GSSS BINCHAWA

GSSS BINCHAWA

GSSS KATHOUTI

GSSS KATHOUTI

GSSS BUROD

2. मापनी

  • मापनी- मानचित्र में प्रदर्शित किन्ही दो बिन्दुओं के बीच की दूरी तथा उन बिन्दुओं के बीच की धरातल पर वास्तविक दूरी के बीच का अनुपात मपनी कहलाता हैं।
  • मापनी व्यक्त करने की विधियाँ
    साधारण कथन विधि-
    आलेखी विधी-
    निरूपक भिन्न विधी- 
  • साधारण कथन विधि- इस विधि में मापनी को शाब्दिक विवेचन के द्वारा व्यक्त किया जाता है अर्थात मापनी को शब्दों के द्वारा व्यक्त किया जाता है यह मापक प्रकट करने की सरलतम विधि है इस विधि में दोनों दूरियां अलग-अलग इकाइयों में प्रदर्शित की जाती है
    Example 1 सेमी = किलोमीटर इंच = 10 मील 
  • निरूपक भिन्न विधि -किस विधि में मापनी को निरूपक भिन्न द्वारा प्रदर्शित किया जाता है मानचित्र व धरातल पर मापी गई दूरियों के अनुपात को प्रदर्शित करने वाली भिन्न निरूपक भिन्न [R.F. Representative Fraction] कहलाती है इस भिन्न का अंश सदैव एक होता है जो मानचित्र की दूरी को व्यक्त करता है तथा हर धरातल की दूरी को व्यक्त करता है 
    Example 1 : 500000 
  • आलेखी विधि- इस विधि में मापनी को एक निश्चित माप की रेखा द्वारा प्रदर्शित किया जाता है रेखा को प्राथमिक एवं गौण दो भागों में विभाजित किया जाता है तथा इन भागों पर वास्तविक दूरी का मान लिखा जाता है 

