GSSS BINCHAWA

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GSSS KATHOUTI

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GSSS BUROD

1 भूगोल एक विषय के रूप में

  • भूगोल का अर्थ :-
    भूगोल अर्थात Geography शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग यूनानी (Greek) विद्वान ईरेटॉस्थनीज नें किया था। Geography शब्द यूनानी (Greek) भाषा के Geographia शब्द से लिया गया है जो दो शब्दों Geo और Graphia से मिलकर बना है जिसमें Geo का अर्थ है “पृथ्वी” तथा Graphia का अर्थ है “वर्णन करना” अर्थात भूगोल का शाब्दीक अर्थ है पृथ्वी का वर्णन करना। चूंकि पृथ्वी पर मानव निवास करता है अतः भूगोल में पृथ्वी का मानव के निवास के रूप में वर्णन किया जाता है एक विषय के रूप में भूगोल का मुख्य सरोकार (प्रयोजन) पृथ्वी को मानव का घर समझते हुए उन सभी तत्वों का अध्ययन करना है जिन्होनें मानव पोषित किया है
  • भूगोल की परिभाषा 
    रिचर्ड हार्टशोर्न के अनुसार "भूगोल का उद्देश्य धरातल की प्रादेशिक /क्षेत्रीय भिन्नता का वर्णन एवं व्याख्या करना है।"
    अलप्रेफड हैटनर के अनुसार "भूगोल धरातल के  विभिन्न भागों में कारणात्मक रूप से संबंधित तथ्यों में भिन्नता का अध्ययन करता है।"
    भूगोल में उन सभी तथ्यों का अध्ययन किया जाता है जो क्षेत्रीय संदर्भ में भिन्न होते हैं। तथा इन तथ्यों में विभिन्नताओं के कारणों का भी अध्ययन किया जाता है  
  • एक वैज्ञानिक विषय के रूप में भूगोल 3 प्रश्नों के उत्तर खोजता है 
    1. कुछ प्रश्न धरातल पर पाए जाने वाले प्राकृतिक व सांस्कृतिक तत्वों की पहचान से जुड़ होते है जो क्या "प्रश्न" का उत्तर देते है 
    2. कुछ प्रश्न पृथवी पर प्राकृतिक व सांस्कृतिक तत्वों के वितरण से सम्बंधित होते है जो "कहाँ" प्रश्न का उत्तर देते है 
    3. तीसरा प्रश्न तत्वों व तथ्यों के मध्य कार्य - कारण सम्बन्ध से जुड़ा होता है जो "क्यों" प्रश्न का उत्तर देता है इन तीनो प्रश्नों ने भूगोल को एक वैज्ञानिक विषय के रूप में स्थापित करने में मदद की है 
  • भूगोल के अध्ययन के उपागम 
    1. विषय वस्तुगत या क्रमबद्ध उपागम।
    2. प्रादेशिक उपागम
  1. विषय वस्तुगत या क्रमबद्ध उपागम
    विषय वस्तुगत (क्रमबद्ध) उपागम में एक विशिष्ट भौगोलिक तथ्य का पूरे विश्वस्तर पर अध्ययन किया जाता है। फिर उस तथ्य के क्षेत्रीय स्वरूप के वर्गीकृत प्रकारों की पहचान की जाती है। 
    उदाहरणार्थ, यदि कोई प्राकृतिक वनस्पति के अध्ययन में रूचि रखता है, तो सर्वप्रथम विश्व स्तर पर उसका अध्ययन किया जायेगा, फिर प्रकारात्मक वर्गीकरण, जैसे विषुवतरेखीय सदाबहार वन, नरम लकड़ीवाले कोणधारी वन अथवा मानसूनी वन इत्यादि की पहचान, उनका विवेचन तथा सीमांकन करना होगा।  विषय वस्तुगत या क्रमबद्ध उपागम एक जर्मन भूगोलवेत्ता, अलेक्जेंडर  वॉन हम्बोल्ट  द्वारा प्रतिपादित किया गया
  2. प्रादेशिक उपागम 
    प्रादेशिक उपागम में विश्व को विभिन्न प्रेदेशो में विभक्त कर एक विशेष प्रदेश में सभी भौगोलिक तथ्यों का अध्ययन किया जाता है  प्रादेशिक उपागम का विकास जर्मन भूगोलवेत्ता कार्ल रिटर द्वारा किया गया।  प्रादेशिक उपागम में विश्व को विभिन्न पदानुक्रमिक स्तर के प्रदेशों में विभक्त किया जाता है और फिर एक विशेष प्रदेश में सभी भौगोलिक तथ्यों का अध्ययन किया जाता है। ये प्रदेश प्राकृतिक, राजनीतिक या निर्दिष्ट (नामित) प्रदेश हो सकते हैं। 
    भूगोल की शाखाएँ 
    विषयवस्तुगत या क्रमबद्ध उपागम के आधार पर
    (अ) भौतिक भूगोल   1. भू- आकृति विज्ञान  
                    2. जलवायु विज्ञान    
                    3.समुद्र विज्ञान       
                    4. मृदा भूगोल       
    (ब) मानव भूगोल  1. सामाजिक भूगोल    
                            2. सांस्कृतिक भूगोल  
                    3. जनसंख्या भूगोल   
                            4. अधिवास भूगोल 
                    5. आर्थिक भूगोल     
                    6. ऐतिहासिक भूगोल  
                    5. राजनीतिक भूगोल  
    (स) जीव भूगोल  1. प्राणी भूगोल        
                    2. वनस्पति भूगोल    
                    3. पर्यावरण भूगोल   
                    4. पारिस्थितिकी   
       
    प्रादेशिक उपागम के आधार पर
    (अ) प्रादेशिक अध्ययन 1. स्थूल प्रादेशिक अध्ययन
                    2. मध्यम प्रादेशिक अध्ययन 
                    3. सूक्ष्म प्रादेशिक अध्ययन
    (ब) प्रादेशिक नियोजन 1. ग्रामीण नियोजन
                    2. शहर एवं नगर नियोजन 

    (स) प्रादेशिक विकास
    (द) प्रादेशिक विश्लेषण
  • भूगोल एक समाकलन विषय के रूप में 
    भूगोल एक संश्लेषणात्मक विषय है जो क्षेत्रीय संश्लेषण का प्रयास करता है भूगोल के अध्ययन में समग्रात्मक दृष्टिकोण अपनाया जाता है यह इस तथ्य को मानता है कि विश्व एक परस्पर निर्भर तंत्र है। तीव्र एवं कुशल परिवहन के विकास से दूरियां कम हो गई हैं और समस्त संसार एक वैश्विक ग्राम बन गया है। श्रव्य-दृश्य माध्यमों एवं सूचना तकनीकी ने आंकड़ों को बहुत समृद्ध बना दिया है। समाकलन विषय होने के कारण भूगोल का बहुत से प्राकृतिक एवं सामाजिक विज्ञानों से अंतरापृष्ठ  संबंध पाया जाता है।  
    भौतिक भूगोल का प्राकृतिक विज्ञानों के साथ संबंध:- 
    भौतिक भूगोल का प्राकृतिक विज्ञानों के साथ गहरा संबंध है। भौतिक भूगोल की विभिन्न शाखाएँ अपने से संबंधित विज्ञानों से सूचनाएं प्राप्त करती हैं। अतः 
    परंपरागत रूप में भौतिक भूगोल भौमिकी, मौसम विज्ञान, जल विज्ञान, मृदा विज्ञान से संबंधित है। अतः भू-आकृति विज्ञान, जलवायु विज्ञान, सामुद्रिक विज्ञान, मृदा भूगोल का प्राकृतिक विज्ञान से निकट का संबंध है। इसी प्रकार जैव-भूगोल का जीव विज्ञान, वनस्पति शास्त्र तथा पारिस्थितिकी विज्ञान से निकट का संबंध है।
    भूगोल का प्राकृतिक विज्ञान से संबंध 
    भूगोल                         प्राकृतिक विज्ञान      
    भू- आकृति विज्ञान     ⇔     भू- विज्ञान
    जलवायु विज्ञान             मौसम विज्ञानं
    समुद्र विज्ञान                जल-विज्ञान       
    मृदा भूगोल                 मृदा विज्ञान
    पादप भूगोल                वनस्पति विज्ञान
    प्राणी भूगोल                 प्राणी विज्ञान
    भूगोल का सामाजिक विज्ञान से  संबंध 
    मानव भूगोल                    सामाजिक विज्ञान
    सामाजिक भूगोल            समाजशास्त्र
    सांस्कृतिक भूगोल            मानव शास्त्र 
    जनसंख्या भूगोल             जनांकिकी 
    आर्थिक भूगोल               अर्थशास्त्र
    ऐतिहासिक भूगोल            इतिहास
    राजनीतिक भूगोल            राजनीति विज्ञान  
    पर्यावरण भूगोल               पारिस्थितिकी  
  • भौतिक भूगोल का महत्त्व 
    1. भौतिक पर्यावरण के सभी तत्व मानव के लिए उपयोगी है और इन सभी तत्वों का अध्ययन भौतिक भूगोल में किया जाता है भौतिक भूगोल में भूमण्डल, वायुमण्डल, जलमण्डल एवं जैवमण्डल का अध्ययन किया जाता है। 
    2. मिट्टियाँ मृदा-निर्माण प्रक्रिया के माध्यम से निर्मित होती हैं तथा वे मूल चट्टान, जलवायु, जैविक प्रक्रिया एवं कालावधि पर निर्भर करती हैं। कालावधि मिट्टियों को परिपक्वता प्रदान करती है तथा मृदा पार्श्विका के विकास में सहायक होती है। मिट्ट की उर्वरता प्रकृति से निर्धारित तथा संस्कृति से प्रेरित होती है। मृदा पौधों, पशुओं एवं सूक्ष्म जीवाणुओं के धारक जीवमंडल के लिए आधार प्रदान करती है।मृदा एक नवीकरणीय/पुनः स्थापनीय संसाधन है जो अनेक आर्थिक क्रियाओं, जैसे कृषि को प्रभावित करती है। मृदा निर्माण का अध्ययन भौतिक भूगोल में किया जाता है  
    3. भू-आकृतियाँ आधार प्रस्तुत करती हैं जिस पर मानवीय क्रियाएँ संपन्न होती हैं। मैदानों का प्रयोग  कृषि कार्य के लिए किया जाता है, जबकि पठारों पर वन तथा खनिज संपदा पाए जाते है। पर्वत, चरागाहों, वनों, पर्यटक स्थलों के आधार तथा निम्न क्षेत्रों को जल प्रदान करने वाली नदियों के स्रोत होते हैं। विभिन्न प्रकार की भू-आकृतियों का अध्ययन भौतिक भूगोल में किया जाता है 
    4. जलवायु हमारे घरों के प्रकार, वस्त्र व भोजन को प्रभावित करती है। जलवायु का वनस्पति, सस्य प्रतिरूप, पशुपालन एवं कुछ उद्योगों आदि पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।   
    5. हम संसाधनों के भंडार समुद्र का अध्ययन करते हैं। मछली एवं अन्य समुद्री भोजन के अतिरिक्त खनिजों की दृष्टि से भी सम्पन्न है।
    6. भौतिक भूगोल प्राकृतिक संसाधनों के मूल्यांकन एवं प्रबंधन करती है। भौतिक पर्यावरण संसाधन प्रदान करता है एवं मानव इन संसाधनों का उपयोग करते हुए अपना आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास सुनिश्चित करता है। तकनीकी की सहायता से संसाधनों के बढ़ते उपयोग ने विश्व में पारिस्थैतिक असंतुलन उत्पन्न कर दिया है। अतएव सतत् विकास के लिए भौतिक वातावरण का ज्ञान अति आवश्यक है जो भौतिक भूगोल के अध्ययन  से प्राप्त होता है 
  1. निम्नलिखित में से किस विद्वान् ने भूगोल (Geography) शब्द (Term) का प्रयोग किया?
