच्च स्तर पर स्वीकृति योग्य प्रकरण जिला शिक्षा अधिकारी अपनी स्पष्ट अभिशंषा कर प्रेषित करें ।
  • राज्य सरकार द्वारा निर्धारित प्रारूप में अवकाश स्कति हेतु आवेदन सक्षम अधिकारी को पर्याप्त समय पूर्व देना होगा।
  • एक कार्यालय में एक समय में 20% से अधिक कार्मिकों को CCL स्वीकृत नहीं की जायेगी
  • विभाग के अधीन विद्यालयों / कार्यालयों में महिला कार्मिकों की संख्या अधिक होने की स्थिति में अधिक आवेदन प्राप्त होने के पर कार्यालय संचालन सुचारू रखते हुए आवेदनों पर निम्न प्राथमिकता क्रम रखा जाये-
    ★आकस्मिक गंभीर कारण यथा बच्चे की गम्भीर बीमारी, जिसमें बच्चा अस्पताल में इनडोर भर्ती हो अथवा दुर्घटना के कारण विशेष देखभाल की आवश्यकता हो ।
    ★ दिव्यांग सन्तान की माताओं को / गम्भीर रोग से पीड़ित बच्चे की देखभाल हेतु ।
    ★ सन्तान के परीक्षा में बैठने के कारण आवेदन प्राप्त हो तो बोर्ड परीक्षा अथवा उच्च व्यावसायिक संस्थान में प्रवेश हेतु परीक्षा के कारण प्राप्त आवेदन ।
    ★ उपरोक्त प्राथमिकता क्रम में आवेदन स्वीकृति के समय विधवा और परित्यक्ता श्रेणी की महिला कार्मिक को प्राथमिकता दी जावे ।
    ★ कार्यालय / विद्यालय में कार्यरत कुल कार्मिकों की संख्या के 20% से अधिक कार्मिकों की एक समय में "चाईल्ड केयर लीव' स्वीकृत नहीं की जाये
  • "चाईल्ड केयर लीव' स्वीकृत करने अथवा स्वीकृति हेतु उच्चाधिकारियों को प्रकरण प्रेषित करने से पूर्व निम्न बातों का ध्यान रखा जाये:-
    ★ प्राप्त आवेदनों का तिथिवार संधारण करें तथा प्राप्ति के दिन ही रजिस्टर में उसकी प्रविष्टि करें । ऐसे रजिस्टर को संस्था में सभी के अवलोकन की व्यवस्था की जावे ।
    ★ सन्तान की परीक्षा तैयारी हेतु प्राप्त आवेदन पत्र के साथ परीक्षा की तिथि, प्रवेश सम्बन्धी दस्तावेज पुष्टि हेतु प्राप्त करें ।
    ★ अवकाश हेतु आवेदित अवधि में से आवश्यक अवधि की सीमा तक ही अवकाश स्वीकृत किया जावे।
    ★ एक कार्मिक की "चाईल्ड केयर लीव' स्वीकृत करने के पश्चात, आगामी अवकाश स्वीकृति, अन्य महिला कार्मिकों के पूर्व में प्राप्त आवेदन पत्रों पर विचार के उपरान्त ही प्राथमिकता अनुसार किया जायें।
    ★ अवकाश पर प्रस्थान से पूर्व संबंधित महिला कार्मिक द्वारा आवश्यक निर्धारित दायित्व पूर्ण कर लिये हो, यथा उत्तरपुस्तिकाओं की जांच / आवंटित पाठ्यक्रम को पूर्ण करना आदि की पुष्टि अवश्यमेव कर ली जाये !
    ★ सेवा से निरन्तर अनुपस्थित कार्मिकों के नियमानुसार कार्यग्रहण पश्चात अनुपस्थिति अवधि के निस्तारण उपरान्त ही "चाईल्ड केयर लीव" आवेदन पर विचार किया जाये ।
    ★ अवकाश आवेदन स्वीकृति उपरान्त कार्यालय की आवश्यकता व कार्य में राज्य के लक्ष्यों में पूर्ति में बाधा उत्पन्न होने की परिस्थितियों में स्वीकृत आवेदन को स्वीकृतिकर्ता प्राधिकारी निरस्त अथवा अवधि को घटा सकेगा।
    ★ उच्चाधिकारियों को स्वीकृति हेतु भेजे जाने वाले आवेदन पत्रों के साथ नियन्त्रण अधिकारी द्वारा इस आशय की घोषणा करते हुए कि उक्त अवकाश स्वीकृति से कार्यालयी / विद्यालयी कार्यों के सुचारू संपादन एवं विभागीय / राज्य के लक्ष्यों की पूर्ति में इससे किसी प्रकार का व्यवधान पैदा नहीं होगा, अग्रेषण अधिकारी को स्पष्ट अभिशंषा के साथ अग्रेषित किया जाये ।
    आवेदन पत्र के साथ निम्नांकित दस्तावेज भी आवश्यक रूप से प्राप्त किये जायें:-
    (a) राशन कार्ड की प्रति
    (b) जीवित सन्तानों के जन्म प्रमाण पत्रों की प्रति
    (c) सन्तान के दिव्यांग प्रमाण पत्र की प्रति
    (d) सन्तान की बीमारी से सम्बन्धित दस्तावेज
    (e) सन्तान की परीक्षा / परीक्षा तिथि / प्रवेश सम्बन्धी आवश्यक प्रमाण पत्रों की प्रति
    एक महिला कार्मिक द्वारा निम्न कारणों से CCL हेतु आवेदन किया जा सकेगा
    (i) बच्चे की गंभीर बीमारी अथवा विकलांगता के कारण देखभाल हेतु
    (ii) सेकंडरी व सीनियर सेकेंडरी परीक्षा के समय देखभाल हेतु
    (iii) सेकंडरी व सीनियर सेकेंडरी परीक्षा के अतिरिक्त शिक्षण कार्य के समय देखभाल हेतु
    (iv) 3 वर्ष तक की आयु के बच्चे के पालन हेतु
                                              
                                                         
Munna Lal Kala
                                                      Lecturer(Geography)
                                                           GSSS Burod
हिंदी रूपांतरण केवल सुविधा के लिए किया गया है किसी विवाद की स्थिति में अंतिम निर्णय वित्त विभाग की अधिसूचनाक्रमांक F.1(6)FD/Rules/2011 जयपुर, दिनांकः 22 मई 2018 एवं संशोधित अधिसूचनाक्रमांक F.1(6)FD/Rules/2011 जयपुर, दिनांकः 31 जुलाई 2020 के अनुसार ही मान्य होगा

RGHS

GOVERNMENT OF RAJASTHAN
FINANCE (INSURANCE) DEPARTMENT
No. 5(5)FD/lnsurance/2020                                            Jaipur, dated: 09.04.2021
NOTIFICATION
  1. Rajasthan Government Health Scheme (RGHS) अर्थात् राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना एक कैशलेस स्वास्थ्य लाभ योजना है RGHS में इनडोर चिकित्सा उपचार व्यय, डेकेयर उपचार , आउटडोर उपचार, जांच और चिकित्सा देखभाल तथा आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी चिकित्सा पद्धति के तहत उपचार और राज्य सरकार द्वारा निर्दिष्ट या निर्दिष्ट किए जाने वाले अन्य उपचार शामिल हैं। 
    इस योजना में  मंत्री, अखिल भारतीय सेवा के अधिकारी, विधायक और पूर्व विधायक, सेवारत और सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी, सेवारत सरकारी कर्मचारी  और पेंशनभोगी/पारिवारिक पेंशनभोगी शामिल होंगे। 
    साथ ही, यह योजना स्वायत्त निकायों, बोर्डों, निगमों आदि के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए भी लागू होगी। योजना में अंशदान का निर्णय राज्य सरकार द्वारा समय रहते लिया जाएगा।
  2. RGHS विभिन्न श्रेणियों के संबंधित नियमों/योजनाओं के तहत निर्धारित शर्तों और प्रक्रियाओं के अनुसार निम्न चिकित्सा सुविधाओं को कवर करेगा,
    (i) राजस्थान मंत्री (चिकित्सा उपस्थिति) नियम, 1961 
    (ii)राजस्थान न्यायिक अधिकारी (चिकित्सा सुविधाएं) नियम, 2008 
    (iii) अखिल भारतीय सेवाएं(चिकित्सा उपस्थिति) नियम, 1954 
    (iv) राजस्थान विधान सभा सदस्य (चिकित्सा सुविधाएं) नियम, 1964 
    (v) राजस्थान विधान सभा पूर्व सदस्य और परिवार पेंशनभोगी (चिकित्सा सुविधाएं) नियम, 2010 
    (vi) राजस्थान सिविल सेवा (चिकित्सा उपस्थिति) नियम, 2013 
    (vii) राजस्थान राज्य पेंशनभोगी चिकित्सा रियायत योजना, 2014
    (viii) राज मेडिक्लेम पॉलिसी  
  3. नए लाभार्थियों को फैमिली फ्लोटर आधार पर प्रति वर्ष 5.00 लाख रुपये तक के उपचार की अनुमति दी जाएगी। इस योजना में लाभार्थी सदस्य के किसी भी सरकारी/निजी पैनलबद्ध अस्पताल में गंभीर बीमारी के लिए प्रति वर्ष प्रति परिवार 5.00 लाख रुपये से अधिक के अस्पताल में भर्ती होने से संबंधित अतिरिक्त व्यय को कवर किया जाएगा
  4. उपचार किसी भी स्वास्थ्य सेवा नेटवर्क प्रदाता (HCNP) यानी सरकारी अस्पताल, स्वीकृत अस्पताल, PPP अस्पताल, रेफरल अस्पताल में कराया जा सकता है। टीपीए को प्रतिपूर्ति (भरपाई) RGHS दरों के अनुसार दी जाएगी। जहाँ कैशलेस उपचार उपलब्ध है वहां RGHS कार्ड धारक को कोई प्रतिपूर्ति(भरपाई) नहीं दी जाएगी। हालाँकि, RGHS कार्ड धारक द्वारा गैर-स्वीकृत अस्पताल में गंभीर आपातकालीन स्थिति में और अन्य असाधारण परिस्थितियों में किए गए चिकित्सा उपचार के लिए प्रतिपूर्ति (भरपाई) ली जा सकती है। ऐसी परिस्थितियों में, RGHS पोर्टल पर बिल जमा करने के बाद ही दावे की प्रतिपूर्ति (भरपाई)की जाएगी।
  5. कुछ उपचार ऐसे हैं जो आरजीएचएस के अंतर्गत कवर नहीं हैं। ऐसे बहिष्करणों का विवरण आरजीएचएस की वेबसाइट पर अपलोड की गई योजना में उपलब्ध होगा। ऐसे बहिष्करणों की प्रतिपूर्ति थर्ड पार्टी एडमिनिस्ट्रेटर (टीपीए) के माध्यम से नहीं की जाएगी। 
  6. राज्य सरकार आरटीपीपी अधिनियम और नियमों के माध्यम से टीपीए का चयन करेगी। 
  7. इस योजना के तहत लाभार्थियों का नामांकन 10-4-2021 से शुरू होगा और 30-04-2021 तक पूरा हो जाएगा। उपर्युक्त श्रेणी का प्रत्येक व्यक्ति 30-04-2021 से पहले आश्रितों के साथ अपना नामांकन सुनिश्चित करेगा ताकि राज्य बीमा और भविष्य निधि विभाग 31-05-2021 तक आरजीएचएस कार्ड वितरित कर सके। नामांकन की अवधि केवल वैध कारणों पर सक्षम प्राधिकारी द्वारा बढ़ाई जा सकती है। नए भर्ती के लिए नामांकन की अवधि सेवा में शामिल होने की तारीख से 3 महीने होगी।
  8. सभी श्रेणियों के लिए नामांकन फॉर्म आरजीएचएस वेबसाइट www.rghs.gov.in पर उपलब्ध होंगे, साथ ही ऐसे फॉर्म भरने की प्रक्रिया भी बताई जाएगी। फॉर्म केवल ऑनलाइन भरे जा सकते हैं। उपर्युक्त श्रेणी के प्रत्येक व्यक्ति को नामांकन के बारे में विशिष्ट आरजीएचएस कार्ड नंबर के साथ सूचित किया जाएगा। कार्ड के खो जाने/कार्ड की अनुपलब्धता की स्थिति में, इस विशिष्ट आरजीएचएस कार्ड नंबर का उपयोग एचसीएनपी में उपचार लेने के लिए किया जा सकता है।
  9. निजी अस्पतालों, डायग्नोस्टिक प्रयोगशालाओं, इमेजिंग केन्द्रों और ई-फार्मा स्टोर्स का पैनलीकरण:
    जिन अस्पतालों/डायग्नोस्टिक केन्द्रों, इमेजिंग केन्द्रों के पास NABH / NABL मान्यता है तथा जिन अस्पतालों के पास CGHS के तहत पैनलीकरण है, वे आरजीएचएस वेबसाइट पर सीधे आरजीएचएस के तहत आवेदन करेंगे।
    जिन अस्पतालों और डायग्नोस्टिक प्रयोगशालाओं/इमेजिंग केन्द्रों के पास NABH / NABL मान्यता नहीं है तथा जिन अस्पतालों का CGHS के तहत पैनलीकरण नहीं है, वे आरजीएचएस द्वारा निर्धारित मानदंडों और मापदंडों के अनुसार RGHS की वेबसाइट (www.rghs.gov.in) पर आवेदन कर सकते हैं। जिन अस्पतालों/लैबों का HBEC द्वारा पहले ही पैनलीकरण हो चुका है, उन्हें RGHS वेबसाइट पर पुनः ऑनलाइन आवेदन करना होगा। ई-फार्मा स्टोर्स के लिए प्रक्रिया और नियम व शर्तें समय आने पर तय की जाएंगी।
  10. राजस्थान सरकार स्वास्थ्य योजना के लिए राज्य बीमा एवं प्रावधायी निधि विभाग नोडल विभाग होगा तथा वित्त (बीमा) विभाग प्रशासनिक विभाग होगा।
  11. पैरा 2 में सूचीबद्ध संबंधित नियमों/योजनाओं में आवश्यक संशोधन यथासमय जारी किए जाएंगे।
  12. वित्त (बीमा) विभाग, RGHS के कार्यान्वयन के लिए विभिन्न अनुलग्नकों, परिपत्रों, स्पष्टीकरणों आदि के साथ विस्तृत परिचालन दिशा-निर्देश जारी करेगा।
  13. यदि इस योजना के क्रियान्वयन में कोई कठिनाई उत्पन्न होती है, तो संबंधित अस्पताल/हितधारक मामले को निदेशक, राज्य बीमा एवं भविष्य निधि विभाग को संदर्भित करेगा तथा यदि निदेशक, एस.आई.पी.एफ. के स्तर पर मामला हल नहीं होता है, तो वित्त (बीमा) विभाग का निर्णय अंतिम होगा। अपीलीय प्राधिकारी ए.सी.एस./प्रमुख सचिव, वित्त होंगे।
  • अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों एवं न्यायिक सेवा के अधिकारियों, जिनकी नियुक्ति दिनांक 01.01.2004 के पश्चात हुई है, को राज मेडिक्लेम पॉलिसी जारी नही की जाती है बल्कि ये अधिकारी अपने संबंधित चिकित्सा परिचर्या नियमों के अन्तर्गत चिकित्सा सुविधा प्राप्त करते हैं और इनसे RPMF के अंशदान की राशि प्राप्त की जाती है। अतः उक्त अधिकारियों के संबंध में समसंख्यक आदेश दिनांक 07.07.2021 के कॉलम संख्या 3 में उल्लेखित दर ही लागू होगी, अर्थात जो पूर्व में RPMF के अन्तर्गत कटौती थी, वही अब RGHS लागू होने से आरजीएचएस फण्ड के अन्तर्गत की जायेगी ।
  • परिवीक्षाधीन कार्मिकों के संबंध में GPF और State Insurance की कोई कटौती नहीं होती है। परिवीक्षा काल पूर्ण होने के उपरान्त ही कटौती की जाती है, परन्तु परिवीक्षाधीन अवधि में राज मेडिक्लेम की सुविधा देय है। अतः आदेश दिनांक 07.07.2021 में दिनांक 01.01.2004 एवं उसके पश्चात नियुक्त कार्मिकों के अनुसार RGHS फण्ड के अन्तर्गत कटौती की जानी है। इस हेतु परिवीक्षाधीन कार्मिक जिस पद पर नियुक्त हुए हैं, उस पद की पे-मैट्रिक्स के अनुसार निर्धारित स्लेब में, जो कि दिनांक 01.01.2004 एवं उसके पश्चात नियुक्त कार्मिकों पर लागू है, उक्त आदेश के नोट संख्या 2 का विकल्प देते हुए कटौती की जानी है।  (आदेश दिनांक 20.07.2021)
RGHS  की 01.07.2021 से दरें 