  • माप प्रणालियाँ

    ब्रिटिश माप प्रणाली

    मेट्रिक माप प्रणाली

    कोस=मील

    किलोमीटर=10 हैक्टोमीटर

    1मील=फर्लांग

    1हैक्टामीटर=10 डेकामीटर

    1फर्लांग =220 गज

    डेकामीटर =10 मीटर

    1गज=फुट

    1मीटर=10 डेसीमीटर

    1फुट =12इंच

    डेसीमीटर =10 सेंटीमीटर

    सेंटीमीटर =10 मिलीमीटर 

  • कथनात्मक से निरूपक भिन्न में रूपांतरण- 
  • कथनात्मक मापनी 1 सेमी = किलोमीटर को निरूपक भिन्न में बदलिए 
    मानचित्र पर 1 सेमी धरातल पर 5 किलोमीटर दूरी को प्रदर्शित करती है अतः -
    मानचित्र पर 1 सेमी =धरातल पर 5 किलोमीटर
    मानचित्र पर 1 सेमी =धरातल पर 5 x1000 मीटर                                       [1Km=1000M]
    मानचित्र पर 1 सेमी = धरातल पर 5 x 1000 x 100 सेमी                [1M = 100cm]
    मानचित्र पर 1 सेमी = धरातल पर 500000 सेमी
    R.F. = 1 : 500000 
  • कथनात्मक मापनी 1ईंच =मील को निरूपक भिन्न में बदलिए
    मानचित्र  पर 1 ईंच दूरी धरातल पर 1 मील दूरी को प्रदर्शित करती है अतः -
    मानचित्र पर 1 ईंच =धरातल पर मील
    मानचित्र पर 1 ईंच =धरातल पर 8 फर्लांग                                                 [1मील = 8 फर्लांग]
    मानचित्र पर 1 ईंच =धरातल पर  8 x 220 गज                                         [1फर्लांग = 220गज]
    मानचित्र पर 1 ईंच =धरातल पर 8 x 220 x 3 फुट                                   [1गज = 3 फुट]
    मानचित्र पर 1 ईंच =धरातल पर 8x220x3x12 ईंच                   [1 फुट = 12ईंच ]
    मानचित्र पर 1 ईंच =धरातल पर 36360 ईंच
    R.F. = 1 : 36360 
  • निरूपक भिन्न से कथनात्मक में रूपांतरण- 
  • निरूपक भिन्न 1 : 1000000 को कथनात्मक मापनी भिन्न में बदलिए 
    R.F. = 1 : 1000000 
    मानचित्र पर 1 सेमी = धरातल पर 1000000 सेमी 
    मानचित्र पर 1 सेमी = धरातल पर 1000000/100 =10000 मीटर      [1M = 100cm] 
    मानचित्र पर 1 सेमी = धरातल पर 10000/1000 =10 किलोमीटर      [1Km=1000M 
    सेमी = 10 किलोमीटर 
    निरूपक भिन्न 1 : 126720 को कथनात्मक मापनी में बदलिए 
    R.F. = 1 : 126720 
    मानचित्र पर 1 ईंच = धरातल पर 126720 ईंच 
    मानचित्र पर 1 ईंच =धरातल पर 126720/12 = 10560 फुट            [1फुट = 12 ईंच ] 
    मानचित्र पर 1 ईंच = धरातल पर10560/3     = 3520 गज              [1गज = फुट] 
    मानचित्र पर 1 ईंच = धरातल पर 3520/220  = 16 फर्लांग              [1फर्लांग = 220 गज] 
    मानचित्र पर 1 ईंच = धरातल पर 16/8          = 2 मील                   [1मील = फर्लांग] 
    ईंच = मील 
  • सरल मापनी :
    सरल मापनी द्वारा किसी रैखिक-माफ प्रणाली के अधिकतम दो मात्रकों में धरातल की दूरियां प्रदर्शित की जा सकती है जैसे मील व फर्लांग मेंफर्लांग व गज में गज व फीट मेंफीट व इंच में,किलोमीटर व हैक्टोमीटर मेंहेक्टोमीटर व डेकामीटर मेंडेकामीटर व मीटर मेंमीटर व सेंटीमीटर 
  • एक 1:316800 निरूपक भिन्न पर एक सरल मापनी बनाइए जिस पर दूरियां मील व फर्लांग में पढ़ी जा सके 
    मानचित्र  की  1 इन्च दूरी प्रदर्शित  करती है धरातल के 316800 मील
    मानचित्र  की  1 इन्च दूरी प्रदर्शित करेगी =316800/63360 मील 
                                                              = 5 मील         [1मील=63360 इन्च] 