    (क) हेरोडटस               (ख) गौलिलियो
    (ग) इरेटास्थेनिज़           (घ) अरस्तू                     (ग)
  2. निम्नलिखित में से किस लक्षण को भौतिक लक्षण कहा जा सकता है?
    (क) बंदरगाह               (ख) मैदान
    (ग) सड़क                  (घ) जल उद्यान                (ख)
  3. स्तंभ I एवं II के अंतर्गत लिखे गए विषयों को पढ़िए
    स्तंभ I प्राकृतिक/सामाजिक विज्ञान    स्तंभ IIभूगोल की शाखाएँ
    1. मौसम विज्ञान                     अ. जनसंख्या भूगोल
    2. जनांकिकी                        ब. मृदा भूगोल
    3. समाजशास्त्र                      स. जलवायु विज्ञान
    4. मृदा विज्ञान                      द. सामाजिक भूगोल
    सही मेल को चिह्नांकित कीजिए
    (क) 1ब, 2स, 3अ, 4द        (ख) 1द, 2ब, 3स, 4अ
    (ग) 1अ, 2द, 3ब, 4स        (घ) 1स, 2अ, 3द, 4ब          (घ)
  4. निम्नलिखित में से कौन सा प्रश्न कार्य-कारण संबंध से जुड़ा हुआ है?
    (क) क्यों                    (ख) क्या
    (ग) कहाँ                    (घ) कब                       (क)
  5. निम्नलिखित में से कौन सा विषय कालिक संश्लेषण करता है?
    (क) समाजशास्त्र        (ख) मानवशास्त्र
    (ग) इतिहास              (घ) भूगोल                        (ग)
  6. आप विद्यालय जाते समय किन महत्वपूर्ण सांस्कृतिक लक्षणों का पर्यवेक्षण करते हैं? क्या वे सभी समान हैं अथवा असमान? उन्हें भूगोल के अध्ययन में सम्मिलित करना चाहिए अथवा नहीं? यदि हाँ तो क्यों ?
    विद्यालय जाते समय हम मकान, मंदिर, मस्जिद, अस्पताल , सड़क, बाज़ार , कार्यालय तथा मानव निर्मित कई अन्य महत्वपूर्ण सांस्कृतिक लक्षणों का पर्यवेक्षण करते हैं ये सभी सांस्कृतिक लक्षण असमान हैं इन सांस्कृतिक लक्षणों को भूगोल के अध्ययन में सम्मिलित करना चाहिए क्योंकि सभी सांस्कृतिक लक्षणों का अध्ययन मानव भूगोल में किया जाता हैं
  7. आपने एक टेनिस गेंद, क्रिकेट गेंद, संतरा एवं लौकी देखा होगा| इनमें से कौन सी वस्तु की आकृत्ति पृथ्वी की आकृत्ति से मिलती-जुलती है? आपने इस विशेष वस्तु को पृथ्वी की आकृत्ति को वर्णित करने के लिए क्यों चुना है?
    टेनिस गेद, करकेट गेद, संतरा एवं लौकी मे से संतरे की आकृति  पृथ्वी से मिलती-जुलती है, क्योंकि पृथ्वी का आकार पूरी तरह गोल नहीं हैं बल्कि पृथ्वी संतरे की तरह धुर्वों पर चपटी है अर्थार्त पृथवी का आकार भू -आभ (Geoid) है हमने संतरे को पृथ्वी की आकृत्ति को वर्णित करने के लिए इसलिए चुना है क्योंकि यह फल पृथ्वी के समान दोनों सिरों पर चपटा होता है
  8. क्या आप अपने विद्यालय में वन महोत्सव समारोह का आयोजन करते हैं? हम इतने पौधारोपण क्यों करते हैं ? वृक्ष किस प्रकार पारिस्थैतिक संतुलन बनाए रखते हैं?
    हाँ, हमारे विद्यालय में वन महोत्सव समारोह का आयोजन किया जाता हैं इस समारोह पर हम अधिक से अधिक पौधारोपण करते हैं क्योंकि वनों की कमी को पौधारोपण से पूरा किया जाता हैं पौधे पारिस्थतिकी संतुलन बनाए रखतेहै वृक्ष वायुमंडल में ऑक्सीजन व कार्बन डाइ ऑक्साइड का संतुलन बनाये रखते है पौधे खाद्य श्रंखला का महत्वपूर्ण घटक होते है पौधे वर्षा में सहायक है जिससे जल चक्र चलता है पौधे पारिस्थैतिक तंत्र में उत्पादक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है  
  9. आपने हाथी, हिरण, केंचुए, वृक्ष एवं घास देखा है| वे कहाँ रहते व बढ़ते हैं? उस मंडल को क्या नाम दिया गया है? क्या आप इस मंडल के कुछ लक्षणों का वर्णन कर सकते हैं?
    पृथ्वी के जिस परिवेश में जीवन के पाए जाने की संभावना हो उसे जैव मंडल कहा जाता है 
    अतः जिस परिवेश में हाथी, हिरण, केंचुए, वृक्ष एवं घास रहते व बढ़ते हैं उसे जैवमंडल कहते है 
    जैवमंडल के प्रमुख लक्षण 
    1. जैवमंडल में जीवन पाया जाता है 
    2. जैवमंडल में स्थलडल, वायुमंडल, जलमंडल एक-दूसरे से मिलकर जीवन को संभव बनातेहै,
    3. जैवमंडल के दो घटक होते है जैविक घटक व अजैविक घटक 
  10. आपको अपने निवास से विद्यालय जाने में कितना समय लगता है? यदि विद्यालय आपके घर की सड़क के उस पार होता तो आप विद्यालय पहुँचने में कितना समय लेते? आने-जाने के समय पर आपके घर एवं विद्यालय के बीच की दूरी का क्या प्रभाव पड़ता है? क्या आप समय को स्थान या, इसके विपरीत, स्थान को समय में परिवर्तित कर सकते हैं?
    मुझे अपने निवास से विद्यालय जाने में पंद्रह मिनट लगता है| यदि विद्यालय मेरे घर की सड़क के उस पार होता तो मुझे विद्यालय पहुँचने में पांच मिनट लगते मेरे निवास और विद्यालय के बीच लंबी दूरी की वजह से मुझे विद्यालय पंहुचने में अधिक समय लगता है जिससे मेरा पढ़ाई व खेलने का समय प्रभावित होता है स्थान को समय में परिवर्तित कर सकते हैं जैसे अमुक स्थान यहाँ से 15 मिनट दूर है परन्तु समय को स्थान में नहीं बदल सकते है 
  1. पृथ्वी का आकार कैसा है? 
    भू-आभ(Geoid) 
  2. G.I.S का पूरा नाम लिखो  
    भौगोलिक सूचना तंत्र (Geographical Information System) 
  3. किस विद्वान् ने सर्वप्रथम भूगोल (Geography) शब्द (Term) का प्रयोग किया?
    इरेटास्थेनिज़ ने
  4. G.P.S. का पूरा नाम लिखो 
     वैश्विक स्थितीय तंत्र(Global Positioning System)
  5.  LIS का पूरा नाम लिखिए 
    भू- सूचना प्रणाली(Land Information System)
  6. "भूगोल का उद्देश्य धरातल की प्रादेशिक/ क्षेत्रीय विभिन्नता का वर्णन एवं व्याख्या करना है।” भूगोल की यह परिभाषा किसकी विद्वान की है ? 
    रिचर्ड हार्टशोर्न
  7. भूगोल का कौन सा उपागम अलेक्जेंडर वॉन हंबोल्ट द्वारा शुरू किया गया? 
    विषय वस्तुगत या क्रमबद्ध उपागम।
  8. प्रादेशिक उपागम किस विद्वान की देन है? 
    कार्ल रिटर द्वारा
  9. भूगोल क्या है
    सरल शब्दों में भूगोल "गोल पृथ्वी का वैज्ञानिक वर्णन करने वाला विषय है"। 
  10. भूगोल के अध्ययन के दो प्रमुख उपागम क्या हैं? 
    1. विषय वस्तुगत या क्रमबद्ध उपागम।
    2. प्रादेशिक उपागम।
  11. ”भूगोल धरातल के विभिन्न भागों में कारणात्मक रूप से संबंधित तथ्यों में भिन्नता का अध्ययन करता है।”यह किस विद्वान की परिभाषा है? 
    अलफ्रेड हैटनर
  12. मानव भूगोल की कोई चार शाखाएँ बताएँ। 
    राजनीतिक भूगोल,आर्थिक भूगोल, जनसंख्या भूगोल, सांस्कृतिक भूगोल, ऐतिहासिक भूगोल।
  13. ज्योग्राफी(Geography) शब्द किस भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना है और उनका अर्थ क्या है? 
    जियोग्राफी शब्द ग्रीक (यूनानी ) भाषा के दो शब्दों Geo तथा graphos से बना है। Geo का अर्थ है- पृथ्वी तथा graphos का अर्थ है- वर्णन करना अर्थार्त पृथ्वी का वर्णन करना  
  14. भूगोल के अध्ययन के विषय वस्तुगत (क्रमबद्ध) उपागम से आप क्या समझाते है 
    विषय वस्तुगत (क्रमबद्ध) उपागम में एक विशिष्ट भौगोलिक तथ्य का पूरे विश्वस्तर पर अध्ययन किया जाता है।
  15. प्रादेशिक उपागम क्या है 
    प्रादेशिक उपागम में विश्व को विभिन्न प्रेदेशो में विभक्त कर एक विशेष प्रदेश में सभी भौगोलिक तथ्यों का अध्ययन किया जाता है 
  16. भौतिक भूगोल किसे कहते है 
  17. भूगोल की वह शाखा जिसमे भौतिक पर्यावरण का अध्ययन किया जाता है भौतिक भूगोल कहलाती है 
  18. एक वैज्ञानिक विषय के रूप में भूगोल किन 3 प्रश्नों के उत्तर खोजता है ? 