सरकारी कर्मचारियों की श्रेणी

.

1-1-2004 से पहले नियुक्त सरकारी कर्मचारी के लिए प्रति माह अंशदान (रु.)

1-1-2004 को या उसके बाद नियुक्त सरकारी कर्मचारी के लिए प्रति माह अंशदान (रु.)

वेतन मैट्रिक्स में 18000/- रुपये तक का मूल वेतन पाने वाले कर्मचारी

265.00

135.00

वेतन मैट्रिक्स में 18000/- रुपये से अधिक परंतु 33500/- रुपये तक मूल वेतन पाने वाले कर्मचारी

440.00

220.00

वेतन मैट्रिक्स में 33500/- रुपये से अधिक परंतु 54000/- रुपये तक मूल वेतन पाने वाले कर्मचारी

658.00

330.00

वेतन मैट्रिक्स में 54000/- रुपये से अधिक मूल वेतन पाने वाले कर्मचारी

875.00

440.00



RGHS  की 01.04.2022 से दरें 

सरकारी कर्मचारियों की श्रेणी

 सरकारी कर्मचारी के लिए प्रति माह अंशदान (रु.)

वेतन मैट्रिक्स में 18000/- रुपये तक का मूल वेतन पाने वाले कर्मचारी

265.00

वेतन मैट्रिक्स में 18000/- रुपये से अधिक परंतु 33500/- रुपये तक मूल वेतन पाने वाले कर्मचारी

440.00

वेतन मैट्रिक्स में 33500/- रुपये से अधिक परंतु 54000/- रुपये तक मूल वेतन पाने वाले कर्मचारी