    मानचित्र  की  6 इन्च दूरी प्रदर्शित करेगी =5 X6 =30 मील  
    सरल मापनी बनाने के लिए एक 6 इंच लंबी सरल रेखा खींचिए इस सरल रेखा के समान भाग कीजिए [ भाग = इंच ] यह रेखा धरातल के 30 मील को प्रदर्शित करती है अतः इसका एक भाग मिल के बराबर होगा 
    इन 6 भागों में प्रथम भाग गौण भाग तथा शेष भागों को प्राथमिक भाग कहते हैं गौण भाग को पुनः चार भागों में विभाजित कीजिए चूंकि यह भाग मील को प्रदर्शित करता है अतः इसका प्रत्येक भाग 10 फर्लांग को प्रदर्शित करेगा [मील =फर्लांग]
  • 1 : 50000 निरूपक भिन्न से एक सरल मापनी की रचना कीजिए जिस पर किलोमीटर व हैक्टोमीटर पढ़ा जा सके
    RF=1:50000
    मानचित्र  की  1 से.मी. दूरी प्रदर्शित  करती है धरातल के 50000 से.मी.
    मानचित्र  की  1 से.मी. दूरी प्रदर्शित करेगी =50000/100000  = 0.5 किलोमीटर
    मानचित्र  की  10 से.मी. दूरी प्रदर्शित करेगी =0.5 X10 =5 किलोमीटर
    10 सेमी की रेखा खींचकर उसके 2-2 सेमी के भाग कीजिए सेमी का प्रत्येक भाग मीटर को प्रदर्शित करता है गौण भाग को पुनः 2 भागों में विभाजित करते है जिसका प्रत्येक भाग 5 हैक्टोमीटर को प्रदर्शित करता है 
  • 1 : 50 निरूपक भिन्न से एक सरल मापनी की रचना कीजिए जिस पर मीटर व सेंटीमीटर पढ़ा जा सके 
    R.F. – 1 : 50 
    मानचित्र  की  1 से.मी. दूरी प्रदर्शित  करती है धरातल के 50 से.मी.
    मानचित्र  की  1 से.मी. दूरी प्रदर्शित करेगी =50/100 = 0.5 मीटर
    मानचित्र  की  10 से.मी. दूरी प्रदर्शित करेगी =0.5 X10=5 मीटर
    10 सेमी की रेखा खींचकर उसके 2-2 सेमी के भाग कीजिए सेमी का प्रत्येक भाग मीटर को प्रदर्शित करता है गौण भाग को पुनः 2 भागों में विभाजित करते है जिसका प्रत्येक भाग 50 सेमी को प्रदर्शित करता है 
  • 1 : 100 निरूपक भिन्न से एक सरल मापनी की रचना कीजिए जिस पर मीटर व सेंटीमीटर पढ़ा जा सके
    RF= 1:100
    मानचित्र  की  1 से.मी. दूरी प्रदर्शित  करती है धरातल के 100 से.मी.
    मानचित्र  की  1 से.मी. दूरी प्रदर्शित करेगी =100/100 = 1 मीटर
    मानचित्र  की  10 से.मी. दूरी प्रदर्शित करेगी =1X10=10 मीटर
    10 सेमी की रेखा खींचकर उसके 2-2 सेमी के भाग कीजिए इसके सेमी का प्रत्येक भाग मीटर को प्रदर्शित करता है गौण भाग को पुनः 2 भागों में विभाजित करते है जिसका प्रत्येक भाग 100 सेमी को प्रदर्शित करता है है
  • 1 : 60 निरूपक भिन्न से एक सरल मापनी की रचना कीजिए जिस पर मीटर व सेंटीमीटर पढ़ा जा सके 
    RF= 1:60 
    मानचित्र  की  1 से.मी. दूरी प्रदर्शित  करती है धरातल के 60 से.मी.
    मानचित्र  की  1 से.मी. दूरी प्रदर्शित करेगी =60/100 = 0.6 मीटर
    मानचित्र  की  10 से.मी. दूरी प्रदर्शित करेगी =0.6 X10=6 मीटर
    10 सेमी की रेखा खींचकर प्रकार की सहायता से बराबर भाग कीजिए जिसका प्रत्येक भाग मीटर को प्रदर्शित करता है गौण भाग को पुनः 2 भागों में विभाजित करते है जिसका प्रत्येक भाग 50 सेमी को प्रदर्शित करता है 
    सरल रेखा का विभाजन- एक सरल रेखा AB खींच कर उसके दोनों से सिरों पर लंब खिंचिए अब प्रत्येक लंब पर प्रकार की सहायता से समान दूरी पर सरल रेखा की जितने भाग करने हैं उससे एक कम संख्या में चाप काटकर दोनों तरफ के चाप बिंदुओं को मिला दीजिए 
  • 1 : 80 निरूपक भिन्न से एक सरल मापनी की रचना कीजिए जिस पर मीटर व सेंटीमीटर पढ़ा जा सके 
    RF= 1:80