    1. कुछ प्रश्न धरातल पर पाए जाने वाले प्राकृतिक व सांस्कृतिक तत्वों की पहचान से जुड़ होते है जो क्या "प्रश्न" का उत्तर देते है 
    2. कुछ प्रश्न पृथवी पर प्राकृतिक व सांस्कृतिक तत्वों के वितरण से सम्बंधित होते है जो "कहाँ" प्रश्न का उत्तर देते है 
    3. तीसरा प्रश्न तत्वों व तथ्यों के मध्य कार्य - कारण सम्बन्ध से जुड़ा होता है जो "क्यों" प्रश्न का उत्तर देता है इन तीनो प्रश्नों ने भूगोल को एक वैज्ञानिक विषय के रूप में स्थापित करने में मदद की 







9.भौगोलिक परिप्रेक्ष्य में चयनित कुछ मुद्दे एवं समस्याएं

पर्यावरण प्रदूषण मानवीय क्रियाकलापों के अपशिष्ट उत्पादों से मुक्त द्रव्य एवं ऊर्जा का परिणाम है। प्रदूषकों के परिवहित एवं विसरित होने के माध्यम के आधार पर प्रदूषण को निम्नलिखित प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है  
जल प्रदूषण 
जल की भौतिक, रासायनिक व जैविक विशेषताओं में होने वाले अवांछित परिवर्तन जो मानव सहित अन्य जीवो पर बुरा असर डालते हैं जल प्रदूषण कहलाता है
जल प्रदूषण के कारण/स्रोत
A. मानवीय स्रोत 
1. औद्योगिक अपशिष्ट- जल प्रदूषण में उद्योग सर्वाधिक महत्वपूर्ण है उत्पादन प्रक्रिया में, उद्योग अनेक अवांछित उत्पाद जैसे औद्योगिक कचरा, प्रदूषित अपशिष्ट जल, जहरीली गैसें, रासायनिक अवशेष,  भारी धातुएँ, धूल, धुआँ आदि पैदा करते हैं जिनमें शामिल होता है। अधिकतर औद्योगिक कचरे को बहते जल में अथवा झीलों आदि में विसर्जित कर दिया जाता है। परिणामस्वरूप विषाक्त रासायनिक तत्व जलाशयों, नदियों तथा अन्य जल भंडारों में पहुँच जाते हैं जो इन जलों में रहने वाली जैव प्रणाली को नष्ट करते हैं। सर्वाधिक जल प्रदूषक उद्योग- चमड़ा, लुगदी व कागज, वस्त्र तथा रसायन हैं।
2. कृषि अपशिष्ट - आधुनिक कृषि में विभिन्न प्रकार के रासायनिक पदार्थों जैसे उर्वरक, कीटनाशक, खरपतवार नाशक आदि का उपयोग होता है इन रसायनों को नदियों, झीलों तथा तलाबों में बहा दिया जाता है। यह सभी रसायन जल के माध्यम में जमीन में स्रवित होते हुए भू-जल तक पहुँच जाते हैं। उर्वरक धरातलीय जल में नाइट्रेट की मात्रा को बढ़ा देते हैं।
3.सांस्कृतिक गतिविधियाँ - भारत में तीर्थ यात्राओं, धार्मिक मेले व पर्यटन आदि जैसी सांस्कृतिक गतिविधियाँ भी जल प्रदूषण का कारण हैं। इन गतिविधियों के आयोजन से विभिन्न प्रकार के अपशिष्ट उत्पन्न होते है जो जल प्रदूषण का कारण बनाते है 
4. घरेलू वाहित मल - वाहित मल के अन्तर्गत मुख्य रूप से घरेलू एवं सार्वजनिक शौचालयों से निःसृत मानव मल को सम्मिलित किया जाता है। वाहित मल नालों से होता हुआ जलस्रोतों में मिल जाता है जो भयंकर जल प्रदूषण का कारण बनता है।
B. जल प्रदूषण प्राकृतिक स्रोत-  अपरदन, भू-स्खलन और पेड़-पौधों तथा मृत पशु के सड़ने-गलने आदि से प्राप्त प्रदूषकों से भी जल प्रदूषित होता है,
जल प्रदूषण के दुष्परिणाम
1. प्रदूषित जल में विषाक्त पदार्थों के साथ-साथ कई बीमारियों के जीवाणु व विषाणु पाए जाते हैं अतः प्रदूषित जल से मनुष्यों में हैजा, डायरिया, पीलिया व हेपेटाइटिस जैसे रोग हो जाते हैं
2.जल का तापमान बढ़ने से जलीय जीवों तथा वनस्पति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है
3. जल प्रदूषण के कारण कई पवित्र नदियों का जल पीने योग्य नहीं रहा है
‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम 
गंगा नदी जो भारत के उत्तर प्रदेश, बिहार व प. बंगाल राज्यों में बहती है जिसमे कानपुर, इलाहाबाद, वाराणसी, पटना तथा कोलकाता जैसे नगर घरेलू कचरे को नदी में निर्मुक्त करते हैं। जिससे नदी जल प्रदूषण बढ़ रहा है गंगा नदी की स्थिति में सुधार के लिए, केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर गंगा सफाई के लिए निम्नलिखित उद्देश्यों के साथ ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम आरंभ किया है -
1.शहरों में सीवर ट्रीटमेंट की व्यवस्था कराना।
2. औद्योगिक प्रवाह की निगरानी।
3. नदियों का विकास।
4. नदी के किनारों पर वनीकरण जिससे जैवविविधता में वृद्धि हो।
5. नदियों के तल की सफाई।
6. उत्तराखंड, यू.पी., बिहार, झारखंड में ‘गंगा ग्राम’ का विकास करना।
7. नदी में किसी भी प्रकार के पदार्थों को न डालना भले ही वे किसी अनुष्ठान से संबंधित हों, इससे प्रदूषण को बढ़ावा मिलता है। इसके संबंध् में लोगों में जागरूकता पैदा करना।
वायु प्रदूषण
वायु के संगठन में होने वाला अनचाहा परिवर्तन जो जीव जगत को हानि पहुंचाता है वायु प्रदूषण कहलाता है 
वायु प्रदूषण के कारण /स्रोत 
1.प्राकृतिक करण/ स्रोत- ज्वालामुखी उद्गार, धूल भरी आंधियां, दावानल, भूस्खलन, तूफान आदि 
2.मानवीय कारण /स्रोत- जीवाश्म ईंधन का दहन, उद्योग,खनन आदि
वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव 
1.वायु प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जिससे मनुष्य में श्वसन तंत्र, तंत्रिका तंत्र व रक्त परिसंचरण से संबंधित बीमारियां हो जाती है
2. वायु प्रदूषण से जलवायु एवं वायुमंडलीय दशाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जैसे ओजोन परत क्षरण व ग्रीन हाउस प्रभाव
3.वायु प्रदूषण के कारण महानगरों एवं नगरों में कोहरे के गुबंद बन जाते हैं हैं
4.वायु प्रदूषण का वनस्पति एवं जीव जंतु पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है
ध्वनि प्रदूषण 
अवांछित ध्वनि जो सुनने में अच्छी नहीं लगे तथा मनुष्य की श्रवण शक्ति, स्वास्थ्य एवं कार्य क्षमता को प्रभावित करती है ध्वनि प्रदूषण कहलाता है ध्वनि की तीव्रता मापने की इकाई डेसीबल है ध्वनि प्रदूषण स्थान विशिष्ट होता है तथा इसकी तीव्रता प्रदूषण के स्रोत से दूर कम होती जाती है। 
ध्वनि प्रदूषण के कारण 
1. परिवहन के साधन 
2. उद्योग एवं कल-कारखाने
3. मनोरंजन के साधन
4. खनन कार्य
नगरीय अपशिष्ट निपटान
नगरीय क्षेत्रों को प्रायः अति संकुल, भीड़-भाड़ तथा तीव्र बढ़ती जनंसख्या के लिए अपर्याप्त सुविधाएँ और उसके परिणामस्वरूप साफ-सफाई की खराब स्थिति एवं प्रदूषित वायु के रूप में पहचाना जाता है। नगरीय क्षेत्रों में कूड़ा-करकट, रद्दी, गंदगी एवं कबाड़ आदि का दो स्रोतों से निपटान होता है- 
घरेलू प्रतिष्ठानों से
व्यावसायिक प्रतिष्ठानों से। 
घरेलू कचरे को या तो सार्वजनिक भूमि पर या निजी ठेकेदारों के स्थलों पर डाला जाता है जबकि औद्योगिक/व्यावसायिक इकाइयों के कचरा का संग्रहण एवं निपटान नगरपालिकाओं के द्वारा निचली सतह की सार्वजनिक जमीन पर निस्तारित किया जाता है। 
नगरीय अपशिष्ट के हानिकारक प्रभाव 
1. ठोस अपशिष्ट से अप्रिय बदबू, मक्खियों एवं कृतकों से स्वास्थ्य संबंधी जोखिम पैदा हो जाते हैं जैसे टाइपफाइड  गलघोटूँ, दस्त तथा हैजा आदि। 
2. कूड़ा-कचरा अक्सर क्लेश पैदा करते हैं जब कभी भी इनका लापरवाही से निपटान किया जाता है तो यह हवा से फैलने एवं बरसाती पानी से छितरने के कारण परेशानी का कारण बनता है। 
3. नगरीय क्षेत्रों में औद्योगिक कचरे को नदियों में डालने से जल प्रदूषण की समस्या होती है। 
4. नगर आधारित उद्योगों तथा अनुपचारित वाहित मल के कारण नदियों के प्रदूषण से  स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएँ पैदा होती हैं।
5. भारत में अधिकांश शहरों में कचरा बिना एकत्र, किए छोड़ दिया जाता। जो गलियों में, घरों के पीछे खुली जगहों पर तथा परती जमीनों पर इकट्ठा हो जाता है जिसके कारण स्वास्थ्य संबंधी गंभीर जोखिम पैदा हो जाते हैं। अनुपचारित अपशिष्ट धीरे-धीरे सड़ते हैं और वातावरण में विषाक्त गैसें छोड़ते हैं जिनमें मिथेन गैस भी शामिल हैं।
ग्रामीण-शहरी प्रवास