658.00

वेतन मैट्रिक्स में 54000/- रुपये से अधिक मूल वेतन पाने वाले कर्मचारी

875.00

अनुकंपात्मक नियुक्ति नियम, 1996

राजस्थान सरकार
कार्मिक [क-2] विभाग
सं. एफ. 5[51] कार्मिक /क-2/88                                                              जयपुर, दिनांक 31.12.96
अधिसूचना
नियम 1 : संक्षिप्त नाम और प्रारंभ-
(i) इन नियमों का नाम राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की अनुकंपात्मक नियुक्ति नियम, 1996 है ।
(ii) ये राजस्थान राजपत्र में इनके प्रकाशन की तारीख से प्रवत्त होंगे।
नियन 2 : परिभाषाएं- 
(क) "नियुक्ति प्राधिकारी से राजस्थान सरकार अभिप्रेत है तथा इसमें अन्य कोई ऐसा अधिकारी सम्मिलित है जिसे, सरकार द्वारा सुसंगत सेवा नियमों, यदि कोई हों, के अधीन नियुक्ति प्राधिकारी की शक्तियों का प्रयोग एवं कृत्यों का पालन करने के लिए किसी भी विशेष या सामान्य आदेश द्वारा शक्तियाँ प्रत्यायोजित की गयी हों
(ख) मृत सरकारी कमचारी से राजस्थान राज्य संवर्ग के अखिल भारतीय सेवाओं के सदस्यों सहित ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसे राज्य के कार्यकलापों के संबंध में नियोजित किया गया था और जिसका वेतन राज्य की समेकित निधि पर विकलनीय था और जिसकी सेवा के दौरान मृत्यु हुई थी और जो-
(i) स्थायी था, या
(ii) नियमित आधार पर नियुक्ति के पश्चात् अस्थायी रूप से, जिसमें परिवीक्षाधीन - प्रशिक्षणार्थी के रूप में परिवीक्षा की कालावधि सम्मिलित है, कोई पद धारित कर रहा था ।
(ग) “आश्रित” से अभिप्रेत है, -
(i) पति या पत्नी, या
(ii) पुत्र जिसमें मृत सरकारी कर्मचारी द्वारा उसके जीवन काल में वैध रूप से दत्तक ग्रहण किया गया पुत्र सम्मिलित है, या
(iii) अविवाहित / विधवा / विच्छिन विवाह पुत्री जिसमें मृत सरकारी कर्मचारी द्वारा उसके जीवन काल में वैद्य रूप से दत्तक ग्रहण की गयी पुत्री सम्मिलित है, या
(iv) विवाहित पुत्री यदि उपरोक्त खंड (ii) और (iii) में उल्लिखित मृत सरकारी कर्मचारी का अन्य कोई आश्रित उपलब्ध न हो, या
(v) अविवाहित मृत सरकारी कर्मचारी के मामले में माता, पिता, अविवाहित भाई या अविवाहित बहन,
जो मृत सरकारी कर्मचारी पर उसकी मृत्यु के समय पूर्णतः आश्रित थे ।”
नियम 5  : -कतिपय शर्तों के अध्यधीन नियुक्ति- 
(1) जब किसी सरकारी कर्मचारी की सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो जाती है तो उसके किसी एक आश्रित को इस शर्त के अध्यधीन सरकारी सेवा में नियुक्ति के लिए विचार किया जा सकेगा कि इन नियमों के अधीन नियोजन उन मामलों में अनुज्ञेय नहीं होगा जहां पति या पत्नी अथवा मृत सरकारी कर्मचारी का कोई एक पुत्र अविवाहित पुत्री, दत्तक पुत्र / अविवाहित दत्तक पुत्री केन्द्र/ किसी राज्य सरकार या कानूनी बोर्ड, संगठन / निगम जो पूर्णतः या भागतः केन्द्र / किसी राज्य सरकार के स्वामित्व या नियन्त्रण में हो, के अधीन सरकारी "सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के समय या आश्रित की नियुक्ति के समय"  नियमित आधार पर पहले से ही नियोजित हो 
परन्तु यह शर्त वहां लागू नहीं होगी जहाँ विधवा स्वयं के लिए नियोजन प्राप्त करती है ।
(2) इन नियमों के अधीन नियुक्ति इस शर्त पर कि अनुकंपात्मक आधार पर नियुक्त व्यक्ति परिवार के उन अन्य सदस्यों का, जो मृत सरकारी कर्मचारी पर आश्रित थे, उचित तौर पर भरणपोषण करेगा तथा लिखित वचनबंध देने पर दी जायेगी कि वह परिवार के अन्य सदस्यों का, जो मृत सरकारी कर्मचारी पर आश्रित थे उचित तौर पर भरणपोषण करेगा/ करेगी । यदि तत्पश्चात, किसी भी समय यह साबित हो जाता है कि परिवार के ऐसे आश्रित सदस्यों की उपेक्षा हो रही है या उसके द्वारा उचित तौर पर उनका भरणपोषण नहीं किया जा रहा है तो अनुकम्पात्मक आधार पर नियुक्त व्यक्ति को नियुक्ति प्राधिकारी, क्यों न उसकी सेवाओं को समाप्त कर दिया जाये का स्पष्टीकरण मांगते हुए कारण बताओ नोटिस जारी कर एक अवसर प्रदान करने के पश्चात् नियुक्ति समाप्त कर सकेगा ।
नियम 6 :- पदों का चयन – 
(1) आश्रित की, उसकी शैक्षिक अर्हताओं के अनुसार और सेवा की अन्य शर्तों की पूर्ति करने पर अधीनस्थ सेवाओं/ मंत्रालयिक सेवाओं/चतुर्थ श्रेणी सेवाओं में सीधी भर्ती से भरे जाने वाले केवल वेतनमान संख्या L-1 से L- 9 तक के पदों पर मृत कर्मचारी की रेंक और प्रास्थिति को विचार में लाये बिना, नियुक्ति के लिए विचार किया जायेगा 
"परन्तु ऐसे सरकारी कर्मचारी की दशा में जिसका अपने पदीय कर्तव्यों के पालन के दौरान वध हो जाता है, उसके आश्रित की शैक्षिक अर्हताओं और सुसंगत सेवा नियमों के अधीन विहित अन्य सेवा शर्तों को पूरा करने के अध्यधीन रहते हुए तथा कार्मिक विभाग और यदि पद आयोग के कार्यक्षेत्र में आता है तो राजस्थान लोक सेवा आयोग की सहमति से वेतनमान सं. L-10 से L-11 में आने वाले और सीधी भर्ती द्वारा भरे जाने के लिए तात्पर्यित/DECLARED पद पर नियुक्ति के लिए भी विचार किया जा सकेगा ।"
(2) इन नियमों के अधीन किसी पद पर एक बार नियुक्ति कर दिये जाने पर इन नियमों के अधीन आश्रित प्रसुविधा उपभोग की गयी मानली जायेगी और मामले पर किन्हीं भी परिस्थिति में किसी अन्य पद पर नियुक्ति के लिए पुनः विचार नहीं किया जायेगा ।    
"परन्तु ऐसे मामलों में जहां कोई आश्रित, जिसे नियुक्ति प्रस्तावित की जाती है, किसी भी कारण से कार्यग्रहण नहीं करता है तो ऐसे दूसरे आश्रित की, जो इन नियमों के अधीन नियुक्ति के लिए अन्यथा पात्र है, अनुकम्पात्मक नियुक्ति के लिए विचार किया जा सकेगा, यदि वह उस तारीख से, जिसको नियुक्त व्यक्ति द्वारा पूर्वतर नियुक्ति आदेश प्राप्त किया गया था, नब्बे दिवस के भीतर आवेदन करता है ।"
नियम 7: - अर्हताएं :   
(i) आश्रित के पास नियुक्ति के समय संबंधित सेवा नियमों के अधीन के पद के लिए विहित अर्हताएं होनी चाहिए ।
(ii) चतुर्थ श्रेणी सेवा में नियुक्ति के लिए विचार करते समय पद के लिए शैक्षिक अर्हताओं की अपेक्षा में अभिमुक्ति दी जायेगी ।
(iii) किसी आश्रित की नियुक्ति किये जाने से पूर्व नियुक्ति प्राधिकारी स्वयं का समाधान करेगा कि उसके चरित्र और शारीरिक योग्यता तथा संबंधित नियमों में विहित अन्य सामान्य शर्तों को देखते हुए, वह सरकारी सेवा में नियुक्ति के लिए अन्यथा उपयुक्त है ।
 नियम 8:- आयु : 
आश्रित को नियुक्ति के समय संबंधित सेवा नियमों के अधीन के पद के लिए विहित आयु सीमा के भीतर होना चाहिए ।
परन्तुः -
(i) किसी विधवा के लिए कोई ऊपरी अधिकतम आयु सीमा नहीं होगी ।
(ii) अन्य के लिए ऊपरी अधिकतम आयु सीमा उस कालावधि में पांच वर्ष तक शिथिलनीय रहेगी या 40 वर्ष की आयु तक की जो भी कम हो, होगी ।
(iii) आयु की संगणना करने के लिए निर्णायक तारीख नियुक्ति के लिए आवेदन प्राप्त करने की तारीख होगी एक उपयुक्त पद की व्यवस्था करने में बीता समय आश्रित को निरर्हित (अयोग्य) नहीं करेगा यदि वह उस कालावधि के दौरान अधिकायु हो जाता है ।
नियम 9 :- प्रक्रियात्मक अपेक्षाएं आदि - 
चयन के लिए प्रक्रियात्मक अपेक्षा जैसे-
(i) कम्प्यूटर अर्हता पर नियुक्ति के समय जोर नहीं दिया जायेगा। मृत सरकारी कर्मचारी के आश्रितों को परिवीक्षा की कालावधि के भीतर सुसंगत नियमों में यथाविहित कम्प्यूटर अर्हताओं में से कोई अर्हता प्राप्त करनी होंगी, इसमें विफल होने पर उसकी परीवीक्षा को बढ़ाया हुआ समझा जायेगा जब तक कि नियुक्ति प्राधिकारी, उसका कार्य पूर्णतः असंतोषजनक पाये जाने पर उसकी सेवाओं को समाप्त न कर दें
(ii) प्रशिक्षण या विभागीय परीक्षा या कम्प्यूटर टंकण पर नियुक्ति के समय जोर नहीं दिया जायेगा । तथापि, आश्रितों से, स्थायीकरण के लिए हकदारी हेतु ऐसा प्रशिक्षण या विभागीय परीक्षा या अंग्रेजी अथवा हिन्दी में से किसी एक भाषा में कम्प्यूटर टंकण परीक्षा तीन वर्ष के भीतर, जब तक कि कार्मिक विभाग द्वारा कालावधि शिथिल न की जाये, उत्तीर्ण करने की अपेक्षा की जायेगी, जिसमें विफल होने पर उसकी नियुक्ति समाप्त होने के दायित्वाधीन होगी। जब तक वह ऐसी अर्हताएं अर्जित नहीं कर लेता है तब तक उसे कोई वार्षिक ग्रेड वेतनवृद्धि अनुज्ञात नहीं की जायेगी। ऐसी अर्हताएं अर्जित करने पर उसे नियुक्ति की तारीख से वार्षिक ग्रेड वेतनवृद्धियां काल्पनिक रूप से अनुज्ञात की जायेंगी किन्तु उसे कोई बकाया संदत्त नहीं किये जायेंगे :
परन्तु इन नियमों के उपबंधो के अधीन नियुक्त विधवा को कम्प्यूटर अर्हता रखने और कम्प्यूटर पर टंकण परीक्षा उत्तीर्ण करने से छूट दी जायेगी :
परन्तु यह और कि इन नियमों के उपबंधो के अधीन नियुक्त निःशक्त व्यक्तियों को कम्प्यूटर पर टंकण उत्तीर्ण करने से छूट दी जायेगी।
टिप्पण : इस नियम के प्रयोजन के लिए निदेशक, भाषा विभाग अभ्यर्थियों को संख्या को विचार में लाये बिना प्रत्येक वर्ष कम्प्यूटर पर टंकण परीक्षा आयोजित करेगा ।"
नियम 10 : प्रक्रिया 
(1) किसी सरकारी कर्मचारी की मृत्यु होने पर उत्तरजीवी पति या पत्नी स्वंय की या किसी अन्य आश्रित की नियुक्ति के लिए आवेदन करेंगे ।
(2) जहां मृत सरकारी कर्मचारी का कोई जीवित पति या पत्नी न हो, वहां मृत सरकारी कर्मचारी के किसी भी आश्रित द्वारा आवेदन किया जायेगा और अन्य आश्रितों को उसकी अभ्यर्थिता के लिए अपनी सहमति देनी होगी, परन्तु यदि आश्रितों में से एक से अधिक द्वारा नियोजन चाहा जाये तो विभागाध्यक्ष संपूर्ण परिवार, विशेष कर अवयस्क सदस्यों के समग्रहित और कल्याण को देखते हुए किसी एक का चयन करेगा
(3) ऐसा आवेदन इन नियमों के उपाबंध में संलग्न प्रोफार्मा में सरकारी कर्मचारी की मृत्यु की तारीख से 90 दिन की कालावधि के भीतर -भीतर कार्यालयाध्यक्ष / विभागाध्यक्ष को किया जायेगा । आवेदक आवेदन के भाग-1 के स्तम्भ नं 7 में उल्लिखित परिवार के समस्त सदस्यों की {सभी स्त्रोतों से} मासिक आय के समर्थन में एक शपथ-पत्र प्रस्तुत करेगा ।
परन्तु किसी अपवाधिक मामले में, जहां राज्य सरकार के कार्मिक विभाग का यह समाधान हो जाता है कि इस उप-नियम के उपबन्धों का प्रवर्तन मृत सरकारी कर्मचारी के परिवार को वित्तीय कठिनाई करित करता है और किसी मामले विशेष में इस उप-नियम के उपबन्धों को शिथिल किया जाना आवश्यक या समीचीन समझा जाता है तो वह इस उप-नियम के उपबन्धों को उस सीमा तक और ऐसी शर्तों के अध्यधीन रहते हुए, जो वह उस मामले के न्यायसंगत तथा साम्यापूर्ण रीति से निपटाने के लिए आवश्यक समझे, शिथिल कर सकेगा ।
(4) अखिल भारतीय सेवाओं, राजस्थान प्रशासनिक सेवा, राजस्थान लेखा सेवा, राजस्थान विधिक , राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवा और राजस्थान आर्थिक एवं सांख्यिकी सेवा आदि के मामलों में जहां अधिकारी सरकार के विभिन्न विभागों में पदस्थापित किये जाते हैं, आवेदन उस विभागाध्यक्ष/ कार्यालयाध्यक्ष के माध्यम से उस सेवा को नियन्त्रित करने वाले प्रशासनिक विभाग को किये जायेंगे जहां मृत सरकारी कर्मचारी अपनी मृत्यु समय पंद-स्थापित था ।
(5) विभागाध्यक्ष या, यथास्थिति, कार्यालयाध्यक्ष का यह दायित्व होगा कि वह आश्रित को यथासंभव अपने विभाग में ही नियुक्ति दे।
(6) यदि कोई उपयुक्त पद रिक्त न हो किन्तु निम्नतर वेतनमान में का कोई पद तुरन्त उपलब्ध हो तो ऐसे निम्नतर पद का आवेदक को "पहले आए पहले पाए" के आधार पर प्रस्ताव किया जा सकता है और अविदक के लिए यह विकल्प होगा कि वह या तो अविदित पद के लिए प्रतीक्षा करे या उपलब्ध निम्नतर पद स्वीकार करे । यदि आवेदक उपलब्ध निम्नतर पद स्वीकार करता है तो वह आविदित उच्चतर पद के लिए अपना दावा खो देगा/खी देगी और उसके दावे की प्रतीक्षासूची में नहीं रखा जायेगा । परन्तु यदि उस विभाग में, जिसमें मृत कर्मचारी कार्यरत था, कोई रिक्त पद उपलब्ध नहीं हो तो मामला तुरन्त कार्मिक विभाग को निर्दिष्ट किया जायेगा जो तर्कपूर्ण कारणों द्वारा सम्यकरूप से समर्थित होगा और कार्मिक विभाग किसी अन्य विभाग में नियुक्ति उपलब्ध करायेगा । "
(7) राज्य संवर्गों वाली सेवाओं, जैसे कार्मिक विभाग द्वारा नियंत्रित अखिल भारतीय सेवाओं, राजस्थान प्रशासनिक सेवा, राजस्थान सचिवालय सेवा के सदस्यों की मृत्यु की दशा में आवेदन सचिव, कार्मिक विभाग को किया जायेगा और यह कार्मिक विभाग का दायित्व होगा कि वह किसी उपयुक्त पद की व्यवस्था करे ।
नियम 11 : अध्यारोही प्रभाव- 
इन नियमों के प्रारंभ के समय प्रवृत्त किन्हीं नियमों, विनियमों या आदेशों में अन्तर्विष्ट किसी विपरीत बात के होते हुए भी, ये नियम और इनके अधीन जारी किये गये कोई अदिश प्रभाव में रहेंगे ।
नियम 12 : नोडल विभाग - 
कार्मिक (क - 2) विभाग इन नियमों को प्रशासित करने के, प्रयोजनार्थ नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा और वह ऐसा कोई सामान्य या विशेष आदेश कर सकेगा जो वह इन नियमों के समुचित क्रियान्वयन के लिए आवश्यक या समीचीन समझे ।
नियम 13 : शंकाओं का निराकरण- 
यदि इन नियमों के लागू करने, निर्वचन और विस्तार संबंधी कोई शंका उत्पन्न हो तो उसे सरकार के कार्मिक  [क - 2] विभाग को निर्देशित किया जायेगा जिसका उस पर विनिश्चिय अंतिम होगा |
नियम 14 : कठिनाइयों के निराकरण की शक्ति- 
राज्य सरकार किसी कठिनाई के निराकरण के प्रयोजनार्थ उसकी विद्यमानता के लिए जिसके लिए वह एक मात्र निर्णायक है। इन नियमों के किसी उपबन्ध के क्रियान्वयन के लिए ऐसा कोई साधारण या विशेष आदेश दे सकेगी जैसा वह खरे व्यौहार के हित में या लोक हित में आवश्यक या समीचीन समझे ।
नियम 15 : निरसन एवं व्यावृति- 
विद्यमान राजस्थान सेवा काल के दौरान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की भर्ती नियम, 1975 और उनके अधीन जारी किये गये किसी भी आदेशों को इसके द्वारा निरसित किया जाता है:
परन्तु इस प्रकार निरसित / अतिष्ठित (repeated / superseded) किये गये नियमों और आदेशों के अधीन की गयी कोई भी कार्यवाही इन नियमों के उपबन्धों के अधीन की हुई समझी जायेगी ।