    मानचित्र  की  1 से.मी. दूरी प्रदर्शित  करती है धरातल के 80 से.मी.
    मानचित्र  की  1 से.मी. दूरी प्रदर्शित करेगी =80/100 = 0.8 मीटर

    मानचित्र  की  15 से.मी. दूरी प्रदर्शित करेगी =0.8 X15=12 मीटर
    15 सेमी की रेखा खींचकर 6 [2.5 सेमी] बराबर भाग कीजिए जिसका प्रत्येक भाग 2मीटर को प्रदर्शित करता है गौण भाग को पुनः 5 भागों में विभाजित करते है जिसका प्रत्येक भाग 40 सेमी को प्रदर्शित करता है
  • 1 : 70 निरूपक भिन्न से एक सरल मापनी की रचना कीजिए जिस पर मीटर व सेंटीमीटर पढ़ा जा सके 
    RF= 1:70
    मानचित्र  की  1 से.मी. दूरी प्रदर्शित  करती है धरातल के 70 से.मी.
    मानचित्र  की  1 से.मी. दूरी प्रदर्शित करेगी =70/100 = 0.7 मीटर

    मानचित्र  की  10 से.मी. दूरी प्रदर्शित करेगी =0.7 X10=7 मीटर
    प्रकार की सहायता से 10 सेमी रेखा के 7 बराबर भाग कीजिए जिसका प्रत्येक भाग 1 मीटर को प्रदर्शित करता है गौण भाग को पुनः 2 भागों में विभाजित करते है जिसका प्रत्येक भाग 50 सेमी को प्रदर्शित करता है
  • 1 : 90 निरूपक भिन्न से एक सरल मापनी की रचना कीजिए जिस पर मीटर व सेंटीमीटर पढ़ा जा सके 
    RF= 1:90
    मानचित्र  की  1 से.मी. दूरी प्रदर्शित  करती है धरातल के 90 से.मी.
    मानचित्र  की  1 से.मी. दूरी प्रदर्शित करेगी =90/100 = 0.9 मीटर