नगरीय क्षेत्रों में मजदूरों की अधिक माँग,  ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के निम्न अवसर तथा नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों के बीच विकास के असंतुलित प्रारूप के कारण ग्रामीण क्षेत्रों से शहरों की ओर जनसंख्या का प्रवाह होता है जिससे भारत में, नगरीय जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। विकासशील देशों में गरीब, अर्धशिक्षित एवं अकुशल श्रमिक ग्रामीण क्षेत्रों से प्रायः शहरी क्षेत्रों में परिवार का पोषण करने के लिए प्रवास करते रहते हैं। चूँकि गंतव्य स्थान पर मजदूरी काफी कम होती है, इसलिए पत्नियों को गाँव में बच्चों और बड़ों की देखभाल के लिए छोड़ दिया जाता है। इसी कारण ग्रामीण-नगरीय प्रवास में पुरुषों का प्रभुत्व होता है। नगरीय जनसंख्या में वृद्धि एक प्राकृतिक वृद्धि के परिणामस्वरूप (जब मृत्यु दर की अपेक्षा जन्म दर अधिक हो), निवल आप्रवास (जहाँ बाहर जाने वालों की अपेक्षा आने वाले अधिक हो) और कभी-कभी नगरीय क्षेत्रों का पुनः वर्गीकरण जिसमें आसपास की ग्रामीण जनसंख्या को शामिल कर लिया जाता है, के कारण बढ़ती है। 
भू-निम्नीकरण
स्थायी या अस्थायी तौर पर भूमि की उत्पादकता की कमी आना भू-निम्नीकरण कहलाता है 
मृदा अपरदन, लवणता तथा भू-क्षारता से भू-निम्नीकरण होता है। भू-उर्वरकता के अप्रबंधन के साथ इसका अविरल उपयोग होने पर भू-निम्नीकरण होगा तथा उत्पादकता में कमी आएगी। 
भूनिम्नीकरण दो प्रकियाओं द्वारा तीव्रता से होता है। ये प्रक्रियाएँ प्राकृतिक तथा मानवजनित हैं। प्राकृतिक तथा मानवजनित प्रक्रियाओं से निम्नकोटि भूमियों में जलाक्रांत व दलदली क्षेत्र, लवणता व क्षारता से प्रभावित भूमियाँ, झाड़ी सहित व झाड़ियों रहित भूमियाँ आदि सम्मिलित हैं। कुछ अन्य निम्नकोटि भूमियाँ भी हैं जैसे  स्थानांतरित कृषि जनित क्षेत्र, रोपण कृषि जनित, क्षरित वन, क्षरित चरागाह तथा खनन व औद्योगिक व्यर्थ क्षेत्र जो मानवीय प्रक्रियाओं से कृषि के अयोग्य हुई हैं। 
गंदी बस्तियां
गंदी बस्तियाँ न्यूनतम वांछित आवासीय क्षेत्र होते हैं जहाँ जीर्ण-शीर्ण मकान, स्वास्थ्य की निम्न सुविधाएँ, खुली हवा का अभाव तथा पेयजल, प्रकाश तथा शौच सुविधाओं जैसी आधारभूत आवश्यक चीजों का अभाव पाया जाता है। 
गंदी बस्तियों की समस्याएँ
1. जन सुविधाओं का अभाव – भारत में गन्दी बस्तियों में शुद्ध पेयजल, शौचालय, शिक्षा, चिकित्सा, जल निकासी की सुविधा,सीवर लाइन चौड़ी सड़कें जैसी जनसुविधाओं का अभाव पाया जाता है 
2. निम्न स्तरीय स्वास्थ्य व बिमारियों की बहुलता- गंदी बस्तियों की अधिकांश जनसंख्या नगरीय अर्थव्यवस्था के असंगठित क्षेत्र में कम वेतन और अधिक जोखिम भरा कार्य करते हैं। परिणामस्वरूप ये लोग अल्प-पोषित होते हैं और इन्हें विभिन्न रोगों और बीमारियों की संभावना बनी रहती है।
3. अपराधों में वृद्धि - गंदी बस्तियों में गरीबी उन्हें नशीली दवाओं, शराब, अपराध, गुंडागर्दी, पलायन, उदासीनता और अंततः सामाजिक बहिष्कार के प्रति उन्मुख करती है।
स्वच्छ भारत मिशन शहरों के नवीकरण का एक हिस्सा है जिसे भारत सरकार ने शहरी गंदी बस्तियों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए शुरू किया है।
धारावी - एशिया की विशालतम गंदी बस्ती 
धारावी एशिया की विशालतम गंदी बस्ती है इस गंदी बस्ती से केवल एक मुख्य सड़क गुजरती है। इसे ‘नाइंटीपुफट रोड’ के गलत नाम से जाना जाता है। जो अपनी चौड़ाई में घटकर आधे से कम रह गई है। बसें सिर्फ बस्ती की परिधि से गुजरती हैं। गलियाँ एवं पगडंडियाँ इतनी सँकरी हैं कि वहाँ से एक साईकिल का गुजरना भी मुश्किल है। धारावी केंद्रीय मुंबई का एक हिस्सा है जहाँ तिपहिया वाहनों का प्रवेश भी निषेध है।
संपूर्ण बस्ती में दो से तीन मंजिले अस्थायी भवन है तथा उनमें जंग लगी लोहे की सीढ़ियाँ लगी हैं जहाँ एक ही कमरे को किराए पर लेकर पूरा परिवार रहता है। धारावी में शुद्ध वायु, पेयजल व प्रकाश की प्रयाप्त सुविधा नहीं है गंदे पानी की निकासी की सुविधा नहीं है शौचालय की सुविधा नहीं है  धारावी में मृतिका शिल्प, मिट्टी के बर्तन, कसीदाकारी एवं जरी का काम, परिष्वृफत चमड़े का काम आदि काम होते है 
केस अध्ययन
मेरठ के निकट दौराला में लोगों की प्रतिभागिता के सहारे पारिस्थितिकी के पुनर्भरण और मानव स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए प्रयास किया गया है। दौराला के उद्योगों के अनुपचारित अपशिष्ट जल का भू-जल स्तर में निक्षालन के कारण 12,000 लोगों की जनसंख्या वाले दौराला गाँव का भू-जल भारी धातुओं के संपर्क से संदूषित हो चुका था। सन् 2003 में दौरालावासियों की दयनीय दशा के कारण एक जनहित सभा रखी। 
एन.जी.ओ. के कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर लोगों के स्वास्थ्य-स्तर संबंधी सर्वेक्षण किया और एक रिपोर्ट बनाई। संगठन, ग्रामीण समुदाय और जन-प्रतिनिधियों ने आपस में बैठकर इन समस्याओं के टिकाऊ समाधान ढूँढ़ने का प्रयास किया। उद्योगपतियों ने पारिस्थितिकी की गिरती दशा को नियंत्रित करने में गहरी रुचि दिखाई। गाँव की उपरली टंकी की क्षमता बढ़ाई गई और समुदाय को पीने योग्य जल उपलब्ध कराने के लिए 900 मीटर की अतिरिक्त पाइपलाइन बिछाई गई। गाँव के गाद-युक्त तालाब को साफ किया गया और इसे गाद-विमुक्त करके पुनः जल से भर दिया गया। बड़ी मात्रा में गाद को हटाकर अधिक मात्रा में जल का मार्ग प्रशस्त किया गया जगह-जगह वर्षा-जल संग्रहण की संरचनाएँ बनाई गई। जिनसे मानसून के पश्चात भू-जल के संदूषण में कमी आई। एक हजार वृक्षों की लगाए गए जिनसे पर्यावरण का संवर्धन हुआ।
केस अध्ययन
झबुआ जिला मध्य प्रदेश के अति पश्चिमी कृषि जलवायु क्षेत्र में अवस्थित है। यहाँ मुख्यत भील जनजाति पाई जाती है।यहाँ जंगल एवं भूमि दोनों संसाधनों के उच्च दर से निम्नीकरण के कारण लोग गरीबी की दशा में जी रहे हैं, यहाँ भारत सरकार के ‘ग्रामीण विकास’ तथा ‘कृषि मंत्रालय’ ने जल संभरण प्रबंधन कार्यक्रम क्रियान्वित किया गया है। पिछले पाँच वर्षों में, ग्रामीण विकास मंत्रालय से निधि प्राप्त राजीव गांधी मिशन द्वारा क्रियांवित जल संभरण प्रबंधन ने अकेले झबुआ जिले की लगभग 20 प्रतिशत भूमि का उपचार किया है। झबुआ जिले के पेटलावाड विकास खंड के भील समुदाय ने अपना स्वयं का प्रयास करके विस्तृत भागों की साझी संपदा संसाधनों को पुनर्जीवित किया है। प्रत्येक परिवार ने साझी संपदा में एक पेड़ लगाया और उसे अनुरक्षित किया। इसके साथ ही प्रत्येक परिवार ने चरागाह भूमि पर चारा घास को बोया और कम से कम दो वर्षों तक उसकी सामाजिक घेराबंदी की उनका कहना था, इन जमीनों पर कोई खुली चराई नहीं होगी और पशुओं की आहार पूर्ति हेतु नाँद बनाए जाएँगे और इस प्रकार से उन्हें यकीन था कि जो चरागाह उन्होंने विकसित किए हैं, वे भविष्य में उनके पशुओं का सतत पोषण करते रहेंगे। इस अनुभव का एक रोचक पक्ष यह है कि समुदाय इस चरागाह प्रबंधन प्रक्रिया की शुरुआत करते कि इससे पहले ही पड़ोसी गाँव के एक निवासी ने उस पर अतिक्रमण कर लिया। गाँव वालों ने तहसीलदार को बुलाया और साझी जमीन पर अपने अधिकारों को सुनिश्चित कराया। इस अनुवर्ती संघर्ष को गाँववालों द्वारा सुलझाया गया जिसके लिए उन्होंने साझी चरागाह भूमि पर अतिक्रमण करने वाले दोषी को अपने प्रयोक्ता समूह का सदस्य बनाकर उसे साझी चरागाह भूमि की हरियाली से लाभांश देना आरंभ किया। 


  1. निम्नलिखित में से सर्वाधिक प्रदूषित नदी कौन-सी है? 
    (क) ब्रह्मपुत्र 
    (ख) सतलुज 
    (ग) यमुना
    (घ) गोदावरी।                                (ग) 
  2. निम्नलिखित में से कौन-सा रोग जलजन्य है? 
    (क) नेत्रश्लेष्मला शोथ 
    (ख) अतिसार 
    (ग) श्वसन संक्रमण 
    (घ) श्वासनली शोथ।                        (ख) 
  3. निम्नलिखित में से कौन-सा अम्ल वर्षा का एक कारण है?
    (क) जल प्रदूषण
    (ख) भूमि प्रदूषण
    (ग) शोर प्रदूषण
    (घ) वायु प्रदूषण                              (घ)
  4. .ध्वनि प्रदूषण के प्रमुख स्रोत है –
    [क] उद्योग
    [ख] मोटर वाहन
    [ ग] लाउडस्पीकर
    [घ] उपरोक्त सभी                            [घ]
  5. प्रतिकर्ष और अपकर्ष कारक उत्तरदायी हैं-
    (क) प्रवास के लिए
    (ख) भू-निम्नीकरण के लिए
    (ग) गंदी बस्तियाँ
    (घ) वायु प्रदूषण                               (क) 
  6. एशिया की विशालतम गन्दी बस्ती ‘धारावी’  किस नगर में स्थित है ?
    [अ] कोलकाता
    [ब] मुम्बई
    [स] दिल्ली
    [द] हैदराबाद                                  [ब]
  7. निम्नांकित में से कौन-सा कारण जल प्रदूषण के लिए सर्वाधिक रूप से उत्तरदायी है?