राजस्थान सरकार
कार्मिक [क-2] विभाग
सं. एफ. 5[51] कार्मिक /क-2/88                                                              जयपुर, दिनांक 31.12.96
अधिसूचना
भारत के संविधान के अनुच्छेद 309 के परन्तुक द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, राजस्थान के राज्यपाल, मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की अनुकंपात्मक आधारों पर भर्ती को विनियमित करने के लिए, इसके द्वारा, निम्नलिखित नियम बनाते हैं, अर्थात :-
नियम 1 : संक्षिप्त नाम और प्रारंभ-
(i) इन नियमों का नाम राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की अनुकंपात्मक नियुक्ति नियम, 1996 है ।
(ii) ये राजस्थान राजपत्र में इनके प्रकाशन की तारीख से प्रवत्त होंगे।
नियन 2 : परिभाषाएं- 
(क) "नियुक्ति प्राधिकारी से राजस्थान सरकार अभिप्रेत है तथा इसमें अन्य कोई ऐसा अधिकारी सम्मिलित है जिसे, सरकार द्वारा सुसंगत सेवा नियमों, यदि कोई हों, के अधीन नियुक्ति प्राधिकारी की शक्तियों का प्रयोग एवं कृत्यों का पालन करने के लिए किसी भी विशेष या सामान्य आदेश द्वारा शक्तियाँ प्रत्यायोजित की गयी हों
(ख) अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम, 1996 के नियम 2 (ख) के अनुसार "मृत सरकारी कर्मचारी" से ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जो राज्य के कार्यकलाप के संबंध में नियोजित किया गया था और इसमें राजस्थान राज्य के संवर्ग का अखिल भारतीय सेवाओं का वह सदस्य भी सम्मिलित है जिसका वेतन राज्य की समेकित निधि के प्रति विकलनीय था और जिसकी सेवा काल के दौरान मृत्यु हो गयी थी और जो :-
(i) स्थायी था, या
(ii) नियमित आधार पर नियुक्ति के पश्चात अस्थायी रूप से कोई पद धारण कर रहा था, या
(iii) अर्जेण्ट अस्थायी नियुक्ति पर नियमित रिक्ति के प्रति नियुक्त किया गया था और जिसने इस रूप में एक वर्ष क निरन्तर सेवा कर ली थी
(1) सशोधन आदेश दिनांक : 13.06.2008
नियम 2 के विद्यमान खण्ड (ख) के स्थान पर निम्नलिखित प्रतिव्यापित किया जायेगा, अर्थात् :-
(ख) “मृत सरकारी कर्मचारी" से, अखिल भारतीय सेवा के राजस्थान राज्य संवर्ग के किसी सदस्य सहित ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसे राज्य के कार्यकलाप के संबंध में नियोजित किया गया था और जिसका वेतन राज्य की समेकित निधि से विकलनीय था तथा जिसकी सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो गयी थी और जो :-
(i) स्थायी था, या
(ii) नियमित आधार पर नियुक्ति के पश्चात् अस्थायी रूप से कोई पद धारण कर रहा था और जिसने परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी के रूप में परिवीक्षाकाल सहित कम से कम तीन वर्ष क निरन्तर सेवा कर ली थी
(2) सशोधन आदेश दिनांक : 26.04.2011
नियम 2 के विद्यमान खण्ड (ख) के स्थान पर निम्नलिखित प्रतिस्थापित किया जायेगा, अर्थात् :
"(ख) "मृत सरकारी कमचारी से राजस्थान राज्य संवर्ग के अखिल भारतीय सेवाओं के सदस्यों सहित ऐसा व्यक्ति अभिप्रेत है जिसे राज्य के कार्यकलापों के संबंध में नियोजित किया गया था और जिसका वेतन राज्य की समेकित निधि पर विकलनीय था और जिसकी सेवा के दौरान मृत्यु हुई थी और जो-
(i) स्थायी था, या
(ii) नियमित आधार पर नियुक्ति के पश्चात् अस्थायी रूप से पद धारित कर रहा था और परिवीक्षाधीन प्रशिक्षणार्थी के रूप में कम से कम एक वर्ष की लगातार सेवा कर चुका था ।"
(3) सशोधन आदेश दिनांक: 25.04.2012
नियम 2 के खंड (ख) में विद्यमान उप-खंड (ii) के स्थान पर तुरंत प्रभाव से निम्नलिखित प्रतिस्थापित किया जायेगा, अर्थात् :
(ii) नियमित आधार पर नियुक्ति के पश्चात् अस्थायी रूप से, जिसमें परिवीक्षाधीन - प्रशिक्षणार्थी के रूप में परिवीक्षा की कालावधि सम्मिलित है, कोई पद धारित कर रहा था ।
(ग) "आश्रित" से पति या पत्नी, पुत्र, अविवाहित या विधवा पुत्री, मृत सरकारी कर्मचारी द्वारा अपने जीवन काल के दौरान वैधरूप से गृहीत दत्तक पुत्र/पुत्री अभिप्रेत है जो मृत सरकारी कर्मचारी पर, उसकी मृत्यु के समय पूर्णतया आश्रित थे
(1) सशोधन आदेश दिनांक 19.04.1999
नियम 2 के विद्यमान खण्ड (ग) की तीसरी पंक्ति में आई अभिव्यक्ति "दत्तक पुत्र/पुत्री " के स्थान पर अभिव्यक्ति दत्तक पुत्र / अविवाहित दत्तक पुत्री" प्रतिस्थापित की जायेगी ।
(2) सशोधन आदेश दिनांक: 28.10.2021
नियम 2 के विद्यमान खण्ड (ग) के स्थान पर निम्नलिखित प्रतिस्थापित किया जायेगा, अर्थात्:-
(ग) “आश्रित” से अभिप्रेत है, -
(i) पति या पत्नी, या
(ii) पुत्र जिसमें मृत सरकारी कर्मचारी द्वारा उसके जीवन काल में वैध रूप से दत्तक ग्रहण किया गया पुत्र सम्मिलित है, या
(iii) अविवाहित / विधवा / विच्छिन विवाह पुत्री जिसमें मृत सरकारी कर्मचारी द्वारा उसके जीवन काल में वैद्य रूप से दत्तक ग्रहण की गयी पुत्री सम्मिलित है, या
(iv) विवाहित पुत्री यदि उपरोक्त खंड (ii) और (iii) में उल्लिखित मृत सरकारी कर्मचारी का अन्य कोई आश्रित उपलब्ध न हो, या
(v) अविवाहित मृत सरकारी कर्मचारी के मामले में माता, पिता, अविवाहित भाई या अविवाहित बहन,
जो मृत सरकारी कर्मचारी पर उसकी मृत्यु के समय पूर्णतः आश्रित थे ।”
(घ) "सरकार" से राजस्थान सरकार अभिप्रेत है
(ड.) विभागाध्यक्ष / कार्यालयाध्यक्ष से ऐसे विभाग / कार्यालय का अध्यक्ष अभिप्रेत है जिसमें मृत तरकारी कर्मचारी अपनी मृत्यु के समय सेवा कर रहा था/थी
(च)  "राज्य" से राजस्थान राज्य अभिप्रेत है ।
नियम 3 : निर्वचन- 
जब तक संदर्भ ते. अन्यथा अपेक्षित न हो, इन नियमों के निर्वाचन के लिए राजस्थान साधारण खण्ड अधिनियम, 1955 (1955 का राजस्थान अधिनियम सं० 8) उसी तरह लागू होगा जैसे वह किसी राजस्थान अधिनियम के निर्वचन के लिए लागू होता है !
नियम 4 :  विस्तार - 
ये नियम अनुकंपTत्मक आधार पर, मृत सरकारी कर्मचारी के आश्रित की नियुक्ति को शासित करेंगे और ये किसी पद- विशेष के लिए कोई भी अधिकार प्रदान नहीं करेंगे 
नियम 5  : -कतिपय शर्तों के अध्यधीन नियुक्ति- 
जब किसी सरकारी कर्मचारी की सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो जाती है तो उसके किसी एक आश्रित की इस शर्त के अध्यधीन सरकारी सेवा में नियुक्ति के लिए विचार किया जा सकेगा कि इन नियमों के अधीन नियोजन उन मामलों में अनुज्ञेय नहीं होगा जहां पति या पत्नी का कोई एक पुत्र, अविवाहित पुत्री, दत्तक पुत्र/पुत्री केन्द्र या राज्य सरकार अथवा केन्द्र या राज्य सरकार के कानूनी बोर्ड, संगठन / निगम जो पूर्णतः या भागतः केन्द्र / राज्य सरकार के स्वामित्व या नियंत्रण में हों, के अधीन सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के समय नियमित आधार पर पहले से ही नियोजित हो :
परन्तु यह शर्त वहां लागू नहीं होगी जहां विधवा स्वंय के लिए नियोजन प्राप्त करती है।
(1) सशोधन आदेश दिनांक 19.04.19.99
नियम 5 के स्थान पर निम्नलिखित प्रतिस्थापित किया जायेगा, अर्थात् :-
5. कतिपय शर्तों के अध्यधीन नियुक्ति :-
जब किसी सरकारी कर्मचारी की सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो जाती है तो उसके किसी एक आश्रित को इस शर्त के अध्यधीन सरकारी सेवा में नियुक्ति के लिए विचार किया जा सकेगा कि इन नियमों के अधीन नियोजन उन मामलों में अनुज्ञेय नहीं होगा जहां पति या पत्नी अथवा मृत सरकारी कर्मचारी का कोई एक पुत्र अविवाहित पुत्री, दत्तक पुत्र / अविवाहित दत्तक पुत्री केन्द्र/ किसी राज्य सरकार या कानूनी बोर्ड, संगठन / निगम जो पूर्णतः या भागतः केन्द्र / किसी राज्य सरकार के स्वामित्व या नियन्त्रण में हो, के अधीन सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के समय नियमित आधार पर पहले से ही नियोजित हो परन्तु यह शर्त वहां लागू नहीं होगी जहाँ विधवा स्वयं के लिए नियोजन प्राप्त करती है ।
(2) संशोधन आदेश दिनांक 27.02.2001
नियम 5 में, नियम 5 के विद्यमान उपबंध, नियम 5 के उप-नियम (1) के रूप में संख्यांकित किये जायेंगे तथा इस प्रकार संख्यांकित किये गये उप-नियम (।) के परन्तुक के पश्चात् निम्नलिखित नया उप-नियम (2) जोड़ा जायेगा, अर्थात् :-
(2) इन नियमों के अधीन नियुक्ति इस शर्त पर कि अनुकंपात्मक आधार पर नियुक्त व्यक्ति परिवार के उन अन्य सदस्यों का, जो मृत सरकारी कर्मचारी पर आश्रित थे, उचित तौर पर भरणपोषण करेगा तथा लिखित वचनबंध देने पर दी जायेगी कि वह परिवार के अन्य सदस्यों का, जो मृत सरकारी कर्मचारी पर आश्रित थे उचित तौर पर भरणपोषण करेगा/ करेगी । यदि तत्पश्चात, किसी भी समय यह साबित हो जाता है कि परिवार के ऐसे आश्रित सदस्यों की उपेक्षा हो रही है या उसके द्वारा उचित तौर पर उनका भरणपोषण नहीं किया जा रहा है तो अनुकम्पात्मक आधार पर नियुक्त व्यक्ति को नियुक्ति प्राधिकारी, क्यों न उसकी सेवाओं को समाप्त कर दिया जाये का स्पष्टीकरण मांगते हुए कारण बताओ नोटिस जारी कर एक अवसर प्रदान करने के पश्चात् नियुक्ति समाप्त कर सकेगा ।
(3) संशोधन आदेश दिनांक 08.04.2015
राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की अनुकंपा नियुक्ति नियम, 1996 के नियम 5 में विद्यमान अभिव्यक्ति "सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के समय" के स्थान पर अभिव्यक्ति "सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के समय या आश्रित की नियुक्ति के समय" प्रतिस्थापित की जाएगी।
नियम 6 :- पदों का चयन – 
(1) आश्रित की, उसकी शैक्षिक अर्हताओं के अनुसार और सेवा की अन्य शर्तों की पूर्ति करने पर अधीनस्थ सेवाओं/ मंत्रालयिक सेवाओं/चतुर्थ श्रेणी सेवाओं में सीधी भर्ती से भरे जाने वाले केवल वेतनमान संख्या 1 से 9 तक के पदों पर मृत कर्मचारी की रेंक और प्रास्थिति को विचार में लाये बिना, नियुक्ति के लिए विचार किया जायेगा 
(1) संशोधन आदेश दिनांक 20.01.2000
राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितो की अनुकंपात्मक नियुक्ति नियम, 1996 के नियम 6 के उप-नियम (1) में अभिव्यक्ति "वेतनमान संख्या" और अभिव्यक्ति" के पदो पर " के बीच आयी विद्यमान अभिव्यक्ति" । से 9 तक" के स्थान पर अभिव्यक्ति" । से 9-क तक" प्रतिस्थापित को जायेगी ।
(2) संशोधन आदेश दिनांक 02.08.2001
राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की अनुकंपात्मक नियुक्ति नियम, 1996 के नियम 6 के विद्यमान उप-नियम (1) के पश्चात निम्नलिखित परन्तुक जोड़ जायेगा, अर्थात :
"परन्तु ऐसे सरकारी कर्मचारी की दशा में जिसका अपने पदीय कर्तव्यों के पालन के दौरान वध हो जाता है, उसके आश्रित की शैक्षिक अर्हताओं और सुसंगत सेवा नियमों के अधीन विहित अन्य सेवा शर्तों को पूरा करने के अध्यधीन रहते हुए तथा कार्मिक विभाग और यदि पद आयोग के कार्यक्षेत्र में आता है तो राजस्थान लोक सेवा आयोग की सहमति से वेतनमान सं. 10 से 11 में आने वाले और सीधी भर्ती द्वारा भरे जाने के लिए तात्पर्यित/DECLARED पद पर नियुक्ति के लिए भी विचार किया जा सकेगा ।"
(3) सशोधन आदेश दिनांक: 25.04.2012
नियम 6 के उप-नियम (1) में, 01-09-2006 से, -
"(i) विद्यमान अभिव्यक्ति वेतनमान सं. 1 से 9क" के स्थान पर अभिव्यक्ति
ग्रेड वेतन सं. 1 से 10 (रू. 1300 से 2800/-)" प्रतिस्थापित की जायेगी ।
(ii) परन्तुक में, विद्यमान अभिव्यक्ति " वेतनमान सं. 10 से 11" के स्थान पर" अभिव्यक्ति ग्रेड वेतन सं. 11 से 12 (रू. 3200 से 3600/-)" प्रतिस्थापित की जायेगी ।
(4) सशोधन आदेश(II) दिनांक: 25.04.2012
नियम 6 के उप-नियम (2) में निम्नलिखित परन्तुक जोड़ा जायेगा, अर्थात् :-
"परन्तु ऐसे मामलों में जहां कोई आश्रित, जिसे नियुक्ति प्रस्तावित की जाती है, किसी भी कारण से कार्यग्रहण नहीं करता है तो ऐसे दूसरे आश्रित की, जो इन नियमों के अधीन नियुक्ति के लिए अन्यथा पात्र है, अनुकम्पात्मक नियुक्ति के लिए विचार किया जा सकेगा, यदि वह उस तारीख से, जिसको नियुक्त व्यक्ति द्वारा पूर्वतर नियुक्ति आदेश प्राप्त किया गया था, नब्बे दिवस के भीतर आवेदन करता है ।"
(5) सशोधन आदेश दिनांक: 3.07.2019
नियम 6 में, दिनांक 01-01-2016 से
(i) उप-नियम 1 में, विद्यमान अभिव्यक्ति " ग्रेड वेतन सं. 1 से 10 (रु. 1300 से 2800 /- ) " के स्थान पर अभिव्यक्ति "पे - मैट्रिक्स में लेवल-1 से लेवल - 9 " प्रतिस्थापित की जायेगी; और
(ii) उप - नियम 1 में, विद्यमान अभिव्यक्ति " ग्रेड वेतन सं. 11 से 12 (रु.3200 से 3600/-)" के स्थान पर अभिव्यक्ति "पे - मैट्रिक्स में लेवल-10 से लेवल - 11" प्रतिस्थापित की जायेगी ।
(2) इन नियमों के अधीन किसी पद पर एक बार नियुक्ति कर दिये जाने पर इन नियमों के अधीन आश्रित प्रसुविधा उपभोग की गयी मानली जायेगी और मामले पर किन्हीं भी परिस्थिति में किसी अन्य पद पर नियुक्ति के लिए पुनः विचार नहीं किया जायेगा ।
नियम 7: - अर्हताएं :   
(i) आश्रित के पास नियुक्ति के समय संबंधित सेवा नियमों के अधीन के पद के लिए विहित अर्हताएं होनी चाहिए ।
(ii) चतुर्थ श्रेणी सेवा में नियुक्ति के लिए विचार करते समय पद के लिए शैक्षिक अर्हताओं की अपेक्षा में अभिमुक्ति दी जायेगी ।
(iii) किसी आश्रित की नियुक्ति किये जाने से पूर्व नियुक्ति प्राधिकारी स्वयं का समाधान करेगा कि उसके चरित्र और शारीरिक योग्यता तथा संबंधित नियमों में विहित अन्य सामान्य शर्तों को देखते हुए, वह सरकारी सेवा में नियुक्ति के लिए अन्यथा उपयुक्त है ।
 नियम 8:- आयु : 
आश्रित को नियुक्ति के समय संबंधित सेवा नियमों के अधीन के पद के लिए विहित आयु सीमा के भीतर होना चाहिए ।
परन्तुः -
(i) किसी विधवा के लिए कोई ऊपरी अधिकतम आयु सीमा नहीं होगी ।