    मानचित्र  की  15 से.मी. दूरी प्रदर्शित करेगी =0.9 X15=13.5 मीटर
    चूंकि 13.5 मीटर पूर्णांक नहीं है अतः इसे निकटतम पूर्णांक में बदलना पड़ेगा
    धरातल पर 13.5 मीटर दूरी  मानचित्र पर प्रदर्शित  करती है= 15 सेमी
    धरातल पर 1 मीटर दूरी  मानचित्र पर प्रदर्शित  करेगी = 15/13.5 सेमी
    धरातल पर 14 मीटर दूरी मानचित्र पर प्रदर्शित  करेगी = 15/13.5 x 14 सेमी
                                                                                 = 15.56 सेमी
    अर्थात मानचित्र पर 15.56 सेमी = धरातल पर 14 मीटर
    अब 15.56 सेमी की सरल रेखा खींचकर प्रकार की सहायता से उसको सात बराबर भागों में विभाजित करेंगे जिसका प्रत्येक भाग धरातल के 2 मीटर को प्रदर्शित करेगा गौण भाग को पुनः 2 भागों में विभाजित करते है जिसका प्रत्येक भाग 100 सेमी को प्रदर्शित करता है
  • 1 : 120 निरूपक भिन्न से एक सरल मापनी की रचना कीजिए जिस पर मीटर व सेंटीमीटर पढ़ा जा सके 
    RF= 1:120
    मानचित्र  की  1 से.मी. दूरी प्रदर्शित  करती है धरातल के 120 से.मी.
    मानचित्र  की  1 से.मी. दूरी प्रदर्शित करेगी =120/100 = 1.2 मीटर

    मानचित्र  की  10 से.मी. दूरी प्रदर्शित करेगी =1.2 X10=12 मीटर
    10 सेमी की रेखा खींचकर 4 [2.5 सेमी ] बराबर भाग कीजिए जिसका प्रत्येक भाग 3 मीटर को प्रदर्शित करता है गौण भाग[ 2.5 सेमी ]को पुनः 5 भागों में विभाजित करते है जिसका प्रत्येक भाग 60 सेमी को प्रदर्शित करता है
  • तुलनात्मक मापनी
    तुलनात्मक मापनी वह आलेखीय मापनी होती है जिस पर एक ही प्रदर्शक भिन्न से एक से अधिक रैखिक-माप प्रणालियों में दूरियां प्रदर्शित की जाती है
    तुलनात्मक मापनी में दोनो  मापको  की  इकाइयों  का शून्य  चिन्ह उर्ध्वाधर  रूप में  एक सीधी रेखा में  स्थित होता है।
    1: 200000 निरूपक भिन्न से एक तुलनात्मक मापनी की रचना कीजिए जिस पर मील और किलोमीटर मील पढ़ा जा सके  
    मील पढ़ने के लि
    मानचित्र  की  1 इंच दूरी प्रदर्शित  करती है धरातल के 200000 इंच
    मानचित्र  की  1 इंच दूरी प्रदर्शित  करेगी =200000/63360 मील
    मानचित्र  की  6 इंच दूरी प्रदर्शित  करेगी =(200000/63360) x 6
                                    =18.94 मील
       चूंकि 18.94 मील पूर्णांक नहीं है अतः इसे निकटतम पूर्णांक में बदलना पड़ेगा
    धरातल पर 18.94 मील दूरी  मानचित्र पर प्रदर्शित  करती है= 6 इंच
    धरातल पर 1 मीटर दूरी  मानचित्र पर प्रदर्शित  करेगी  = 6/18.94 मील
    धरातल पर 20 मील दूरी मानचित्र पर प्रदर्शित  करेगी = 15/18.94.5 x 20 इंच
                                                                                = 6.34 इंच    
    6.34 इंच =20 मील
    6.34 इंच की रेखा खींचकर प्रकार की सहायता से 5 बराबर भाग कीजिए जिसका प्रत्येक भाग 4 मील को प्रदर्शित करता है गौण भाग को पुनः 4 भागों में विभाजित करते है जिसका प्रत्येक भाग 1 मील को प्रदर्शित करता है
    किलोमीटर पढने के लिए
    मानचित्र  की  1 से.मी. दूरी प्रदर्शित  करती है धरातल के 200000 से.मी.
    मानचित्र  की  1 से.मी. दूरी प्रदर्शित  करेगी =200000/100000= 2 किलोमीटर
    मानचित्र  की  15 से.मी. दूरी प्रदर्शित  करेगी = 15 x 2 = 30 किमी.
    15 से.मी. = 30 किमी.
    मापनी की रचना - 6.34 इंच की रेखा खींचकर प्रकार की सहायता से 5 बराबर भाग कीजिए जिसका प्रत्येक भाग 4 मील को प्रदर्शित करता है गौण भाग को पुनः 4 भागों में विभाजित करते है जिसका प्रत्येक भाग 1 मील को प्रदर्शित करता है
    15 सेमी की रेखा खींचकर उसके 5 बराबर भाग कीजिए जिसका प्रत्येक भाग 6 किलोमीटर को प्रदर्शित करता है गौण भाग को पुनः 3 भागों में विभाजित करते है जिसका प्रत्येक भाग 2 किलोमीटर  को प्रदर्शित करता है
    ( प्रथम मापनी के नीचे 15 सेमी की रेखा इस प्रकार खिंचेंगे कि दोनों रेखाओं का 0 चिन्ह उर्ध्वाधर  रूप में  एक सीधी रेखा में  स्थित हो )