    (क) वन विनाश
    (ख) सांस्कृतिक गतिविधियाँ
    (ग) औद्योगिक अपशिष्ट
    (घ) कृषि अपशिष्ट                                 (ग)
  8. ध्वनि की तीव्रता का मापने की इकाई क्या है
    (क) ओम मीटर
    (ख) एम्पीयर
    (ग) बैकरल
    (घ) डेसीबल                                  (घ)
  9. झबुआ जिला किस राज्य में है
    (क) गुजरात 
    (ख) महाराष्ट्र 
    (ग) उत्तर प्रदेश 
    (घ) मध्य प्रदेश                                 (घ)
  10. निम्न में से भू-निम्नीकरण के लिए उत्तरदायी कारक है
    [अ] मृदा अपरदन
    [ब] लवणता 
    [स] भू-क्षारता 
    [द] उपरोक्त सभी।                                    [द]
  11. हेपेटाइटिस बीमारी का मुख्य कारण है ?
    [अ] ध्वनि प्रदुषण
    [ब] वायु प्रदुषण
    [स] जल प्रदुषण
    [द] भू-प्रदुषण                                          [स]
  12. कौनसी गैस ओजोन परत को नुकसान पहुँचाती है ?
    [अ] नाइट्रोजन
    [ब] क्लोरोफ्लोरो कार्बन
    [स] ऑक्सीजन
    [द] सल्फर                                            [ब]
  13. राष्ट्रीय स्तर पर गंगा की सफाई के लिए कौनसा अभियान चलाया गया
    (अ) हर हर गंगे 
    (स) गंगा ग्राम कार्यक्रम
    (ब) नमामि गंगे 
    (द) गंगा बचाओ कार्यक्रम                          [ब]
  14. डेसीबल (dB) किसको नापने की इकाई है ?
    (अ) वायु प्रदूषण
    (ब) ध्वनि प्रदूषण
    (स) भूमि प्रदूषण
    (द) जल प्रदूषण                                      [ब]
  15. कौनसा प्रदूषण स्थान - विशिष्ट होता है -
    (अ) जल 
    (ब) ध्वनि
    (स) वायु 
    (द) महासागरीय प्रदूषण                            [ब]
  16. रेफ्रिजरेटर व एयर कन्डीशनर्स के अधिकाधिक प्रयोग से पर्यावरण में कौन सी गैस की मात्रा बढ़ रही है 
    (अ) क्लोरोफ्लुओरो कार्बन
    (स) मिथेन
    (ब) कार्बन डाईऑक्साइड
    (स) नाइट्रस अ
    (द) नाइट्रस ऑक्साइड                      [अ]
                                             




  1. औद्योगिक/व्यावसायिक इकाइयों के कचरे का निपटान ........................द्वारा किया जाता है
  2. यमुना भारत की सर्वाधिक प्रदूषित ............................... है ।
  3. ....................................एशिया की विशालतम गन्दी बस्ती है 
  4. भारत में गाँवों को.................................. ने आदर्श गणतंत्र माना था 
  5. धारावी बस्ती से गुजरने वाली एक मुख्य सड़क को ...........................नाम से जाना जाता है 
  6. उर्वरक धरातलीय जल में ........................की मात्रा को बढ़ा देते हैं।
  7. ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के तहत  उत्तराखंड, यू.पी., बिहार, झारखंड में ....................... विकास करने का लक्ष्य रखा गया है
  8. धारावी में तिपहिया वाहनों का प्रवेश ................ है।
  9. नगरीय एवं ग्रामीण क्षेत्रों के बीच विकास के असंतुलित प्रारूप के कारण ......................प्रवास होता है 
  10. ध्वनि प्रदूषण की तीव्रता प्रदूषण के स्रोत से दूर .......... होती जाती है
  1. प्रदूषत जल से होने वाली किन्ही दो बिमारियों के मान लिखिए
    डायरिया व हेपेटाइटिस
  2. जल प्रदूषण  के दो मुख्य  कारण लिखिए ।
    1. औद्योगिक अपशिष्ट    2.सांस्कृतिक गतिविधियाँ 
  3. गंगा नदी जो भारत के किन राज्यों में बहती है
    उत्तर प्रदेश, बिहार व प. बंगाल में
  4. चार सर्वाधिक जल प्रदूषक उद्योगों के नाम लिखिए 
    चमड़ा, लुगदी व कागज, वस्त्र तथा रसायन उद्योग
  5. वायु प्रदूषण से होने वाली बिमारियों से सम्बंधित किन्ही दो तंत्रों के नाम लिखिए 
    श्वसन तंत्र व तंत्रिका तंत्र
  6. ध्वनि प्रदूषण में सर्वाधिक योगदान किस स्रोत का है 
    परिवहन के साधन
  7. ध्वनि प्रदूषण को किस इकाई में मापा जाता है 
    डेसिबल 
  8. एशिया की विशालतम गन्दी बस्ती का नाम लिखिए
    धारावी
  9. केंद्र सरकार द्वारा गंगा सफाई के लिए कौनसा कार्यक्रम आरंभ किया है 
    ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम
  10. धारावी बस्ती से गुजरने वाली एक मुख्य सड़क को किस नाम से जाना जाता है 
     ‘नाइंटीफुट रोड’ 
  11. भारत सरकार द्वारा शहरी गंदी बस्तियों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए कौन सा कार्यक्रम शुरू किया है ।
    स्वच्छ भारत मिशन
  12. नमामि गंगे’ कार्यक्रम के दो उद्देश्य लिखिए 
    1. नदी के किनारों पर वनीकरण 
    2. नदियों के तल की सफाई।
  13. भू-निम्नीकरण से क्या अभिप्राय है 
    स्थायी या अस्थायी तौर पर भूमि की उत्पादकता की कमी आना भू-निम्नीकरण कहलाता है 
  14. भू-निम्नीकरण के लिए उत्तरदायी कारकों के नाम लिखिए  
    मृदा अपरदन, लवणता तथा भू-क्षारता 
  15. वायु प्रदूषण के कारण /स्रोत बताइए ।
    जीवाश्म ईंधन का दहन, उद्योग व खनन
  16. नगरीय क्षेत्रों में घरेलू प्रतिष्ठानों से प्राप्त अपशिष्टों का निपटान कैसे किया जाता है
    सार्वजनिक भूमि पर या निजी ठेकेदारों के स्थलों पर डालकर
  17. ग्रामीण-शहरी प्रवास के दो कारण  लिखिए
    1. नगरीय क्षेत्रों में मजदूरों की अधिक माँग
    2. ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के निम्न अवसर 
  18. भूनिम्नीकरण से निर्मित निम्नकोटि भूमियों के उदाहरण लिखिए 
    1. जलाक्रांत व दलदली क्षेत्र
    2. लवणता व क्षारता से प्रभावित भूमियाँ
  19. औद्योगिक/व्यावसायिक इकाइयों के कचरे का निपटान कैसे किया जाता है
    औद्योगिक/व्यावसायिक इकाइयों के कचरे का संग्रहण एवं निपटान नगरपालिकाओं के द्वारा निचली सतह की सार्वजनिक जमीन पर निस्तारित किया जाता है। 
  20. पर्यावरण प्रदूषण किसका का परिणाम है।
    पर्यावरण प्रदूषण मानवीय क्रियाकलापों से उत्पन्न अपशिष्ट उत्पादों से मुक्त द्रव्य एवं ऊर्जा का परिणाम है। 
  21. निवल आप्रवास किसे कहते है
    जब किसी क्षेत्र में बाहर जाने वालों लोगों  की अपेक्षा आने वाले लोगों की संख्या अधिक  हो तो इसे निवल आप्रवास कहते है
  22. गंदी बस्तियां किसे कहते है 
    गंदी बस्तियाँ न्यूनतम वांछित आवासीय क्षेत्र होते हैं जहाँ जीर्ण-शीर्ण मकान, स्वास्थ्य की निम्न सुविधाएँ, खुली हवा का अभाव तथा पेयजल, प्रकाश तथा शौच सुविधाओं जैसी आधारभूत आवश्यक चीजों का अभाव पाया जाता है। 
  23. प्रदूषक किसे कहते हैं
    ऐसे अवांछनीय पदार्थ जो पर्यावरण के किसी भी मूल तत्व में अपनी उपस्थिति से नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करते हैं या प्रदूषण फैलाते हैं प्रदूषक कहलाते हैं
  24. जल प्रदूषण से क्या अभिप्राय है ?
    जल की भौतिक, रासायनिक व जैविक विशेषताओं में होने वाले अवांछित परिवर्तन जो मानव सहित अन्य जीवो पर बुरा असर डालते हैं जल प्रदूषण कहलाता है
  25. वायु प्रदूषण से क्या अभिप्राय है ?
    वायु के संगठन में होने वाला अनचाहा परिवर्तन जो जीव जगत को हानि पहुंचाता है वायु प्रदूषण कहलाता है 
  26. गंदी बस्तियों की समस्याएँ लिखिए 
    1. जन सुविधाओं का अभाव 
    2. निम्न स्तरीय स्वास्थ्य व बिमारियों की बहुलता
    3. अपराधों में वृद्धि 
  27. ध्वनि प्रदूषण से क्या अभिप्राय है ?
    अवांछित ध्वनि जो सुनने में अच्छी नहीं लगे तथा मनुष्य की श्रवण शक्ति, स्वास्थ्य एवं कार्य क्षमता को प्रभावित करती है ध्वनि प्रदूषण कहलाता है
  28. जल प्रदूषण के दुष्परिणाम लिखिए ।
    1.प्रदूषित जल में विषाक्त पदार्थों के साथ-साथ कई बीमारियों के जीवाणु व विषाणु पाए जाते हैं अतः प्रदूषित जल से मनुष्यों में हैजा, डायरियाउ, पीलिया व हेपेटाइटिस जैसे रोग हो जाते हैं
    2.जल का तापमान बढ़ने से जलीय जीवों तथा वनस्पति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है
    3. जल प्रदूषण के कारण कई पवित्र नदियों का जल पीने योग्य नहीं रहा है
  29. ध्वनि प्रदूषण के कारण लिखिए ।
    1.परिवहन के साधन 
    2.उद्योग एवं कल-कारखाने
    3.मनोरंजन के साधन
    4. खनन कार्य
  30. ध्वनि प्रदूषण से होने वाली हानियां लिखिए ।
    1.श्रवण शक्ति में ह्रास
    2.मानसिक स्तर में बदलाव जैसे चिड़चिड़ापन, अनिंद्रा, पागलपन आदि
    3.कार्य क्षमता में कमी
    4.स्मरण शक्ति में कमी
  31. अम्लीय वर्षा से क्या अभिप्राय है ?