(ii) अन्य के लिए ऊपरी अधिकतम आयु सीमा उस कालावधि में पांच वर्ष तक शिथिलनीय रहेगी या 40 वर्ष की आयु तक की जो भी कम हो, होगी ।
(iii) आयु की संगणना करने के लिए निर्णायक तारीख नियुक्ति के लिए आवेदन प्राप्त करने की तारीख होगी एक उपयुक्त पद की व्यवस्था करने में बीता समय आश्रित को निरर्हित (अयोग्य) नहीं करेगा यदि वह उस कालावधि के दौरान अधिकायु हो जाता है ।
नियम 9 :- प्रक्रियात्मक अपेक्षाएं आदि - 
प्रारंभिक नियुक्ति के समय चयन के लिए प्रक्रियात्मक अपेक्षाओं, जैसे, प्रशिक्षण या विभागीय परीक्षा या टंकण परीक्षा पर जोर नहीं दिया जायेगा। तथापि, आश्रित से 3 वर्ष के भीतर स्थायीकरण के लिए हकदारी हेतु ऐसा प्रशिक्षण या विभागीय परीक्षा या टंकण परीक्षा उत्तीर्ण करने की अपेक्षा की जायेगी और ऐसा न होने पर उसकी नियुक्ति समाप्त होने के दायित्वाधीन होगी। जब तक वह ऐसी अर्हता अर्जित नहीं कर लेता है तब तक उसे कोई वार्षिक वेतनवृद्धि अनुज्ञेय अनुतात नहीं की जायेगी । ऐसी अर्हताएं अर्जित करने पर उसे नियुक्ति की तारीख से काल्पनिक रूप से वेतन वृद्धियां अनुज्ञात की जायेंगी किन्तु कोई बकाया संदत्त नहीं की जायेगी ।
टिप्पण:- इस नियम के प्रयोजनार्थ विभागाध्यक्ष अभ्यर्थीयों की संख्या को विचार में लाये बिना प्रत्येक वर्ष ऐसी परीक्षा टैस्ट आयोजित करेगा ।
(1) सशोधन आदेश दिनांक: 07.09.2009
नियम 9 के स्थान पर निम्नलिखित प्रतिस्थापित किया जायेगा, अर्थात :-
" 9 प्रकियात्मक अपेक्षाएं आदि प्रारम्भिक नियुक्ति के समय चयन के लिए प्रक्रियात्मक अपेक्षा, जैसे प्रशिक्षण या विभागीय परीक्षा या टंकण परीक्षा पर जोर नहीं दिया जायेगा। तथापि, आश्रित से 3 वर्ष के भीतर स्थायीकरण के लिए हकदारी हेतु ऐसा प्रशिक्षण या विभागीय परीक्षा या टंकण परीक्षा उत्तीर्ण करने की अपेक्षा की जायेगी और ऐसा न होने पर उसकी नियुक्ति समाप्त होने के दायित्वाधीन होगी। जब तक वह ऐसी अर्हताएं अर्जित नहीं कर लेता / लेती है तब तक उसे कोई वार्षिक वेतनवृद्धियां अनुज्ञात नहीं की जायेगी। ऐसी अर्हताएं अर्जित करने पर उसे नियुक्ति की तारीख से काल्पनिक रूप से वेतनवृद्धियां अनुज्ञात की जायेंगी किन्तु किसी बकाया का संदाय नहीं किया जायेगा :
परन्तु इन नियमों के उपबंधों के अधीन नियुक्त किसी विधवा को टंकण परीक्षा उत्तीर्ण करने से छूट दी जायेगी ।"
टिप्पण : इस नियम के प्रयोजन के लिए, निदेशक, भाषा विभाग, अभ्यर्थियों की संख्या को विचार में लाये बिना, प्रत्येक वर्ष टंकण परीक्षा आयोजित करेगा ।"
(2) सशोधन आदेश  दिनांक 14.06.2013
नियम 9 के स्थान पर निम्नलिखित प्रतिस्थापित किया जायेगा, अर्थात् :-(दिनांक 05.07.2010 से)
प्रक्रियात्मक अपेक्षा आदि - प्रारम्भिक नियुक्ति के समय चयन के लिए प्रक्रियात्मक अपेक्षा जैसे प्रशिक्षण या विभागीय परीक्षा या कम्प्यूटर पर टंकण परीक्षा पर जोर नहीं दिया जायेगा। तथापि, आश्रितों से 3 वर्ष के भीतर स्थायीकरण के लिए हकदारी हेतु ऐसा प्रशिक्षण या विभागीय परीक्षा या अंग्रेजी में अथवा हिन्दी में से किसी एक भाषा में कम्प्यूटर पर टंकण परीक्षा उत्तीर्ण करने की अपेक्षा की जायेगी और ऐसा ना होने पर उसकी नियुक्ति समाप्त होने के दायित्वाचीन होगी। जब तक यह ऐसी अर्हताएं अर्जित नहीं कर लेता है तब तक उसे कोई वार्षिक ग्रेड वेतनवृद्धियां अनुज्ञात नहीं की जायेंगी। ऐसी अर्हताएं अर्जित करने पर उसे नियुक्ति की तारीख से काल्पनिक रूप से वार्षिक ग्रेड वेतनवृद्धियां अनुज्ञात की जायेंगी किन्तु कोई बकाया संदत्त नहीं किया जायेगाः
परन्तु इन नियमों के उपबंधों के अधीन नियुक्त विधवा को कम्प्यूटर पर टंकण परीक्षा से छूट दी जायेगी ।
टिप्पण :- इस नियम के प्रयोजन के लिए निदेशक, भाषा विभाग अभ्यर्थियों की संख्या को विचार में लाये बिना प्रत्येक वर्ष कम्प्यूटर पर टंकण परीक्षा आयोजित करेगा ।"
(3) सशोधन आदेश  दिनांक: 02.01.2017
नियम 9 के स्थान पर निम्नलिखित प्रतिस्थापित किया जायेगा, अर्थात् :-
9. प्रक्रियात्मक अपेक्षा आदि - चयन के लिए प्रक्रियात्मक अपेक्षा जैसे-
(i) कम्प्यूटर अर्हता पर नियुक्ति के समय जोर नहीं दिया जायेगा। मृत सरकारी कर्मचारी के आश्रितों को परिवीक्षा की कालावधि के भीतर सुसंगत नियमों में यथाविहित कम्प्यूटर अर्हताओं में से कोई अर्हता प्राप्त करनी होंगी, इसमें विफल होने पर उसकी परीवीक्षा को बढ़ाया हुआ समझा जायेगा जब तक कि नियुक्ति प्राधिकारी, उसका कार्य पूर्णतः असंतोषजनक पाये जाने पर उसकी सेवाओं को समाप्त न कर दें
(ii) प्रशिक्षण या विभागीय परीक्षा या कम्प्यूटर टंकण पर नियुक्ति के समय जोर नहीं दिया जायेगा । तथापि, आश्रितों से, स्थायीकरण के लिए हकदारी हेतु ऐसा प्रशिक्षण या विभागीय परीक्षा या अंग्रेजी अथवा हिन्दी में से किसी एक भाषा में कम्प्यूटर टंकण परीक्षा तीन वर्ष के भीतर, जब तक कि कार्मिक विभाग द्वारा कालावधि शिथिल न की जाये, उत्तीर्ण करने की अपेक्षा की जायेगी, जिसमें विफल होने पर उसकी नियुक्ति समाप्त होने के दायित्वाधीन होगी। जब तक वह ऐसी अर्हताएं अर्जित नहीं कर लेता है तब तक उसे कोई वार्षिक ग्रेड वेतनवृद्धि अनुज्ञात नहीं की जायेगी। ऐसी अर्हताएं अर्जित करने पर उसे नियुक्ति की तारीख से वार्षिक ग्रेड वेतनवृद्धियां काल्पनिक रूप से अनुज्ञात की जायेंगी किन्तु उसे कोई बकाया संदत्त नहीं किये जायेंगे :
परन्तु इन नियमों के उपबंधो के अधीन नियुक्त विधवा को कम्प्यूटर अर्हता रखने और कम्प्यूटर पर टंकण परीक्षा उत्तीर्ण करने से छूट दी जायेगी :
परन्तु यह और कि इन नियमों के उपबंधो के अधीन नियुक्त निःशक्त व्यक्तियों को कम्प्यूटर पर टंकण उत्तीर्ण करने से छूट दी जायेगी।
टिप्पण : इस नियम के प्रयोजन के लिए निदेशक, भाषा विभाग अभ्यर्थियों को संख्या को विचार में लाये बिना प्रत्येक वर्ष कम्प्यूटर पर टंकण परीक्षा आयोजित करेगा ।"
नियम 10 : प्रक्रिया 
(1) किसी सरकारी कर्मचारी की मृत्यु होने पर उत्तरजीवी पति या पत्नी स्वंय की या किसी अन्य आश्रित की नियुक्ति के लिए आवेदन करेंगे ।
(2) जहां मृत सरकारी कर्मचारी का कोई जीवित पति या पत्नी न हो, वहां मृत सरकारी कर्मचारी के किसी भी आश्रित द्वारा आवेदन किया जायेगा और अन्य आश्रितों को उसकी अभ्यर्थिता के लिए अपनी सहमति देनी होगी, परन्तु यदि आश्रितों में से एक से अधिक द्वारा नियोजन चाहा जाये तो विभागाध्यक्ष संपूर्ण परिवार, विशेष कर अवयस्क सदस्यों के समग्रहित और कल्याण को देखते हुए किसी एक का चयन करेगा
(3) ऐसा आवेदन उपाबन्ध "क" के रूप में संलग्न प्ररूप में मृत सरकारी कर्मचारी की मृत्यु की तारीख से 45 दिन के भीतर विभागाध्यक्ष को किया जायेगा अभ्यर्थी आवेदन के स्तंभ 7 में उल्लिखित परिवार के सभी सदस्यों की मासिक आय (सभी स्त्रोतों से) के समर्थन में एक शपथ-पत्र प्रस्तुत करेगा ।
(1) सशोधन आदेश दिनांक 19.04.1999
नियम 10 के विद्यमान उप नियम (3) के स्थान पर क्रमशः निम्नलिखित प्रतिस्थापित किया जायेगा, अर्थात :-
(3) ऐसा आवेदन उपाबंध "क" के रूप में संलग्न प्रारूप में सरकारी कर्मचारी की मृत्यु की तारीख से तीन मास की कालावधि के भीतर कार्यालयाध्यक्ष/विभागाध्यक्ष को किया जायेगा । आवेदक विहित अविदन के स्तम्भ संख्या 7 में उल्लिखित परिवार के सभी सदस्यों की मासिक आय (सभी स्त्रोतों) के समर्थन में एक शपथ-पत्र प्रस्तुत करेगा । परन्तु जहाँ पति या पत्नि स्वयं के लिए नियुक्ति नहीं चाहता है / चाहती हो और शेष आश्रितों में ज्येष्ठतम ने भी 18 वर्ष की आयु पूरी न की हो इस आशय की सूचना सरकारी कर्मचारी की मृत्यु से तीन मास के भीतर लिखित में दी जाये), तो वहां परिसीमा की उपर्युक्त कालावधि ऐसे ज्येष्ठतम आश्रित द्वारा 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने की तारीख से प्रारम्भ होगी ।
(2) सशोधन आदेश दिनांक: 11.09.2002
नियम 10 के विद्यमान उप-नियम (3) के स्थान पर निम्नलिखित प्रतिस्थापित किया जायेगा, अर्थात :-
(3) ऐसा आवेदन इन नियमों के उपाबंध में संलग्न प्रोफार्मा में सरकारी कर्मचारी की मृत्यु की तारीख से 90 दिन की कालावधि के भीतर -भीतर कार्यालयाध्यक्ष / विभागाध्यक्ष को किया जायेगा । आवेदक आवेदन के भाग-1 के स्तम्भ नं 7 में उल्लिखित परिवार के समस्त सदस्यों की {सभी स्त्रोतों से} मासिक आय के समर्थन में एक शपथ-पत्र प्रस्तुत करेगा ।
परन्तु किसी अपवाधिक मामले में, जहां राज्य सरकार के कार्मिक विभाग का यह समाधान हो जाता है कि इस उप-नियम के उपबन्धों का प्रवर्तन मृत सरकारी कर्मचारी के परिवार को वित्तीय कठिनाई करित करता है और किसी मामले विशेष में इस उप-नियम के उपबन्धों को शिथिल किया जाना आवश्यक या समीचीन समझा जाता है तो वह इस उप-नियम के उपबन्धों को उस सीमा तक और ऐसी शर्तों के अध्यधीन रहते हुए, जो वह उस मामले के न्यायसंगत तथा साम्यापूर्ण रीति से निपटाने के लिए आवश्यक समझे, शिथिल कर सकेगा ।
(4) अखिल भारतीय सेवाओं, राजस्थान प्रशासनिक सेवा, राजस्थान लेखा सेवा, राजस्थान विधिक , राजस्थान राज्य एवं अधीनस्थ सेवा और राजस्थान आर्थिक एवं सांख्यिकी सेवा आदि के मामलों में जहां अधिकारी सरकार के विभिन्न विभागों में पदस्थापित किये जाते हैं, आवेदन उस विभागाध्यक्ष/ कार्यालयाध्यक्ष के माध्यम से उस सेवा को नियन्त्रित करने वाले प्रशासनिक विभाग को किये जायेंगे जहां मृत सरकारी कर्मचारी अपनी मृत्यु समय पंद-स्थापित था ।
(5) प्रशासनिक विभाग का यह दायित्व होगा कि वह आश्रितों को अपने स्वयं के विभाग में नियुक्ति दे और किसी भी दशा में इस दायित्व को अन्य विभाग को स्थानान्तरित नहीं किया जायेगा ।
(3) सशोधन आदेश दिनांक 19.04.1999
नियम 10 के विद्यमान उप नियम (5) के स्थान पर क्रमशः निम्नलिखित प्रतिस्थापित किया जायेगा, अर्थात :-
(5) विभागाध्यक्ष या, यथास्थिति, कार्यालयाध्यक्ष का यह दायित्व होगा कि वह आश्रित को यथासंभव अपने विभाग में ही नियुक्ति दे।
(6) उपयुक्त पद रिक्त न होने की दशा में नियोजन उपलब्ध कराने के लिए आवेदन " पहले आए पहले पाए" के आधार पर प्रतीक्षा सूची में रखे जायेंगे ।
यदि निम्नतर वेतनमान में को कोई पद तुरन्त उपलब्ध हो तो उक्त निम्नतर पद का आवेदक को प्रस्ताव किया जा सकता है और अविदक के लिए यह विकल्प होगा कि वह या तो आवेदित पद के लिए प्रतीक्षा करे या उपलब्ध निम्नतर पद स्वीकार करे ।
यदि आवेदक उपलब्ध निम्नतर पद स्वीकार करता है तो वह आवेदित उच्चतर पद के लिए अपना दावा खो देगा और उसका नाम प्रतीक्षासूची में नहीं रखा जायेगा। परन्तु यदि आवेदन प्रस्तुत करने की तारीख से 2 वर्ष के भीतर नियुक्ति के लिए कोई पद उपलब्ध नहीं होता है तो मामला अन्य विभाग में नियुक्ति के लिए कार्मिक विभाग को निर्देशित किया जायेगा ।
(4) सशोधन आदेश दिनांक 19.04.1999
नियम 10 के विद्यमान उप नियम (6) के स्थान पर क्रमशः निम्नलिखित प्रतिस्थापित किया जायेगा, अर्थात :-
(6) यदि कोई उपयुक्त पद रिक्त न हो किन्तु निम्नतर वेतनमान में का कोई पद तुरन्त उपलब्ध हो तो ऐसे निम्नतर पद का आवेदक को "पहले आए पहले पाए" के आधार पर प्रस्ताव किया जा सकता है और अविदक के लिए यह विकल्प होगा कि वह या तो अविदित पद के लिए प्रतीक्षा करे या उपलब्ध निम्नतर पद स्वीकार करे । यदि आवेदक उपलब्ध निम्नतर पद स्वीकार करता है तो वह आविदित उच्चतर पद के लिए अपना दावा खो देगा/खी देगी और उसके दावे की प्रतीक्षासूची में नहीं रखा जायेगा । परन्तु यदि उस विभाग में, जिसमें मृत कर्मचारी कार्यरत था, कोई रिक्त पद उपलब्ध नहीं हो तो मामला तुरन्त कार्मिक विभाग को निर्दिष्ट किया जायेगा जो तर्कपूर्ण कारणों द्वारा सम्यकरूप से समर्थित होगा और कार्मिक विभाग किसी अन्य विभाग में नियुक्ति उपलब्ध करायेगा । "
(7) राज्य संवर्गों वाली सेवाओं, जैसे कार्मिक विभाग द्वारा नियंत्रित अखिल भारतीय सेवाओं, राजस्थान प्रशासनिक सेवा, राजस्थान सचिवालय सेवा के सदस्यों की मृत्यु की दशा में आवेदन सचिव, कार्मिक विभाग को किया जायेगा और यह कार्मिक विभाग का दायित्व होगा कि वह किसी उपयुक्त पद की व्यवस्था करे ।
नियम 11 : अध्यारोही प्रभाव- इन नियमों के प्रारंभ के समय प्रवृत्त किन्हीं नियमों, विनियमों या आदेशों में अन्तर्विष्ट किसी विपरीत बात के होते हुए भी, ये नियम और इनके अधीन जारी किये गये कोई अदिश प्रभाव में रहेंगे ।
नियम 12 : नोडल विभाग - 
कार्मिक (क - 2) विभाग इन नियमों को प्रशासित करने के, प्रयोजनार्थ नोडल विभाग के रूप में कार्य करेगा और वह ऐसा कोई सामान्य या विशेष आदेश कर सकेगा जो वह इन नियमों के समुचित क्रियान्वयन के लिए आवश्यक या समीचीन समझे ।
नियम 13 : शंकाओं का निराकरण- 
यदि इन नियमों के लागू करने, निर्वचन और विस्तार संबंधी कोई शंका उत्पन्न हो तो उसे सरकार के कार्मिक  [क - 2] विभाग को निर्देशित किया जायेगा जिसका उस पर विनिश्चिय अंतिम होगा |
नियम 14 : कठिनाइयों के निराकरण की शक्ति- 
राज्य सरकार किसी कठिनाई के निराकरण के प्रयोजनार्थ उसकी विद्यमानता के लिए जिसके लिए वह एक मात्र निर्णायक है। इन नियमों के किसी उपबन्ध के क्रियान्वयन के लिए ऐसा कोई साधारण या विशेष आदेश दे सकेगी जैसा वह खरे व्यौहार के हित में या लोक हित में आवश्यक या समीचीन समझे ।
नियम 15 : निरसन एवं व्यावृति- 
विद्यमान राजस्थान सेवा काल के दौरान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों की भर्ती नियम, 1975 और उनके अधीन जारी किये गये किसी भी आदेशों को इसके द्वारा निरसित किया जाता है:
परन्तु इस प्रकार निरसित / अतिष्ठित (repeated / superseded) किये गये नियमों और आदेशों के अधीन की गयी कोई भी कार्यवाही इन नियमों के उपबन्धों के अधीन की हुई समझी जायेगी ।