19. जैव विविधता एवं इसका संरक्षण


  1. भारत का राष्ट्रीय जलीय जीव कौन सा है
    गंगा डॉल्फिन (2009)
  2. अंतरराष्ट्रीय जैवविधता दिवस कब मनाया जाता है
    22 मई
  3. विश्व में वृहद जैव विविधता वाले देश कितने हैं
    17
  4. वर्तमान विश्व में कितने जैव विविधता तप्त स्थल है
    34
  5. NAB का पूरा नाम लिखो
    राष्ट्रीय जैवविविधता प्राधिकरण
  6. विश्व में सर्वाधिक जैव विविधता कहां पाई जाती है
    भूमध्य रेखा पर
  7. संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा किस वर्ष को अंतर्राष्ट्रीय जैव विविधता वर्ष के रूप में मनाया गया
    2010
  8. CBD का पूरा नाम लिखिए
    कन्वेंशन ऑन बायोडायवर्सिटी (जैवविविधता संधि)
  9. पारिस्थितिकीय तंत्र के संतुलन की मापक इकाई क्या है
    प्रजाति विविधता
  10. जैव विविधता के तप्त स्थल की अवधारणा किसने दी ?
    नार्मन मेयर्स
  11. भारत से पूर्ण रूप से विलुप्त जीवों के नाम लिखो
    एशियाई चीता, जावन गैण्डा, गुलाबी सिर वाली बत्तख, पर्वतीय बटैर।
  12. जैव विविधता के स्तरों के नाम लिखिए
    (i) प्रजाति विविधता
    (ii) अनुवांशिक विविधता
    (iii) पारिस्थितिकी तंत्र विविधता
  13. प्रजाति विविधता किसे कहते हैं (2020)
    किसी क्षेत्र विशेष में पाए जाने वाले जीवो की विभिन्न प्रजातियों की कुल संख्या उस क्षेत्र की प्रजाति विविधता कहलाती है
  14. अनुवांशिक विविधता किसे कहते हैं (2019)
    एक ही प्रजाति के विभिन्न सदस्यों में अनुवांशिक इकाई जीन के कारण पाई जाने वाली विभिन्नता अनुवांशिक विविधता कहलाती है
  15. विश्व के प्रमुख जैव विविधता तप्त स्थलों के नाम लिखिए
    1.पूर्वी मलेशियाई द्वीप समूह      2.अटलांटिक वन
    3.मेडागास्कर द्वीप समूह           4.इंडो बर्मा
    5.
    भारत का पश्चिमी घाट           6.पूर्वी हिमालय
  16. पारिस्थितिकी तंत्र विविधता किसे कहते हैं(2020)
    भौगोलिक एवं पर्यावरणीय विभिन्नताओं के कारण विभिन्न पारिस्थितिकी तंत्रों के जीवों में पायी जाने वाली भिन्नता पारिस्थितिकी तंत्र की विविधता कहलाती है
  17. भारत के जैवविविधता तप्त स्थलों नाम लिखिए
    (i)पूर्वी हिमालय जैव विविधता तप्त स्थल
    (ii) पश्चिमी घाट जैव विविधता तप्त स्थल
    (iii)इंडो बर्मा जैवविविधता तप्त स्थल

  18. प्रजाति किसे कहते हैं
    जीवों का ऐसा समूह जिसके सदस्य एक जैसे दिखाई देते हैं तथा प्राकृतिक परिवेश में प्रजनन कर संतान उत्पन्न करने की क्षमता रखते हो प्रजाति कहलाता है
  19. पारिस्थितिकी तंत्र किसे कहते हैं
    किसी क्षेत्र विशेष के समस्त जीवो तथा पर्यावरण के अजैविक घटकों के मध्य होने वाली अंतः क्रिया से निर्मित तंत्र पारिस्थितिकी तंत्र कहलाता है
    जैसे घास का मैदान, पहाड़, समुद्र, तालाब
  20. किसी क्षेत्र को जैव विविधता तप्त स्थल घोषित करने के लिए आवश्यक शर्ते लिखिए
    (i)उस क्षेत्र में विश्व की कुल स्थानबद्ध प्रजातियों की 0.5% (1500 प्रजातियां )से अधिक प्रजातियां उपस्थित होनी चाहिए
    (ii) उस क्षेत्र के मूल आवास का 70% भाग उजड़ चुका हो