    प्रदूषित वायु में उपस्थित सल्फर डाइऑक्साइड हुए नाइट्रिक ऑक्साइड वायुमंडलीय जल के साथ क्रिया करके क्रमशः सल्फ्यूरिक अम्ल व नाइट्रिक अमल बनाते हैं जिससे वर्षा जल का ph मान घटकर 5 से कम हो जाता है इसे अम्लीय वर्षा कहते हैं
  32. वायु प्रदूषण नियंत्रण के उपाय लिखिए
    1. वायु प्रदूषण रोकने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण किया जाए
    2. जीवाश्म ईंधन के स्थान पर ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोतों का उपयोग किया जाए 
    3.निर्धूम चुल्हो का उपयोग किया जाना चाहिए
    4.ईट भट्टे एवं बर्तन उद्योग आबादी क्षेत्र से बाहर स्थापित किये जाए 
    5.उद्योगों में नवीन तकनीकी का उपयोग किया जाए
  33. वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव बताइए ।
    1.वायु प्रदूषण का मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जिससे मनुष्य में श्वसन तंत्र, तंत्रिका तंत्र व रक्त परिसंचरण से संबंधित बीमारियां हो जाती है
    2.वायु प्रदूषण से जलवायु एवं वायुमंडलीय दशाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जैसे ओजोन परत क्षरण व ग्रीन हाउस प्रभाव
    3.वायु प्रदूषण के कारण महानगरों एवं नगरों में कोहरे के गुबंद बन जाते हैं हैं
    4.वायु प्रदूषण का वनस्पति एवं जीव जंतु पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है


    8. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

    अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
    विभिन्न राष्ट्रों के बीच राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान अंतरराष्ट्रीय व्यापार कहलाता है कोई भी देश आत्मनिर्भर नहीं है।अतः अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सभी देशों के लिए परस्पर लाभदायक हैं विश्व व्यापार में भारत की भागीदारी कुल मात्रा का केवल एक प्रतिशत है
    भारत के अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के बदलते प्रारूप
    भारत में अपने अंतरराष्ट्रीय व्यापार की मात्रा व संगठन के साथ-साथ दिशा में भी परिवर्तन हुआ है , जिसे निम्न बिंदुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
    1. अंतरराष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि :- वर्ष 1950-51 में, भारत का वैदेशिक व्यापार का मूल्य 1,214 करोड़ रुपए था, जो कि वर्ष 2016-17 में बढ़कर 44,29,762 करोड़ रुपए हो गया। विदेशी व्यापार में इस तीव्र वृद्धि के निम्न कारण हैं
    1. विनिर्माण के क्षेत्र में गतिशील उठान
    2. सरकार की उदार नीतियाँ
    3. बाजारों की विविधरूपता
    2. भारत के निर्यात-संघटन के बदलते प्रारूप :- भारत में कड़ी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के कारण कृषि उत्पाद जैसे कॉफी, काजू, दालों आदि परंपरागत वस्तुओं के निर्यात में गिरावट आई है। हालाँकि पुष्प कृषि उत्पाद, ताज़े फल, समुद्री उत्पाद तथा चीनी आदि के निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई जबकि पेट्रोलियम तथा अपरिष्कृत उत्पादों के निर्यात में वृद्धि हुई है।अयस्क खनिजों तथा निर्मित सामानों का निर्यात लगभग स्थिर-सा रहा है।
    3. भारत के आयात-संघटन के बदलते प्रारूप :- भारत में 1950 एवं 1960 के दशक में खाद्यान्नों कमी थी इसलिए उस समय आयात की प्रमुख वस्तुएँ खाद्यान्न, पूँजीगत माल एवं मशीनरी आदि थे। उस समय आयात मूल्य निर्यात मूल्य से अधिक था 1970 के दशक के बाद हरित क्रांति की सफलता के बाद खाद्यान्नों का आयात कम हुआ लेकिन 1973 में आए ऊर्जा संकट से पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्य में उछाल आया फलतः आयात बजट भी बढ़ गया। खाद्य तेलों के अयात में आई गिरावट के साथ खाद्य तथा समवर्गी उत्पादों के आयात में कमी आई है। भारत के आयात में अन्य प्रमुख वस्तुओं में मोती तथा उपरत्नों, स्वर्ण एवं चाँदी, धातुमय अयस्क तथा धातु छीजन, अलौह धातुएँ तथा इलेक्ट्रॉनिक वस्तुएँ आदि आते हैं।
    4. व्यापार की दिशा :- भारत के व्यापारिक संबंध विश्व के अधिकांश देशों एवं प्रमुख व्यापारी गुटों के साथ हैं। भारत का अधिकतर विदेशी व्यापार समुद्री एवं वायु मार्गों द्वारा संचालित होता है। विदेशी व्यापार का छोटा सा भाग नेपाल, भूटान, बांग्लादेश व पाकिस्तान जैसे पड़ोसी राज्यों में सड़क मार्ग द्वारा किया जाता है।
    समुद्री पत्तन-अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार के रूप में
    भारत तीन ओर से समुद्र से घिरा हुआ है और प्रकृति ने हमें एक लंबी तटरेखा प्रदान की है। जल सस्ते परिवहन के लिए एक सपाट तल प्रदान करता है। भारत में पत्तनों का उपयोग प्राचीन काल से हो रहा है परन्तु पतन यूरोपीय व्यापारियों के आगमन तथा अंग्रेजी द्वारा भारत के उपनिवेशीकरण के बाद अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार के रूप में उभरे भारत में 13 प्रमुख और 200 छोटे या मझोले पत्तन हैं। प्रमुख पत्तनों के लिए केंद्र सरकार तथा छोटे पत्तनों के लिए राज्य सरकारें नीतियाँ बनाती है तथा नियामक क्रियाओं को निभाती हैं। प्रमुख पत्तन कुल यातायात के बड़े हिस्से का निपटान करते हैं।अंग्रेजों ने इन पत्तनों का उपयोग उनके पृष्ठप्रदेशों के संसाधनों के अवशोषण केंद्र के रूप में किया था। आंतरिक प्रदेशों में रेल परिवहन ने स्थानीय बाजारों को क्षेत्रीय बाजारों, क्षेत्रीय बाजारों को राष्ट्रीय बाजारों तथा राष्ट्रीय बाजारों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से जोड़ने की सुगमता प्रदान की। देश विभाजन से भारत के दो अति महत्त्वपूर्ण पत्तन अलग हो गए। कराची पत्तन पाकिस्तान में चला गया और चिटगाँव पत्तन तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान(बांग्लादेश) में चला गया। इस क्षतिपूर्ति के लिए पश्चिम में कांडला तथा पूर्व में हुगली नदी पर कोलकाता के पास डायमंड हार्बर को विकसित किया गया इस बड़ी हानि के बावजूद, देश की स्वतंत्रता-प्राप्ति के बाद से भारतीय पत्तन निरंतर वृद्धि कर रहे हैं। आज भारतीय पत्तन विशाल मात्रा में घरेलू के साथ-साथ विदेशी व्यापार का निपटान कर रहे हैं।
    भारतीय पत्तन
    1. कांडला पत्तन (गुजरात) - कांडला पत्तन कच्छ की खाड़ी के मुँहाने पर अवस्थित है कांडला पत्तन को देश के पश्चिमी एवं उत्तर-पश्चिमी भाग की जरूरतों को पूरा करने और मुंबई पत्तन पर दबाव कम करने के लिए विकसित किया गया है। इस पत्तन को विशेष रूप से भारी मात्रा में पेट्रोलियम, पेट्रोलियम उत्पादों एवं उर्वरकों को ग्रहण करने के लिए बनाया गया है। कांडला पत्तन के दबाव को कम करने के लिए वाडीनार में एक अपतटीय टर्मिनल विकसित किया गया है
    2. मुंबई पत्तन(महाराष्ट्र) - मुंबई पत्तन एक प्राकृतिक पत्तन और देश का सबसे बड़ा पत्तन है। यह पत्तन भूमध्य सागरीय देशों, उत्तरी अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका तथा यूरोप के देशों के सामान्य मार्ग के निकट स्थित है यहाँ से देश के विदेशी व्यापार का अधिकांश भाग संचालित किया जाता है। यह पत्तन 20 कि.मी. लंबा तथा 6-10 कि.मी. चौड़ा है। जिसमें 54 गोदियाँ और देश का विशालतम टर्मिनल हैं। मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश व राजस्थान के भाग मुंबई पत्तन की पृष्ठभूमि की रचना करते हैं।
    3. जवाहरलाल नेहरू पत्तन (महाराष्ट्र) - इसे न्हावा-शेवा में मुंबई पत्तन के दबाव को कम करने के लिए एक अनुषंगी पत्तन के रूप में विकसित किया गया था। यह भारत का विशालतम कंटेनर पत्तन है।
    4. मार्मागाओ पत्तन (गोवा) - मार्मागाओ पत्तन गोवा का एक प्राकृतिक बंदरगाह है। कोंकण रेलवे ने इस पत्तन के पृष्ठ प्रदेश में महत्त्वपूर्ण विस्तार किया है। कर्नाटक, गोआ तथा दक्षिणी महाराष्ट्र इसकी पृष्ठभूमि की रचना करते हैं
    5. न्यू मंगलौर पत्तन (कर्नाटक) - न्यू मंगलौर पत्तन कर्नाटक में स्थित है और लौह-अयस्क और लौह-सांद्र के निर्यात की जरूरतों को पूरा करता है। यह पत्तन भी उर्वरकों, पेट्रोलियम उत्पादों, खाद्य तेलों, कॉफी, चाय, लुगदी, सूत, ग्रेनाइट पत्थर, शीरा आदि का निपटान करता है। कर्नाटक इस पत्तन का प्रमुख पृष्ठप्रदेश है।
    6. कोच्चि पत्तन (केरल) - कोच्चि पत्तन बेंवानद कायाल (‘अरब सागर की रानी’/क्वीन ऑफ अरेबियन सी) के मुँहाने पर स्थित है यह एक प्राकृतिक पत्तन है। इस पत्तन को स्वेज कोलंबो मार्ग के पास अवस्थित होने का लाभ प्राप्त है। यह केरल, दक्षिणी कर्नाटक तथा दक्षिण-पश्चिमी तमिलनाडु की आवश्यकताओं को पूरा करता है।
    7. कोलकाता पत्तन(प०बंगाल) - कोलकाता पत्तन हुगली नदी पर अवस्थित है जो बंगाल की खाड़ी से 128 कि.मी. स्थल में अंदर स्थित है। हुगली नदी इसे समुद्र से जुड़ने का मार्ग प्रदान करती है। मुंबई पत्तन की भाँति इसका विकास भी अंग्रेजों द्वारा किया गया था। कोलकाता को ब्रिटिश भारत की राजधानी होने के प्रारंभिक लाभ प्राप्त थे। कोलकाता पत्तन हुगली नदी द्वारा लाई गई गाद की समस्या से जूझता रहा है इसके पृष्ठ प्रदेश के अंतर्गत उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, सिक्किम और उत्तर-पूर्वी राज्य आते हैं। इन सबके अतिरिक्त, यह पत्तन हमारे भूटान और नेपाल जैसे स्थलरुढ पड़ोसी देशों को भी सुविधाएँ उपलब्ध कराता है।