(1) परिपत्र दिनांक 20.04.2001
मृतक राज्य कर्मचारी के आश्रित को यथा संभव उसी विभाग में जहां पर कि मृतक राज्य कर्मचारी नियोजित / कार्यरत था नियुक्ति दिये जाने का प्रावधान है । परन्तु यह आवश्यक नहीं है कि आवेदनकर्ता ने जिस पद के लिए आवेदन किया है उसी पद पर उसको नियुक्ति दी जावे । आवेदनकर्ता को विभाग के वेतनमान संख्या 1 से 9 ए तक के सीधी भर्ती से भरे जाने वाले किसी भी रिक्त पद पर जिसके लिये वह पात्र हों, नियुक्ति प्रदान की जा सकती है। 
अतः कार्मिक विभाग को आवेदन पत्र नियम 10 के उप नियम ( 5 ) तथा (6) की पालना करते हुए उसी स्थिति में अग्रेषित किया जाना चाहिये जबकि विभाग में उसकी योग्यता के अनुरूप वेतनमान संख्या 1 से 9 ए तक का कोई भी रिक्त पद उपलब्ध नहीं हो
(2) परिपत्र दिनांक: 19-08-2010
कनिष्ठ लिपिक के पद पर नियुक्ति प्रदान करते समय मृतक के आश्रित के पास शैक्षणिक योग्यता 'मान्यता प्राप्त बोर्ड से सीनियर सैकण्डरी या समतुल्य परीक्षा और कम्प्यूटर योग्यता' का होना आवश्यक है। अतः मृतक के आश्रित को नियुक्ति से पूर्व 6 माह की छूट दिये जाने का निर्णय लिया गया है, ताकि उक्त अवधि में वह कम्प्यूटर योग्यता प्राप्त कर सके। उक्त योग्यता प्राप्त करने के उपरान्त ही मृतक के आश्रित को कनिष्ठ लिपिक पद पर नियुक्ति हेतु पात्र माना जायेगा ।
(3) परिपत्र दिनांक: 21.9.2010
इस विभाग द्वारा जारी समसंख्यक परिपत्र दिनांक 19.8.2010 में संशोधन करते हुए यह स्पष्ट किया जाता है कि उक्त नियमों के अन्तर्गत मृतक आश्रित को कनिष्ठ लिपिक के पद हेतु कम्प्यूटर कोर्स उत्तीर्ण करने की अर्हता नियुक्ति के पश्चात एक वर्ष की अवधि में अर्जित करनी होगी अर्थात बिना कम्प्यूटर की योग्यता के प्रथमतः अनुकम्पात्मक नियुक्ति तो दे दी जावेगी लेकिन नियुक्ति उपरान्त एक वर्ष में कम्प्यूटर कोर्स उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा।
(4) परिपत्र दिनांक:- 13.05.2011
कार्मिक विभाग द्वारा समसंख्यक अधिसूचना दिनांक 07.09.2009 जारी की गई है, जो आश्रित विधवा महिलाओं को टंकण परीक्षा से छूट के संबंध में है। अतः इस सम्बन्ध में स्पष्ट किया जाता है कि उक्त अधिसूचना दिनांक 07.09.09 राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम, 1996 के अन्तर्गत उन सभी आश्रित विधवा महिलाओं पर लागू हैं जो कि दिनांक 07.09,09 से पूर्व एवं पश्चात नियुक्त हुई हैं / होगी, ऐसी सभी आश्रित विधवा महिलाऐं टंकण परीक्षा से मुक्त होंगी।
(5) परिपत्र दिनांक : 20.02.2015
प्रशासनिक विभागों से अपेक्षा की जाती है कि मृतक आश्रित से आवेदन प्राप्त होने के पश्चात् पात्र पाये जाने पर, तीन माह की अवधि में विभाग में उपलब्ध रिक्त पद पर आवश्यक रूप से नियुक्ति प्रदान करने की व्यवस्था करावें । अगर सम्बन्धित विभाग में पद रिक्त नहीं हो तो कार्मिक विभाग के परिपत्र दिनांक 20.04.2001 के अन्तर्गत नियुक्ति हेतु आवेदन के तीन माह की अवधि में प्रकरण कार्मिक विभाग को भिजवाने को व्यवस्था करावें ।
कार्मिक विभाग द्वारा अन्य विभाग में नियुक्ति हेतु आवेदन प्रेषित किये जाने पर, आवश्यक पूर्तियां सुनिश्चित कर तीन माह की अवधि में नियुक्ति की कार्यवाही पूर्ण की जानी चाहिये । 
आयु सीमा एवं आवेदन में विलम्ब अवधि में शिथिलन प्रकरण भी आवेदन के तीन माह के भीतर आवश्यक रूप से कार्मिक विभाग को प्राप्त हो जाने चाहिये ।
भविष्य में कार्मिक विभाग से जारी शिथिलन आदेश की दिनांक से एक वर्ष के भीतर नियुक्ति / कार्यग्रहण आदि सम्पूर्ण प्रक्रिया पूर्ण की जानी सुनिश्चित की जावे। इसके बाद शिथिलन की अवधि स्वतः समाप्त मानी जावेगी 
(6) परिपत्र दिनांक 26.08.2015
कनिष्ठ लिपिक (लिपिक ग्रेड-द्वितीय) या समकक्ष पद हेतु भाषा विभाग द्वारा टंकण गति परीक्षा वर्ष में दो बार आयोजित की जाती रही है।
भाषा विभाग के परिपत्र  दिनांक 03.07.2015 के अनसार अनुकम्पात्मक नियुक्ति प्राप्त कनिष्ठ लिपिक (लिपिक ग्रेड-द्वितीय) या समकक्ष पद हेतु टंकण गति परीक्षा आगे से वर्ष में तीन बार निम्न कार्यक्रम अनुसार आयोजित की जावेगी
आवेदन प्राप्त होने की अवधि 01 अगस्त से 30 नवम्बर तक है तो परीक्षा जनवरी में, आवेदन प्राप्त होने की अवधि  01 दिसम्बर से 31 मार्च तक है तो परीक्षा मई में तथा आवेदन प्राप्त होने की अवधि 01 अप्रैल से 31 जुलाई तक है तो परीक्षा सितम्बर आयोजित की जावेगी
अनुकम्पात्मक नियुक्ति प्राप्त कार्मिकों की तीन वर्ष की अवधि की गणना उनकी नियुक्ति दिनांक से परीक्षा आयोजित होने वाले माह (जनवरी / मई / सितम्बर) के अन्तिम दिवस को आधार मानकर की जावेगी । 
(7) परिपत्र दिनांक : 31.05. 2016
मृतक कर्मचारी का ऐसा पुत्र, जिसकी पत्नी / पुत्र / अविवाहित पुत्री पूर्व से ही (नियम - 5 में यथा परिभाषित ) नियोजित है, को मृतक कर्मचारी पर पूर्णतया आश्रित न होने के कारण, नियम - 2 (ग) के तहत आश्रित की श्रेणी में नहीं माना जायेगा । फलतः ऐसे पुत्र को अनुकम्पात्मक नियुक्ति देय नहीं होगी।
(7) परिपत्र  दिनांक : 24.06.2016
भाषा विभाग द्वारा दिनांक 05.07.2010 से पूर्व नियुक्त कार्मिकों की हिन्दी/अंग्रेजी टंकण गति परीक्षा, उनके विकल्पानुसार कम्प्यूटर अथवा टंकण यंत्र (टाईपराईटर) पर एवं दिनांक 05.07.2010 व इसके पश्चात नियुक्त कार्मिकों की हिन्दी/अंग्रेजी टंकण गति परीक्षा, कम्प्यूटर पर ली जाती रही है।
भाषा विभाग के परिपत्र दिनांक 09.05.2013 के अनुसार दिनांक 05.07.2010 से पूर्व नियुक्त कार्मिकों को टंकण गति परीक्षा टाईपराईटर/कम्प्यूटर पर देने का विकल्प प्रदान किया गया था। चूंकि वर्तमान में दिनांक 05.07.2010 से पूर्व अनुकम्पात्मक नियुक्ति प्राप्त अनेक कार्मिकों द्वारा टंकण गति परीक्षा टाईपराईटर पर ही देने का विकल्प चुना हुआ है। अतः ऐसे सभी कार्मिक जिनकी नियुक्ति दिनांक 05.07.2010 से पूर्व हुई है तथा जिन्होंने टंकण परीक्षा टाईपराईटर पर देने का विकल्प चुना है और अभी तक नियमानुसार टंकण गति परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की है, उनको भाषा विभाग द्वारा आयोजित टंकण गति परीक्षा (टाईपराईटर पर ) में सम्मिलित होने हेतु एक अन्तिम अवसर प्रदान किया जाता है। इस संबंध में पृथक से शिथिलता की आवश्यकता नहीं होगी। इसके पश्चात भविष्य में किसी भी कार्मिक को टाईपराईटर पर टंकण गति परीक्षा का विकल्प प्रदान नहीं किया जावेगा। क्योंकि इसके पश्चात उत्तीर्ण होने से शेष रहे सभी कार्मिकों को टंकण गति परीक्षा कम्प्यूटर पर ही देनी होगी ।
टंकण यंत्र (टाईपराईटर) पर अन्तिम परीक्षा का आयोजन भाषा विभाग द्वारा माह जनवरी 2017 में किया जावेगा जिसके लिए आवेदन 31 दिसम्बर, 2016 तक भरे जा सकेंगे।उसके पश्चात भाषा विभाग किसी भी कार्मिक को टंकण यंत्र पर परीक्षा की अनुमति नहीं देगा।
(9) परिपत्र दिनांक  04.05.2017
जिन कार्मिकों द्वारा नियुक्ति तिथि से 01 वर्ष बाद एवं 02 वर्ष से पूर्व (परिवीक्षा अवधि से पूर्व) कम्प्यूटर योग्यता अर्जित कर ली गई है, को दो वर्ष का परिवीक्षाकाल संतोषजनक पूर्ण करने पर नियमित वेतन श्रृंखला देय होगी और ऐसे कर्मचारी जिन्होंनें नियुक्ति तिथि से दो वर्ष का परिवीक्षाकाल पूर्ण होने के पश्चात भी कम्प्यूटर योग्यता अर्जित नही की है, को नियमित वेतन श्रृंखला, परिवीक्षाकाल संतोषजनक होने की स्थिति में उस दिनांक से देय होगी जिस दिनांक को उसके द्वारा कम्प्यूटर योग्यता अर्जित की गई है।
(10) परिपत्र दिनांक 21.06.2017
राजस्थान मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रितों को अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम, 1996 के नियम - 9 के अन्तर्गत प्रक्रियात्मक अपेक्षा में तीन वर्ष के भीतर स्थायीकरण के लिए पात्र बनाने हेतु विहित प्रशिक्षण / विभागीय परीक्षा / कम्प्यूटर पर टंकण परीक्षा (अंग्रेजी / हिन्दी ) उत्तीर्ण करना अनिवार्य है ।वर्तमान में  भाषा विभाग द्वारा टंकण परीक्षा का आयोजन केवल जयपुर में किया जा रहा है:---
अनुकम्पा नियुक्ति प्राप्त कर्मचारियों की असुविधा को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि उक्त टंकण परीक्षा केवल कम्प्यूटर पर ही जिला स्तर पर जिला कलक्टर द्वारा गठित परीक्षा आयोजन समिति द्वारा ली जावेगी। 
कार्मिक विभाग के परिपत्र दिनांक 24-6-2016 के अनुसार टाइपराइटर मशीन पर अन्तिम परीक्षा हेतु एक अवसर प्रदान किया गया था । उन सभी कार्मिकों की भी अब टंकण परीक्षा टाईपराईटर पर नहीं ली जाकर कम्प्यूटर पर ही ली जावेगी |
(11) परिपत्र दिनांक 28.05.2018
पूर्व में आश्रित कर्मचारियों को समयावधि पश्चात टंकण परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए कार्मिक विभाग से शिथिलन द्वारा प्रदान किया जाता था 
कार्मिक विभाग द्वारा शिथिलन प्रदान किये जाने से पूर्व कर्मचारी की टंकण गति की जांच करने हेतु इस विभाग में बुलाया जाता है और टंकण गति संतोषजनक होने पर ही उन्हें टंकण परीक्षा में सम्मिलित होने हेतु एक अवसर प्रदान किया जा रहा है जिसमे धन व समय बर्बाद होता है 