  21. स्थानबद्ध प्रजातियां किसे कहते हैं उदाहरण दीजिए
    ऐसी प्रजातियां जो एक क्षेत्र विशेष में ही पाई जाती है अर्थात जिनका वितरण एक सीमित क्षेत्र में होता है स्थानबद्ध प्रजातियां कहलाती है जैसे लेमूर मेडागास्कर द्वीप पर तथा नीलगिरी तहर व मैकाक बंदर भारत के पश्चिमी घाट में ही पाये जाते हैं (2020) डोडो पक्षी मॉरिशस की एक स्थानबद्ध प्रजाति थी । 
  22. जैव विविधता का आर्थिक महत्व लिखिए
    (i)जैवविविधता हमें प्रत्यक्ष रुप से भोजन, ईंधन, चारा, इमारती लकड़ी एवं उद्योगों के लिए कच्चा माल उपलब्ध कराती है
    (ii) जैव विविधता कृषि पैदावार बढ़ाने के साथ-साथ रोग रोधी तथा कीट रोधी फसलों की किस्मों के विकास में सहायक है
    (iii) जेट्रोफा व करंज (बायोडीजल वृक्ष) के बीजों से जैव ईंधन बनाया जा सकता है
  23. जैव विविधता का सामाजिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक महत्व लिखिए
    1.वनस्पतियों की कुछ प्रजातियां जैसे पीपल, बरगद, तुलसी, आंवला आदि हमारी संस्कृति में विशेष स्थान रखते हैं इन वनस्पतियों की विशेष अवसरों पर पूजा की जाती है
    2.कुछ जंतु जैसे गाय, चूहा आदि भी हमारी संस्कृति में विशेष स्थान रखते हैं इनकी भी विशेष अवसरों पर पूजा की जाती है
    3.हमारे देश में आज भी ऐसे वन क्षेत्र है जिन्हें देववन का जाता है
  24. जैव विविधता का औषधीय महत्व लिखिए
    वनों में पाई जाने वाली विभिन्न प्रकार की जड़ी बूटियों का उपयोग अनेक बीमारियों के इलाज में किया जाता है जैसे-
    1.मलेरिया का इलाज सिनकोना की छाल से किया जाता है
    2.विनक्रिस्टीन व विनब्लास्टीन पौधों का उपयोग रक्त कैंसर तथा टैक्सस बकाटा वृक्ष की छाल का उपयोग कैंसर के इलाज किया जाता है
    3.सर्पगंधा से उच्च रक्तचाप का इलाज किया जाता है
    4.तुलसी, ब्राह्मी, अश्वगंधा, शतावरी आदि वनस्पतियों में एड्स रोधी गुण पाए जाते हैं
  25. जैवविविधता का पर्यावरणीय महत्व लिखिए(2020)
    (i)खाद्य श्रंखला का संरक्षण- जब किसी खाद्य श्रंखला में से एक प्रजाति विलुप्त हो जाती है तो पूरी खाद्य श्रंखला के खत्म होने का खतरा उत्पन्न हो जाता है परंतु यदि जैवविविधता समृद्ध है तो उसमें विभिन्न खाद्य श्रंखलाएं मिलकर खाद्य जाल का निर्माण करती है और किसी खाद्य श्रंखला की एक प्रजाति विलुप्त होने से खाद्य जाल की अन्य प्रजातियां उसकी कमी को पूरा कर देती है
    (ii)पोषक चक्र नियंत्रण - जैव विविधता पोषण चक्र को गतिमान बनाए रखने में सहायक होते हैं मिट्टी में उपस्थित सूक्ष्मजीव पोधौ व जीवों के मृत भागों को विघटित कर पौधों को पोषक तत्व पुनः उपलब्ध कराने में सहायक है 
    (iii)पर्यावरण प्रदूषण का निस्तारण -कई वनस्पतियां, सूक्ष्मजीव व कवक प्रदूषकों का विघटन और अवशोषण करने का गुण रखती है एवं कई सूक्ष्म जीव औद्योगिक अपशिष्ट में उपस्थित भारी तत्वों को हटाने में सक्षम होते हैं
  26. विश्व प्रजातियों का IUCN वर्गीकरण लिखिए (2020)
    (i) विलुप्त प्रजातियां- ऐसी प्रजातियां जो विश्व में कहीं भी जीवित अवस्था में नहीं मिलती है विलुप्त प्रजातियां कहलाती है जैसे डोडो पक्षी ,डायनासोर
    (ii) संकटग्रस्त प्रजातियां- ऐसी प्रजातियां जो विलुप्त होने के कगार पर है तथा जिनका संरक्षण नहीं किया गया तो शीघ्र ही विलुप्त हो जाएगी । इन्हें संकट ग्रस्त प्रजातियां कहते है जैसे चिता, बाघ, सर्पगंधा, गेंडा
    (iii) अति संवेदनशील प्रजातियां- ऐसी प्रजातियां जिनकी संख्या तेजी से कम हो रही है तथा शीघ्र ही संकटग्रस्त प्रजातियों की श्रेणी में आने की आशंका है संकटग्रस्त प्रजातियां कहलाती हैं जैसे याक, लाल पांडा, कोबरा
    (iv) दुर्लभ प्रजातियां- ऐसी प्रजातियां जो एक सीमित भौगोलिक क्षेत्र में ही रह गई है या जिनकी संख्या बहुत कम है दुर्लभ प्रजातियां कहलाती हैं  जैसे लाल भेड़िया, गिब्बन
    (v)अपर्याप्त रूप से ज्ञात प्रजातियां- ऐसी प्रजातियां जिनके बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं है
  27. जैव विविधता संरक्षण के प्रकार /विधियां लिखिए
    (i) स्वस्थाने संरक्षण -जीवों का उनके प्राकृतिक आवास में ही अनुकूल परिस्थितियां व सुरक्षा उपलब्ध करा कर किया गया संरक्षण स्वस्थाने संरक्षण कहलाता है इसके तहत राष्ट्रीय उद्यान, अभ्यारण, जीवमंडल रिजर्व आदि की स्थापना की जाती है भारत में 14 जैव मंडल रिजर्व, 99 राष्ट्रीय उद्यान, 593 वन्य जीव अभ्यारण तथा 47 संरक्षित रिजर्व घोषित किए जा चुके हैं
    (ii)बहिस्थाने संरक्षण - जब किसी संकटग्रस्त पादप या जंतु प्रजातियों को उनके प्राकृतिक आवास से बाहर कृत्रिम आवास में संरक्षण प्रदान किया जाता है तो इसे बहिस्थाने सरंक्षण कहते हैं इसके तहत वनस्पति प्रजातियों के संरक्षण के लिए वानस्पतिक उद्यान, बीज बैंक, उत्तक संवर्धन प्रयोगशाला आदि की स्थापना की जाती है जंतुओं के संरक्षण के लिए चिड़ियाघर, एक्वेरियम आदि की स्थापना की जाती है बीज बैंक में संकटग्रस्त पौधों एवं जंतुओं के जींस अंकुरणक्षम अवस्था में सुरक्षित रखे जाते हैं