    8. हल्दिया पत्तन (प०बंगाल) - हल्दिया पत्तन कोलकाता से 105 कि.मी अंदर अनुप्रवाह (डाउनस्ट्रीम) पर स्थित है। इसका निर्माण कोलकाता पत्तन की संकुलता को घटाने के लिए किया गया है। यह स्थूल नौभार जैसे लौह-अयस्क, कोयला, पेट्रोलियम तथा पेट्रोलियम उत्पाद, उर्वरक, जूट एवं जूट उत्पाद, कपास तथा सूती धागों आदि का निपटान करता है।
    9. पारादीप पत्तन (उड़ीसा) - पारादीप पत्तन कटक से 100 कि.मी. दूर महानदी डेल्टा पर स्थित है। इसका पोताश्रय सबसे गहरा है जो भारी पोतों के निपटान के लिए सर्वाधिक अनुकूल है। इसे मुख्य रूप से बड़े पैमाने पर लौह-अयस्क के निर्यात के लिए निपटान विकसित किया गया है। इस पत्तन के पृष्ठ प्रदेश के अंतर्गत ओडिशा, झारखंड और छत्तीसगढ़ आते हैं।
    10. विशाखापट्नम पतन(आंध्र प्रदेश) - विशाखापट्नम आंध्र प्रदेश में एक भू-आबद्ध पत्तन है जिसे ठोस चट्टान एवं बालू को काटकर एक नहर के द्वारा समुद्र से जोड़ा गया है। इस पत्तन का विकास लौह-अयस्क, पेट्रोलियम तथा सामान्य नौभार के निपटान हेतु विकसित किया गया है। इस पत्तन का प्रमुख पृष्ठ प्रदेश आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना है।
    11. चेन्नई पत्तन (तमिलनाडु)- चेन्नई पत्तन पूर्वी तट पर स्थित एक कृत्रिम पत्तन है जिसे 1859 में बनाया गया था। तट के निकट उथले जल के कारण यह पत्तन विशाल पोतों के लिए अनुकूल नहीं है। तमिलनाडु और पुदुच्चेरी इसके पृष्ठप्रदेश हैं।
    12. एन्नोर पत्तन (तमिलनाडु) - एन्नोर पत्तन चेन्नई(तमिलनाडु) के उत्तर में 25 कि.मी. दूर चेन्नई पत्तन के दबाव को कम करने के लिए बनाया गया है।
    13. तूतीकोरिन पत्तन (तमिलनाडु)- तूतीकोरिन पत्तन का विकास भी चेन्नई पत्तन के दबाव को कम करने के लिए किया गया था। यह विभिन्न प्रकार के नौभार का निपटान करता है जिसके अंतर्गत कोयला, नमक, खाद्यान्न, खाद्य तेल, चीनी, रसायन तथा पेट्रोलियम उत्पाद शामिल हैं।
    हवाई अड्डे
    अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वायु परिवहन एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इन्हें लंबी दूरी वाले उच्च मूल्य वाले या नाशवान सामानों को कम से कम समय में ले जाने व निपटाने के लिए लाभ प्राप्त होते हैं। यह भारी और स्थूल वस्तुओं के वहन करने के लिए बहुत महँगा और अनुपयुक्त होता है। यही कारण अंततः अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में महासागरीय मार्गों की तुलना में इस क्षेत्र की भागीदारी को घटा देता है।
    देश में 25 अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे कार्य कर रहे हैं अंतर्राष्ट्रीय हवाई पत्तनों के अंतर्गत अहमदाबाद, बेंगलूरु, चेन्नई, दिल्ली, गोवा, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोच्चि, कोलकाता, मुंबई, थिरुवनंथपुरम, श्रीनगर, जयपुर, कालीकट, नागपुर, कोयम्बटूर, लखनउ, पुणे, चण्डीगढ़, मंगलूरू, विशाखापट्नम, इंदौर, पटना, भुवनेश्वर और कन्नूर हैं।
    1. भारत का अधिकांश विदेशी व्यापार वहन होता है-
      [अ] स्थल और समुद्र द्वार
      [ब] स्थल और वायु द्वारा
      [स] समुद्र और वायु द्वारा
      [द] समुद्र द्वारा                  [द]
    2. निम्नलिखित में से कौन-सा एक स्थलबद्ध पोताश्रय है?
      [अ] विशाखापट्नम
      [ब] एन्नोर
      [स] मुंबई
      [द] हल्दिया                       [अ]  
    3. दो देशों के मध्य व्यापार कहलाता है-
      [अ] अंतर्देशीय व्यापार
      [ब] अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
      [स] बाह्य व्यापार
      [द] स्थानीय व्यापार                       [ब]
    4. भारत का सड़क द्वारा व्यापार कौन-से देश के साथ किया जाता है?
      [अ] नेपाल
      [ब] भूटान
      [स] बांग्लादेश
      [द] उपर्युक्त सभी              [द]
    5. भारत का सबसे बड़ा पत्तन कौनसा है ।
      [अ] मुंबई
      [ब] विशाखापट्नम 
      [स] कांडला
      [द] हल्दिया               [अ]
    6. भारत का विशालतम कंटेनर पत्तन है।?
      [अ] जवाहरलाल नेहरू पत्तन 
      [ब] चेन्नई पत्तन
      [स] कोच्चि पत्तन 
      [द] कोलकात्ता पत्तन                                    [अ]
    7. न्हावा शेवा पत्तन किस राज्य में है-
      [अ] गुजरात
      [ब] महाराष्ट्र
      [स] गोवा
      [द] कर्नाटका                                                 [ब]
    8. भारत के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के किस घटक के परिवर्तन हुआ है ?
      [अ] मात्रा
      [ब] संघटन
      [स] दिशा
      [द] सभी उपरोक्त                                             [द]
    9. विश्व व्यापार में भारत की भागीदारी है।
      [अ] 1%
      [ब] 2%
      [स] 3%
      [द] 4%.                                                           [अ]
    10. ऋणात्मक व्यापार संतुलन किस स्थिति में होता है?
      [अ] जब निर्यात आयात से अधिक हो
      [ब] जब आयात निर्यात से अधिक हो
      [स] जब व्यापार बंद हो
      [द] जब व्यापार में कोई लाभ न हो              [ब]
    11. व्यापारिक संतुलन में जब निर्यात आयात से अधिक होता है तो क्या स्थिति होती है?
      [अ] ऋणात्मक
      [ब] धनात्मक
      [स] संतुलन
      [द] व्यापार बंद                                  [ब]
    12. महानदी डेल्टा पर स्थित पत्तन है ?
      [अ]. विशाखपट्टनम
      [ब]. पारादीप
      [स]. हल्दिया
      [द]. तूतीकोरन                       [ब]
    13. मार्मगोवा पत्तन किस नदी पर स्थित है?
      [अ].गोदावरी
      [ब]. जुआर नदी
      [स]. हुगली नदी
      [द]. साबरमती                       [ब]
    14. भारत में वृहद् स्तरीय पत्तनों की संख्या है -
      [अ].12
      [ब]. 14
      [स]. 25
      [द]. 17                            [अ]
    15. भारत में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के हवाई अड्डों की संख्या है-
      [अ].28
      [ब]. 26
      [स]. 25
      [द]. 17                            [स]
    16. कोलकाता पत्तन किस नदी पर स्थित है?
      [अ].गोदावरी
      [ब]. जुआर नदी
      [स]. हुगली नदी
      [द]. साबरमती                       [स]
    17. निम्न में से कौनसे पत्तन का पोताश्रय सबसे गहरा है-
      [अ] पारादीप
      [ब] एन्नोर
      [स] मुंबई
      [द] हल्दिया                        [अ]  
    18. कौनसे पत्तन को स्वेज कोलंबो मार्ग के पास अवस्थित होने का लाभ प्राप्त है ?
      [अ] कोच्चि
      [ब] एन्नोर
      [स] मुंबई
      [द] कांडला                        [अ]  
    19. हल्दिया पत्तन का निर्माण किस पत्तन की संकुलता को घटाने के लिए किया गया है। 
      [अ] कोच्चि
      [ब] एन्नोर
      [स] कोलकाता
      [द] कांडला                        [स]  
    20. एन्नोर पत्तन किस पत्तन के दबाव को कम करने के लिए बनाया गया है।
      [अ] चेन्नई 
      [ब] एन्नोर
      [स] मुंबई
      [द] कांडला                        [अ]   
    • तूतीकोरिन पत्तन का विकास भी ................ पत्तन के दबाव को कम करने के लिए किया गया था। (चेन्नई)
    • कोच्चि पत्तन............कायाल  के मुँहाने पर स्थित है ( बेंवानद )
    • कोलकाता पत्तन ..........नदी पर अवस्थित है। ( हुगली )
    • विश्व व्यापार में भारत की भागीदारी कुल मात्रा का केवल ............ प्रतिशत है (एक)
    • विशाखापट्नम आंध्रप्रदेश में एक .................. पत्तन है (भू-आबद्ध)
    • तूतीकोरिन पत्तन का विकास भी ............... पत्तन के दबाव को कम करने के लिए किया गया था।(चेन्नई)
    • जुआरी नदमुख के मुँहाने पर अवस्थित .................. पत्तन गोवा का एक प्राकृतिक बंदरगाह है।(मार्मागाओ)
    1. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार के रूप में किसे जाना जाता है ?
      अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार के रूप में ‘समुद्री पत्तन’ को जाना जाता है।
    2. भारत के पूर्वी तट पर स्थित दो महत्त्वपूर्ण पत्तनों के नाम लिखिए।
      1. कोलकात्ता - पं. बंगाल    2. पाराद्वीप - उड़ीसा
    3. एन्नोर पत्तन किसका अनुषंगी पत्तन है ?
      मार्मागाओ पत्तन
    4. 1970 के दशक के बाद खाद्यानों के आयात की जगह किन उत्पादों का आयात बढ़ गया ?
      पेट्रोलियम उत्पाद तथा उर्वरक
    5. भारतीय पत्तनों में से सबसे पुराना व कृत्रिम पत्तन कौन सा है ?
      चेन्नई पत्तन
    6. 'अरब सागर की रानी' किस को कहते हैं ?
      बेंवानद कयाल को
    7. 1970 के दशक के बाद खाद्यान्नों के आयात में आई कमी का प्रमुख कारण क्या था ?
      हरित क्रान्ति
    8. भारत के विदेशी व्यापार का छोटा सा भाग सड़क मार्ग द्वारा किस-किस देश के साथ किया जाता है ?
      नेपाल, भूटान, बांग्लादेश एवं पाकिस्तान।
    9. देश विभाजन से भारत के कौनसे दो अति महत्त्वपूर्ण पत्तन अलग हो गए। 
      कराची पत्तन पाकिस्तान में  और चिटगाँव पत्तन तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान(बांग्लादेश) में चला गया।
    10. भारत की सबसे अधिक निर्यात विश्व में किन प्रदेशों से है ?