अब ऐसे मृतक आश्रित कर्मचारी जिन्होंने  निर्धारित समयावधि में कम्प्यूटर टंकण परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की है, को समयावधि पश्चात टंकण परीक्षा में सम्मिलित होने हेतु अधिकतम दो अवसर, संबधित विभाग के प्रशासनिक विभाग द्वारा दिया जावेगा । किन्तु अवसर दिये जाने से पूर्व प्रशासनिक विभाग के सचिव का यह दायित्व होगा कि वह प्रथमतः मृतक आश्रित कर्मचारी की टंकण गति संतोषजनक पाये जाने की सुनिश्चितता करेंगे। इस हेतु विभाग में कार्यरत संयुक्त शासन सचिव / उप शासन सचिव / सहायक शासन सचिव, टंकण गति हेतु मॉक टेस्ट लेंगे और गति संतोषजनक होने की दशा में ही उसे अवसर प्रदान किया जावेगा । ततपश्चात दो अवसर दिये जाने के पश्चात भी यदि कर्मचारी द्वारा किसी कारणवश टंकण परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की जाती है, तो प्रकरण पूर्ण तथ्यों के साथ कार्मिक विभाग को प्रस्तुत कर सकेंगे।
(12) परिपत्र दिनांक  06.06. 2018.
मृत सरकारी कर्मचारियों के आश्रित को अनुकम्पात्मक नियुक्ति प्रदान करते समय यह भी देखा जाना है कि मृत सरकारी कर्मचारी का कोई भी वैध आश्रित, कर्मचारी की मृत्यु के समय एवं अनुकम्पात्मक नियुक्ति प्रदान करते समय तक अर्थात दोनों ही दशाओं में, राज्य सरकार अथवा केन्द्र या अन्य राज्य सरकारों के अधीन एवं ऐसे किसी विधि द्वारा स्थापित बोर्ड / संगठन / निगम जो पूर्णतः या भागतः केन्द्र/राज्य सरकार के स्वामित्व या नियन्त्रण में हो, के अधीन सरकारी सेवा में नहीं होना चाहिये ।
(13) परिपत्र दिनांक 02.06.2020
मृतक आश्रित कर्मचारियों की नियमित नियुक्ति, स्थाईकरण, वरिष्ठता एवं पदोन्नति के संबंध में स्पष्टीकरण एवं नियम निवर्चना निम्नानुसार की जाती है-
1 मृतक आश्रित कर्मचारी की नियुक्ति नियमित कब से होगी ।
अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम, 1996 के तहत नियुक्त कर्मचारी की नियमित नियुक्ति कार्यग्रहण दिनांक से ही मानी जावेंगी
2. मृतक आश्रित कर्मचारी द्वारा कम्प्यूटर योग्यता अर्जित करने के संबंध में ।
नियुक्ति के समय कम्प्यूटर अर्हता पर जोर नहीं दिया जायेगा । मृत सरकारी कर्मचारी के आश्रितों को परिवीक्षा की कालावधि के भीतर सुसंगत नियमों में यथाविहित कम्प्यूटर अर्हताओं में से कोई अर्हता प्राप्त करनी होगी ।
3. मृतक आश्रित कर्मचारी की वरिष्ठता के संबंध में ।
मृतक आश्रित कर्मचारी की वरिष्ठता, कार्यग्रहण दिनांक से ही मानी जावेगी ।
4. मृतक आश्रित कर्मचारी के परिवीक्षाकाल के संबंध में ।
मृतक आश्रित कर्मचारी का परिवीक्षाकाल भी सीधी भर्ती में नियुक्त कर्मचारी की भांति दो वर्ष का होगा किन्तु यदि वह दो वर्ष में कम्प्यूटर योग्यता अर्जित नहीं करता है, तो उसका परिवीक्षाकाल अधिसूचना दिनांक 02.01.2017 के प्रावधानानुसार उतनी ही अवधि का बढाया हुआ समझा जावेगा जितनी अवधि में वह कम्प्यूटर योग्यता अर्जित करता है ।
5. मृतक आश्रित कर्मचारी के स्थायीकरण के संबंध में
मृतक आश्रित कर्मचारी द्वारा कम्प्यूटर योग्यता अर्जित करने के पश्चात् परिवीक्षाकाल संतोषजनक होने पर उसका स्थायीकरण किया जावेगा
6. मृतक कर्मचारी आश्रित द्वारा प्रशिक्षण / विभागीय परीक्षा / टंकण परीक्षा उत्तीर्ण किये जाने के संबंध में |
 जब तक वह ऐसी अर्हताएं अर्जित नही कर लेता है तब तक उसे कोई वार्षिक वेतनवृद्धि अनुज्ञात नहीं की जायेगी । ऐसी अर्हताएं अर्जित करने पर उसे नियमानुसार काल्पनिक रूप से वेतन वृद्धि देय होगी तथा कोई नकद संदाय नहीं किया जायेगा ।
7. मृतक आश्रित कर्मचारी की पदोन्नति के संबंध में
मृतक आश्रित कर्मचारी द्वारा यदि नियमानुसार कम्यूटर योग्यता / टंकण परीक्षा उत्तीर्ण कर ली गई है, तो उसकी पदोन्नति वरिष्ठता के आधार पर नियमानुसार देय है । किन्तु यदि उसने नियमों में विहित कम्प्यूटर योग्यता / टंकण परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की है, तो इस संबंध में स्पष्ट किया जाता है कि जब तक मृतक आश्रित कर्मचारी के द्वारा कम्प्यूटर योग्यता व टंकण परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर ली जाती है, तब तक उसे पदोन्नति देय नहीं होगी और जैसे ही वह कम्प्यूटर योग्यता / टंकण परीक्षा उत्तीर्ण करेगा, उसके बाद आने वाली अप्रैल के प्रथम दिन की स्थिति में उसे नियमानुसार पदोन्नति देय होगी । 
8. मृतक आश्रित कर्मचारी द्वारा निर्धारित योग्यता अर्जित नहीं करने की स्थिति में पद सुरक्षित रखे जाने के संबंध में ।
मृतक आश्रित कर्मचारी द्वारा निर्धारित योग्यता अर्जित नहीं करने और उससे कनिष्ठ के पदोन्नत होने की स्थिति में ऐसे कर्मचारियों के लिए पद सुरक्षित नहीं रखा जायेगा एवं बिन्दु संख्या 07 के के अनुसार कार्यवाही सुनिश्चित की जावेगी
(14) परिपत्र दिनांक: 13.10.2020
कार्मिक विभाग द्वारा जारी परिपत्र दिनांक 16.08.2016 के अनुसार आवेदक द्वारा निम्नतर वेतनमान का पद स्वीकार न करने व आवेदित पद की प्रतीक्षा करने की स्थिति में आवेदन प्रस्तुत करने की तारीख से दो वर्ष तक विभाग आवेदन पत्र को प्रतीक्षा में रखने के उपरान्त ही प्रकरण अन्यत्र विभाग में नियुक्ति हेतु कार्मिक विभाग को भेजा जावे । ऐसी स्थिति में अनुकम्पा नियुक्ति समय पर नहीं मिलने के कारण मृतक कर्मचारी के परिवार को तुरन्त राहत नहीं मिल पाती हैं तथा पद रिक्त रहने से राजकीय कार्य भी प्रभावित होता हैं । परिणामस्वरूप उक्त परिपत्र दिनांक 16.08.2016 को निरस्त करने का निर्णय लिया गया हैं ।
अतः सभी नियुक्ति विभागों / प्राधिकारियों को निर्देशित किया जाता हैं कि भविष्य में अनुकम्पा नियुक्ति प्रकरणों में पद रिक्त न होने की स्थिति में आवेदन पत्र 2 वर्ष तक प्रतीक्षा में रखने की आवश्यकता नहीं हैं। यदि विभाग में आवेदक की योग्यता / पात्रता के अनुरूप पद उपलब्ध नहीं होता है तो कार्मिक विभाग को आवेदन पत्र अग्रेषित किये जाने की कार्यवाही की जावे ताकि मृतक के आश्रित को नियमानुसार अन्य विभाग में रिक्त पद पर शीघ्र नियुक्ति प्रदान की जा सके।
(15) परिपत्र दिनांक : 02.11.2021
कार्मिक विभाग के परिपत्र दिनांक 06.12.2019 के द्वारा दिनांक 31.12.2016 से पूर्व नियुक्त ऐसे मृतक आश्रित कर्मचारी जिनके द्वारा अभी तक टंकण परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की गई है, को निर्धारित समयावधि के पश्चात (नियुक्ति तिथि से तीन वर्ष) टंकण परीक्षा उत्तीर्ण किये जाने हेतु दो अतिरिक्त अवसर एवं टंकण गति में शिथिलन प्रदान करते हुए कम्प्यूटर पर टंकण गति, अंग्रेजी भाषा में 20 शब्द प्रति मिनिट एवं हिन्दी में 16 शब्द प्रति मिनिट मानकर परिणाम जारी करने हेतु निर्देशित किया गया था ।
उक्त परिपत्र जारी होने के पश्चात वर्ष 2020 एवं 2021 में  कोविड- 19 के कारण काफी संख्या में कार्मिकों को उक्त अतिरिक्त अवसरों का पूर्णलाभ नहीं मिला जिसके कारण वे टंकण परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर पाये । निर्धारित समयावधि में टंकण परीक्षा उत्तीर्ण न करने वाले कार्मिकों में दिनांक 31.12. 2016 के पश्चात नियुक्त कार्मिक भी शामिल हैं । 
अतः समस्त विभागाध्यक्ष एवं नियुक्ति प्राधिकारियों को उक्त परिपत्र दिनांक 06.12.2019 की निरन्तरता में निर्देशित किया जाता है कि दिनांक 31.12.2018 से पूर्व नियुक्त ऐसे मृतक आश्रित कर्मचारी जिनके द्वारा अभी तक टंकण परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की गई है, को दो और अतिरिक्त अवसर कार्मिक विभाग के स्तर पर प्रदान किये जाते हैं एवं इसके साथ ही पूर्व की भांति टंकण गति अंग्रेजी में 20 शब्द प्रति मिनट एवं हिन्दी में 16 शब्द प्रति मिनट प्राप्त करने की छूट प्रदान की जाती है। 
16. परिपत्र दिनांक : 21.02.2024
कार्मिक विभाग के परिपत्र दिनांक 28.05.2018 के तहत ऐसे कर्मचारी जिन्होंने निर्धारित समयावधि में टंकण परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की है, को समयावधि पश्चात टंकण परीक्षा में सम्मिलित होने हेतु अधिकतम दो अवसर प्रशासनिक विभाग के माध्यम से दिये जाने हेतु प्रावधान किया गया है।
इसके पश्चात कार्मिक विभाग के परिपत्र दिनांक 06.12.2019 के द्वारा दिनांक 31.12.2016 से पूर्व नियुक्त एवं परिपत्र दिनांक 02.11.2021 के द्वारा 31.12.2018 से पूर्व नियुक्त, ऐसे मृतक आश्रित कर्मचारी जिनके द्वारा अभी तक टंकण परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की गई है, को निर्धारित समयावधि पश्चात टंकण परीक्षा उत्तीर्ण किये जाने हेतु दो अतिरिक्त अवसर कार्मिक विभाग के स्तर पर प्रदान किये गये थे।  
दिनांक 01.01.2019 अथवा इसके पश्चात नियुक्त ऐसे मृतक आश्रित कर्मचारी जिनके द्वारा अभी तक टंकण परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की गई है, को निर्धारित समयावधि के पश्चात टंकण परीक्षा उत्तीर्ण किये जाने हेतु अधिकतम दो अवसर कार्मिक विभाग के परिपत्र दिनांक 28.05.2018  के तहत परीक्षण कर संबंधित विभाग के प्रशासनिक विभाग द्वारा ही प्रदान किये जायेंगे। साथ ही दिनांक 01.01.2019 से पूर्व नियुक्त ऐसे मृतक आश्रित कर्मचारी जिनके द्वारा अभी तक टंकण परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की गई है, के प्रकरण प्रशासनिक विभाग के माध्यम से पूर्ण तथ्यों के साथ कार्मिक विभाग को प्रस्तुत कर सकेंगे