  28. भारत के जैवविविधता तप्त स्थलों का वर्णन कीजिए
    1.पूर्वी हिमालय जैवविविधता तप्त स्थल - यह क्षेत्र असम,अरूणाचल प्रदेश, सिक्किम व पश्चिम बंगाल में फैला हुआ है यहां हिमालय पर्वत श्रंखला में पर्याप्त जैवविविधता पाई जाती है यह 7.5 लाख वर्ग किमी क्षेत्र में फैला हुआ है इस क्षेत्र में सुनहरा लंगूर, हिम तेंदुआ, उड़न गिलहरी व गंगा डॉल्फिन जैसे जीव पाए जाते हैं
    2.पश्चिमी घाट जैव विविधता तप्त स्थल - यह क्षेत्र भारत के पश्चिमी घाट के सहारे महाराष्ट्र, केरल, कर्नाटक व तमिलनाडु राज्यों में फैला हुआ है यह क्षेत्र 1.6 लाख वर्ग किमी में फैैला है यहां निलगिरी तहर व मेकाक बंदर जैसी स्थानबद्ध जातियां पायी जाती है 
    3.इंडो बर्मा जैव विविधता तप्त स्थल - यह जैव विविधता तप्त स्थल भारत, चीन, म्यांमार, वियतनाम, थाईलैंड, कंबोडिया, मलेशिया आदि देशों में फैला हुआ है इसका क्षेत्रफल लगभग 23.73 लाख वर्ग किलोमीटर है
  29. जैव विविधता संरक्षण हेतु किए जाने वाले प्रयासों का वर्णन कीजिए
    (अ)अंतर्राष्ट्रीय प्रयास-
    (i) अंतर्राष्ट्रीय प्राकृतिक संरक्षण संघ -संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1968 में एक अंतरराष्ट्रीय संस्था "अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN)" की स्थापना की जिसने विभिन्न पादप एवं प्राणी जातियों का अध्ययन कर 1972 में एक पुस्तक रेड डाटा बुक प्रकाशित की इस पुस्तक में विलुप्त हो रही जातियों, उनके आवास तथा वर्तमान में उनकी संख्या को सूचीबद्ध किया गया है अंतर्राष्ट्रीय प्राकृतिक संरक्षण संघ ने विश्व प्रजातियों को संरक्षण की दृष्टि से पांच भागों में बांटा है
    (ii) विश्व पृथ्वी सम्मेलन -1992 में रियो डी जेनेरो में विश्व पृथ्वी सम्मेलन हुआ और जैवविविधता संधि (CBD) अस्तित्व में आई जिसे 193 देशों ने स्वीकार कर लिया है इन सभी देशों ने जैवविविधता के संरक्षण के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की
    (ब)राष्ट्रीय प्रयास -
    (i)जैवविविधता एक्ट- भारत सरकार ने 2002 में जैव विविधता एक्ट बनाया जिसके तीन मुख्य उद्देश्य हैं
    ☆जैव विविधता का संरक्षण
    ☆जैव विविधता की दीर्घकालीन उपलब्धता
    ☆जैविक संसाधनों के लाभ का समान वितरण
    इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए जैव विविधता एक्ट 2002 में त्रिस्तरीय संगठन का प्रावधान है
    राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण ,राज्य स्तर पर जैव विविधता बोर्ड और स्थानीय स्तर पर प्रबंध समितियां का गठन किया गया है
    (ii) राष्ट्रीय हरित अधिकरण- भारत सरकार ने पर्यावरण, वन, जल, वायु व जैवविविधता विषयों से संबंधित विवादों को निपटाने के लिए 2 जून 2010 में राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना की जिसका मुख्यालय भोपाल में है
  30. जैवविविधता ह्रास के लिए उत्तरदाई प्रमुख कारण लिखिए (2020)
    (i)प्राकृतिक आवासों का नष्ट होना- विश्व की बढ़ती हुई जनसंख्या की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए आबादी व कृषि भूमि में विस्तार के कारण जीवो के प्राकृतिक आवास नष्ट हो रहे हैं जिससे कई जंतु एवं वनस्पति प्रजातियां विलुप्त हो रही है
    (ii)प्राकृतिक आवास विखंडन- सड़क मार्ग, रेल मार्ग, गैस पाइपलाइन, नहर आदि के कारण जीवो के प्राकृतिक आवास विखंडित हो जाते हैं जिससे वन्यजीवों के प्राकृतिक क्रियाकलाप प्रभावित होते हैं तथा वे अपने आप को असहज महसूस करते हैं अनेक जीव वाहनों की चपेट में आकर के मर जाते हैं
    (iii)जलवायु परिवर्तन- मानवीय गतिविधियों के कारण आज वैश्विक उष्णता की समस्या उत्पन्न हो गई है जिसके कारण विश्व की जलवायु धीरे-धीरे बदल रही है जलवायु परिवर्तन के कारण कई प्रजातियों के विलुप्त होने का खतरा उत्पन्न हो गया है
    (iv) पर्यावरण प्रदूषण- पर्यावरण प्रदूषण का असर प्राणियों एवं पौधों दोनों पर पड़ता है प्रदूषित जल, प्रदूषित भूमि एवं अम्लीय वर्षा के कारण अनेक सूक्ष्म जीव एवं वनस्पतियां नष्ट हो रही है कृषि में रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के अत्याधिक उपयोग से मिट्टी में पाए जाने वाले सूक्ष्म जीव विलुप्त जाते हैं
    (v) विदेशी प्रजातियों का आक्रमण- वांछित या अवांछित रूप से कई बार विदेशी प्रजातियों के आने के कारण स्थानीय प्रजातियों के अस्तित्व का खतरा उत्पन्न हो जाता है जिससे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र का संतुलन बिगड़ जाता है जैसे लैंटाना, जलकुंभी (वाटर लिली) एवं गाजर घास के कारण स्थानीय जैव विविधता के लिए संकट उत्पन्न हो गया है
    (vi)अंधविश्वास व अज्ञानता- अंधविश्वास एवं भ्रामक अवधारणाओं के कारण कई जीव मनुष्य द्वारा मार दिए जाते हैं जिसके कारण जीवो की प्रजाति के लिए संकट उत्पन्न हो जाता है जैसे गागरोनी तोता, गोयरा व गोडावण आदि को भ्रामक अवधारणाओं के कारण मार दिया जाता है