      एशिया और ओशेनिया
    11. कोलकाता पत्तन किस समस्या से जूझता रहा है ?
      हुगली नदी द्वारा लाई गई गाद की समस्या से ।
    12. चेन्नई पत्तन विशाल पोतों के लिए अनुकूल क्यों नहीं है ? 
      समुद्र तट के समीप उथले जल के कारण चेन्नई पत्तन विशाल पोतों के लिए अनुकूल नहीं है ।
    13. जोधपुर के एक हस्तशिल्प व्यापारी के लिए अपना माल निर्यात हेतु कौनसा बदरगाह सर्वाधिक लाभकारी रहेगा  ?
      कांडला बंदरगाह 
    14. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का क्या अर्थ है?
      विभिन्न राष्ट्रों के बीच राष्ट्रीय सीमाओं के आर-पार वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान अंतरराष्ट्रीय व्यापार कहलाता है
    15. भारतीय पत्तनों में से कौन-सा समुद्री पत्तन स्थल रूद्ध देशों को पतन सुविधाएं प्रदान करता है? ऐसे किसी एक देश का नाम बताइये?
      भारतीय पत्तनों में से ‘‘कोलकात्ता पत्तन’’ सुविधाएं प्रदान करता है।
      पड़ोसी देश - नेपाल व भूटान
    16. पृष्ठ प्रदेश के अर्थ को स्पष्ट कीजिए?
      बंदरगाह से सटा हुआ भूमि का वह भाग जिससे निर्यात की जाने वाली वस्तुओं का संग्रह किया जाता है तथा आयात की जाने वाली वस्तुओं का वितरण किया जाता है बन्दरगाह का पृष्ठप्रदेश कहलाता है।
    17. पत्तन विदेशी व्यापार के केन्द्र बिन्दु है - स्पष्ट करो ?
      पत्तन व्यापार के प्रवेश द्वार है। एक और पत्तन अपने पृष्ठ प्रदेश से विदेशों को भेजी जाने वाली वस्तुओं के संकलन केन्द्र हैं तथा दूसरी ओर भारत में आयातित वस्तुओं को देश के आन्तरिक भागों में वितरित भी करते हैं। इसलिए पत्तन विदेशी व्यापार के केन्द्र बिन्दु है
    18. महाराष्ट्र तामिलनाडु व पं0 बंगाल के एक-एक पोताश्रय का नाम बताइये जिनका निर्माण पहले से स्थापित पोताश्रयों का दबाव कम करने के लिए किया गया ?
      महाराष्ट्र - जवाहर लाल नेहरू पतन
      तामिलनाडु – ऐनोर
      पं0 बंगाल - हल्दिया
    19. भारत के विदेशी व्यापार की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए ?
      1. भारत का विदेशी व्यापार सदा ही प्रतिकूल रहा है । आयात का मूल्य निर्यात के मूल्य से सदा ही अधिक रहा है । 
      2. विश्व के सभी देशों के साथ भारत के व्यापारिक संबंध है। 
      3. वस्त्र, अयस्क व खनिज, हीरे आभूषण तथा इलेक्ट्रानिक वस्तुएँ भारत के मुख्य निर्यात है तथा पेट्रोलियम हमारे देश का सबसे बड़ा आयात है
      4. विश्व व्यापार में भारत के विदेशी व्यापार का योगदान केवल 1% है ।
    20. पत्तनों को ‘‘अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के प्रवेश द्वार’’ क्यों कहते हैं ?
      समुद्री पतन अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, इसलिए इन्हें अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के द्वार कहते हैं। 
      पत्तन जहाज के लिए गोदी, लादनें, उतारने तथा भंडारण की सुविधाएं प्रदान करते हैं। पत्तन अपने पृष्ठ प्रदेशों से वस्तुएं इकट्ठा करने का काम करते हैं जहां से उन वस्तुओं को अन्य स्थानों पर भेजा जाता है।
    21. पत्तन और पोताश्रय में अन्तर बताइए ।
      पत्तन-गोदी, घाट एवं सामान उतारने की सुविधाओं सहित तट पर ऐसा स्थान होता है जहाँ पर समुद्र-मार्ग से आने वाले माल को उतारकर स्थल मार्ग द्वारा आन्तरिक भागों को भेजा जाता है। साथ ही आन्तरिक भागों में आए माल को समुद्र मार्ग द्वारा विदेशों को भेजा जाता है।
      पोताश्रय-यह समुद्र का वह अंशत: परिषद् क्षेत्र है; जैसे—निवेशिका, नदमुख अथवा समुद्र-अन्तर्गम आदि, जो आने वाले जहाजों को आश्रय देता है।
    22. मुम्बई पत्तन देश का सबसे बड़ा पत्तन है - कैसे ?
      मुम्बई पत्तन देश का सबसे बड़ा पत्तन है क्योंकि
      1. यह एक प्राकृतिक बन्दरगाह है जहां गहरे जल के कारण बड़े-बड़े जहाजों के लिए सुरक्षित सुविधाएं हैं।
      2. यह पत्तन मध्यपूर्व, भूमध्य सागरीय देशों, उत्तरी अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका तथा यूरोप के देशों के सामान्य मार्ग के निकट है।
      3. यह भारत का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक व व्यापारिक केन्द्र है।
    23. ‘‘विभाजन के कारण बड़ी हानि के बावजूद, स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से भारतीय पत्तन निरन्तर वृद्धि कर रहे हैं।’’ इस कथन की पुष्टि उपयुक्त उदाहरण देकर करें ।
      आज भारतीय पतन विशाल मात्रा में घरेलू के साथ-साथ विदेशी व्यापार के भी भागीदार हैं।
      अधिकतर सभी पत्तनों में आधुनिकतम तन्त्रों को विकसित किया गया है।
      कई पुराने पतनों के बोझ को कम करने के लिए नये पतनों को विकसित किया गया है जैसे कलकत्ता के साथ हल्दिया पतन, चेन्नई के साथ नूतीकेरिन पतन।
      पतनों के आधुनिकीकरण के लिए सरकारों के साथ साथ निजी कम्पनियों/उद्यमियों को भी कार्यभार दिया गया है।
      अधिकतर भारी मदों का व्यापार समुद्री मार्ग द्वारा ही होता है इसीलिए लगातार पतनों का विकास हो रहा है ।
    24. अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में वायु परिवहन की क्या भूमिका है? तथा प्रमुख हवाई अड्डों के नाम बताइये ?
      अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में वायु परिवहन एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इन्हें लंबी दूरी वाले उच्च मूल्य वाले या नाशवान सामानों को कम से कम समय में ले जाने व निपटाने के लिए लाभ प्राप्त होते हैं। यह भारी और स्थूल वस्तुओं के वहन करने के लिए बहुत महँगा और अनुपयुक्त होता है।
      देश में 25 अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे कार्य कर रहे हैं अंतर्राष्ट्रीय हवाई पत्तनों के अंतर्गत अहमदाबाद, बेंगलूरु, चेन्नई, दिल्ली, गोवा, गुवाहाटी, हैदराबाद, कोच्चि, कोलकाता, मुंबई, थिरुवनंथपुरम, श्रीनगर, जयपुर, कालीकट, नागपुर, कोयम्बटूर, लखनउ, पुणे, चण्डीगढ़, मंगलूरू, विशाखापट्नम, इंदौर, पटना, भुवनेश्वर और कन्नूर हैं ।
    25. भारत के पूर्वी तथा पश्चिमी तटों पर स्थित पत्तनों के नाम राज्य सहित लिखिए ?
      पूर्वी तट 1. कोलकात्ता - पं. बंगाल 
      2. हल्दिया - पं. बंगाल
      3. पाराद्वीप - उड़ीसा
      4. विशाखा पट्नम - आन्ध्र प्रदेश
      5. इन्नोर - तामिलनाडु
      6. चेन्नई - तामिलनाडु
      7. तुतीकोरिन – तामिलनाडु
      पश्चिमी तट 1. कांडला - गुजरात
      2. मुम्बई - महाराष्ट्र
      3. जवाहर लाल नहरू बंदरगाह – महाराष्ट्र
      4. मार्मोगोआ – गोवा
      5. मंगलौर - कर्नाटक
      6. कोच्चि - केरल
    26. भारत के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार की बदलती प्रकृति पर टिप्पणी लिखिए ?
      भारत में अपने अंतरराष्ट्रीय व्यापार की मात्रा व संगठन के साथ-साथ दिशा में भी परिवर्तन हुआ है , जिसे निम्न बिंदुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
      1. अंतरराष्ट्रीय व्यापार में वृद्धि :  - वर्ष 1950-51 में, भारत का वैदेशिक व्यापार का मूल्य 1,214 करोड़ रुपए था, जो कि वर्ष 2016-17 में बढ़कर 44,29,762 करोड़ रुपए हो गया। विदेशी व्यापार में यह तीव्र वृद्धि विनिर्माण के क्षेत्र में गतिशील उठान, सरकार की उदार नीतियाँ, बाजारों की विविधरूपता, भारत के निर्यात-संघटन के बदलते प्रारूप के कारण  हुई हैं .
      2. भारत के निर्यात-संघटन के बदलते प्रारूप :- भारत में कड़ी अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के कारण कृषि उत्पाद जैसे कॉफी, काजू, दालों आदि परंपरागत वस्तुओं के निर्यात में गिरावट आई है। हालाँकि पुष्प कृषि उत्पाद, ताज़े फल, समुद्री उत्पाद तथा चीनी आदि के निर्यात में वृद्धि दर्ज की गई जबकि पेट्रोलियम तथा अपरिष्कृत उत्पादों के निर्यात में वृद्धि हुई है।
      3. भारत के आयात-संघटन के बदलते प्रारूप :- भारत में 1950 एवं 1960 के दशक में खाद्यान्नों कमी थी इसलिए उस समय आयात की प्रमुख वस्तुएँ खाद्यान्न, पूँजीगत माल एवं मशीनरी थे। उस समय आयात मूल्य निर्यात मूल्य से अधिक था 1970 के दशक के बाद हरित क्रांति की सफलता के बाद खाद्यान्नों का आयात कम हुआ लेकिन 1973 में आए ऊर्जा संकट से पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्य में उछाल आया फलतः आयात बजट भी बढ़ गया। 
      4. व्यापार की दिशा :- भारत के व्यापारिक संबंध विश्व के अधिकांश देशों एवं प्रमुख व्यापारी गुटों के साथ हैं। भारत का अधिकतर विदेशी व्यापार समुद्री एवं वायु मार्गों द्वारा संचालित होता है। विदेशी व्यापार काछोटा सा भाग नेपाल, भूटान, बांग्लादेश एवं पाकिस्तान जैसे पड़ोसी राज्यों में सड़क मार्ग द्वारा किया जाता है।