➥अनुकम्पात्मक नियुक्ति नियम, 1996 के तहत नियुक्त कर्मचारी की नियमित नियुक्ति कार्यग्रहण दिनांक से ही मानी जावेंगी
नियुक्ति के समय कम्प्यूटर अर्हता पर जोर नहीं दिया जायेगा । मृत सरकारी कर्मचारी के आश्रितों को परिवीक्षा की कालावधि के भीतर सुसंगत नियमों में यथाविहित कम्प्यूटर अर्हताओं में से कोई अर्हता प्राप्त करनी होगी किन्तु यदि वह दो वर्ष में कम्प्यूटर योग्यता अर्जित नहीं करता है, तो उसका परिवीक्षाकाल अधिसूचना दिनांक 02.01.2017 के प्रावधानानुसार उतनी ही अवधि का बढाया हुआ समझा जावेगा जितनी अवधि में वह कम्प्यूटर योग्यता अर्जित करता है ।
मृतक कर्मचारी आश्रित द्वारा प्रशिक्षण / विभागीय परीक्षा / टंकण परीक्षा उत्तीर्ण कर लेता है तब तक उसे कोई वार्षिक वेतनवृद्धि अनुज्ञात नहीं की जायेगी । ऐसी अर्हताएं अर्जित करने पर उसे नियमानुसार काल्पनिक रूप से वेतन वृद्धि देय होगी तथा कोई नकद संदाय नहीं किया जायेगा ।
यदि विभाग में आवेदक की योग्यता / पात्रता के अनुरूप पद उपलब्ध नहीं होता है तो कार्मिक विभाग को आवेदन पत्र अग्रेषित किये जाने की कार्यवाही की जावे ताकि मृतक के आश्रित को नियमानुसार अन्य विभाग में रिक्त पद पर शीघ्र नियुक्ति प्रदान की जा सके।
विज्ञान या कृषि संकाय से सीनीयर सेकण्डरी पास आश्रित प्रयोगशाला सहायक (L-8) के लिए आवेदन कर सकते है।
चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी (L-1) के लिए साक्षर होना आवश्यक है।
आवेदक की सेवा-पुस्तिका में लाल स्याही से यह अंकित किया जावे कि श्री/सुश्री/श्रीमती- को इनके माता/पिता/पति की मृत्यु पर मृत राज्य कर्भचारी के आश्रितों के भर्ती नियम-1996 के अनुसार नियुक्ति प्रदान की गई है।
राज्य सरकार की अधिसूचना क्रमांक एफ-7 (1) कार्मिक (क-2) (95) दिनांक 08.04.03 के अनुसार दिनांक 01.06.02 को या उसके पश्चात दो से अधिक संतान होने की स्थिति में नियुक्ति के पात्र नहीं माने जायेंगे, किन्तु राज्य सरकार (डीओपी) के आदेश दिनांक 29.10.05 के अनुसार विधवा की नियुक्ति में यह प्रावधान लागू नहीं होंगे ।
दत्तक पुत्र पुत्रियों के संबंध में वैधता की जांच हिन्दु दत्तक तथा भरण पोषण अधिनियम 1956 के प्रावधानुसार करेंगे ।
यदि मृतक आश्रित प्रारंभिक शिक्षा से संबंधित है तो प्रथम प्राथमिकता प्रारंभिक शिक्षा के रिक्त पद पर दी जायेगी। रिक्त पद न होने पर जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक शिक्षा से अनापति प्रमाण पत्र प्राप्त करने के पश्चात् ही माध्यमिक शिक्षा में नियुक्ति आदेश जारी किये जा सकेगें।